पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१७०

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पेणगी पूंजी का कुल आवर्त। पावर्त चक्र १६६ . रूप है, तो यह गुणात्मक एकरूपता नहीं पैदा होती, क्योंकि उ के निश्चित तत्वों का वस्तुरूप में लगातार प्रतिस्थापित करना आवश्यक होता है, जब कि दूसरों का नहीं होता। फिर भी द्र द्र रूप निस्सन्देह आवर्त की यह एकरूपता पैदा करता है। उदाहरण के लिए १०,००० पाउंड की मशीन ले लीजिये , जो दस साल चलती है। इसका दसवां हिस्सा अथवा १,००० पाउंड प्रति वर्ष द्रव्य में पुनःपरिवर्तित होता है। ये १,००० पाउंड एक वर्ष के भीतर द्रव्य पंजी से उत्पादक पूंजी तथा फिर माल पूंजी में परिवर्तित हुए हैं और इससे फिर द्रव्य पूंजी में पुनःपरिवर्तित हुए हैं। वे अपने मूल रूप , द्रव्य रूप में वैसे ही लौट आये हैं, जैसे प्रचल पूंजी , यदि हम उसका इस रूप में अध्ययन करें और यहां इस बात का कोई महत्व नहीं कि एक साल बीतने पर १,००० पाउंड की यह द्रव्य पूंजी किसी मशीन के भौतिक रूप में फिर से परिवर्तित की जाती है या नहीं। इसलिए पेशगी उत्पादक पूंजी का कुल आवर्त आंकते समय हम उसके सभी तत्वों को द्रव्य रूप में नियत करते हैं, जिससे कि उस रूप में वापसी आवर्त को पूरा करे। हम यह मान लेते हैं कि मूल्य सदा द्रव्य रूप में पेशगी दिया जाता है - उत्पादन की निरन्तर प्रक्रिया में भी, जहां मूल्य का यह द्रव्य रूप केवल लेखा-मुद्रा होता है। इस प्रकार हम श्रीसत का अभिकलन कर सकते हैं। ३. इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि पेशगी उत्पादक पूंजी का वृहत्तर भाग भी स्थायी पूंजी हो, जिसका पुनरुत्पादन काल और इसलिए आवर्त काल भी अनेक वर्षों का चक्र हो, तो भी एक वर्ष में प्रावर्तित पूंजी मूल्य उसी वर्ष में प्रचल पूंजी के पुनरावृत्त प्रावर्तो के कारण पेशगी पूंजी के कुल मूल्य से ज्यादा बड़ा हो सकता है। मान लीजिये कि स्थायी पूंजी ८०,००० पाउंड है और उसका पुनरुत्पादन काल १० वर्ष है, जिससे उसमें से ८,००० पाउंड प्रति वर्ष अपने द्रव्य रूप में लौट आते हैं अथवा वह अपने आवर्त का दसवां हिस्सा पूरा करती है। यह भी मान लीजिये कि प्रचल पूंजी २०,००० पाउंड है और उसका आवर्त साल में पांच बार पूरा होता है। तव कुल पूंजी १,००,००० पाउंड होगी। आवर्तित स्थायी पूंजी ८,००० पाउंड है ; आवर्तित प्रचल पूंजी २०,००० पाउंड का पांच गुना अथवा १,००,००० पाउंड है। तब एक वर्ष के भीतर आवर्तित पूंजी १,०८,००० पाउंड , अथवा पेशगी पूंजी से ८,००० पाउंड अधिक होगी। पूंजी के १+२/२५ भाग आवर्तित . . - . . . ४. इसलिए पेशगी पूंजी के मूल्य का आवर्त काल उसके वास्तविक पुनरुत्पादन काल से अथवा उसके घटकों के वास्तविक प्रत्यावर्तन काल से , भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, ४,००० पाउंड की पूंजी ले लीजिये और उसे वर्ष में, मसलन , पांच वार प्रावर्तित होने दीजिये। प्रावर्तित पूंजी तव ४,००० पाउंड का पांच गुना अथवा २०,००० पाउंड होगी। किन्तु प्रत्येक यावर्त के अन्त में नये सिरे से पेशगी दिये जाने के लिए जो कुछ आवर्तित होता है, वह मूलतः ४,००० पाउंड की पेशगी पूंजी ही है। उसका परिमाण आवर्त कालों की संख्या से नहीं बदलता जिनके दौरान वह पूंजी के नाते अपने कार्य नये सिरे से करती है (वेशी मूल्य को छोड़कर)। इस प्रकार क्रमांक ३ के अन्तर्गत दिये गये उदाहरण में एक वर्ष के बाद जो राशि पूंजीपति के पास लौटकर आती हुई मानी गई है, वह इस प्रकार है : क) २०,००० पाउंड की मूल राशि , जिसे वह पूंजी के प्रचल घटकों में फिर लगाता है, और ख ) ८,००० पाउंड की राशि , जो छीजन के कारण पेशगी स्थायी पूंजी के मूल्य से मुक्त हो गई है। इसके साथ- .