पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१४१

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१४० पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ पूंजी के परिपथ और मालों के रूपान्तरण में, जो उसी परिपथ का अंग होता है, सामा- जिक श्रम के दौरान सामग्री का अंतर्विनिमय होता है। यह अंतर्विनिमय उत्पादों का स्थान परिवर्तन , उनकी एक स्थान से दूसरे स्थान तक वास्तविक गति को आवश्यक बना सकता है। फिर भी मालों का परिचलन उनके द्वारा भौतिक गति के विना भी हो सकता है, और माल परिचलन के विना और उत्पादों के प्रत्यक्ष विनिमय के विना भी उत्पादों का परिवहन हो सकता है। क द्वारा ख को बेचा गया मकान एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं भटकता , यद्यपि वह माल रूप में परिचालित होता है। कपास या कच्चे लोहे जैसे चल माल मूल्य दर्जनों परिचलन प्रक्रियाओं से गुजरते , सट्टेवाजों द्वारा ख़रीदे और फिर बेचे जाते समय भी उसी गोदाम में पड़े रह सकते हैं। दरअसल चीज़ यहां गति करती है, वह माल पर मिल्कियत का हक़ है, न कि खुद माल। दूसरी ओर, इंका लोगों के देश में परिवहन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी, यद्यपि सामाजिक उत्पाद न तो माल रूप में परिचलन करता था, न विनिमय द्वारा वितरित होता था। फलतः पूंजीवादी उत्पादन पर आधारित परिवहन उद्योग परिवहन लागत का कारण तो प्रतीत होता है, किन्तु वाह्याकृति का यह विशेष रूप स्थिति को ज़रा भी नहीं 1 . बदलता। 3 परिवहन से उत्पादों की मात्रा में वृद्धि नहीं होती। न कुछ अपवादों को छोड़कर परिवहन द्वारा उनके नैसर्गिक गुणों में लाया गया कोई संभव परिवर्तन अभिप्रेत उपयोगी प्रभाव ही होता है, बल्कि वह अपरिहार्य दोष ही होता है। किन्तु चीज़ों का उपयोग मूल्य उनके उपभोग में ही मूर्त होता है, और उनका उपभोग इन चीजों का स्थान परिवार्तन आवश्यक बना सकता है, अतः परिवहन उद्योग में एक अतिरिक्त उत्पादन प्रक्रिया आवश्यक हो सकती है। इस उद्योग में लगाई गई उत्पादक पूंजी अंशतः परिवहन साधनों से मूल्य स्थानान्तरित करके और अंशतः परिवहन में किये हुए श्रम के ज़रिये मूल्य वृद्धि करके परिवाहित उत्पादों को मूल्य प्रदान करती है। समस्त पूंजीवादी उत्पादन की तरह यह अन्तिम मूल्य वृद्धि भी मजदूरी के प्रति- स्थापन और वेशी मूल्य से वनती है। प्रत्येक उत्पादन प्रक्रिया में श्रम वस्तु और आवश्यक श्रम उपकरणों तथा श्रम शक्ति का स्थानपरिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निवाहता है, जैसे कताई खाते तक ले जायी गयी कपास अथवा खान कूपक से सतह पर लाया गया कोयला। तैयार उत्पाद का तैयार सामान की तरह एक स्वतंत्र उत्पादन स्थल से दूर स्थित अन्य स्थान तक पारगमन इसी परिघटना को केवल और बड़े पैमाने पर दर्शाता है। इसके अलावा एक उत्पादक प्रतिष्ठान से दूसरे तक उत्पादों के परिवहन के बाद एक दूसरी क्रिया होती है : तैयार उत्पादों का उत्पादन क्षेत्र से उपभोग क्षेत्र में पहुंचना। जव तक उत्पाद ये सारी गतियां पूरी न कर ले , तव तक वह उपभोग के लिए तैयार नहीं होता। जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, माल उत्पादन का सामान्य नियम कहता है : श्रम की उत्पादिता उसके द्वारा सृजित मूल्य के व्युत्क्रमानुपात में होती है। अन्य किसी उद्योग की तरह यह वात परिवहन उद्योग के बारे में भी सही है। किसी निश्चित दूरी तक माल परिवहन के 17 श्तोल इसे "circulation factice" [ मिथ्या परिचलन] कहते हैं।