पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१७२

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पेशगी पूंजी का कुल आवर्त । पावर्त चक्र १७१ यावर्तित होता है; और वाक़ी चीया हिस्सा , जो मज़दूरी देने और सामग्री खरीदने के काम अाता है, साल में दो बार प्रावर्तित होता है। मान लीजिये , उसकी कुल पूंजी ५०,००० डालर है। तव उसका मालाना खर्च यह होगा: . २५,००० डालर: १० २,५०० डालर १२,५०० डालर : २-६,२५० डालर १२,५०० डालरx२-२५,००० डालर ३३,७५० डालर एक और + उसकी पूंजी के प्रावर्तित होने की माध्य अवधि लगभग सोलह महीने होगी*. मिसाल ले लीजिये मान लीजिये , समूची पूंजी का चौथाई हिस्सा दस साल में, चौथाई हिस्सा साल भर में और शेष आधा हिस्सा वर्ष में दो वार परिचलन करता है। तव सालाना ख़र्च यह होगा: १२,५०० डालर: १० = १,२५० डालर १२,५०० डालर १२,५०० डालर २५,००० डालरX२-५०,००० डालर १ वर्ष में प्रावर्तित - ६३,७५० डालर ( स्क्रोप, Pol. Econ., सम्पादक - अलोंजो पॉटर, न्यूयार्क, १८४१, पृष्ठ १४२, १४३ ) । ** ६. पूंजी के विभिन्न भागों के आवर्त में वास्तविक और अाभासी अन्तर। वही स्कोप उसी अंश में कहते हैं : “कोई कारखानेदार, फ़ार्मर या सौदागर अपने श्रमिकों को मजदूरी देने में जो पूंजी व्यय करता है, वह सबसे अधिक तेज़ी से परिचलन करती है , क्योंकि वह सम्भवतः सप्ताह में एक बार ( यदि उसके आदमियों को हफ्तावार मजदूरी मिलती हो ) उसके विलों अथवा विक्री की हफ़्तावार प्राप्तियों से आवर्त कर लेती है। उसकी सामग्री और हस्तगत स्टॉक में निवेशित पूंजी कम तेजी से परिचालित होती है, क्योंकि यदि यह मान लें कि वह समान उधार पर माल खरीदता और वेचता है, तो एक की ख़रीद और दूसरी की विक्री के बीच लगे समय के अनुसार उसकी पूंजी साल में शायद दो वार या चार वार आवर्त करती है। उसकी मशीनों और उपकरणों में निवेशित पूंजी और भी धीरे परिचालित होती है , क्योंकि वह श्रीसतन पांच या दस साल में शायद एक ही वार प्रावर्तित होती, अर्थात खपती और नवीकृत होती है, यद्यपि बहुत से अौजार ऐसे होते हैं, जो क्रियाओं को एक ही शृंखला में छीज जाते हैं। जो पूंजी इमारतों, मिलों, दूकानों, कोठियों, गोदामों, सड़कों, सिंचाई, . -

  • पाण्डुलिपि में मार्क्स पूंजी आवर्त काल का परिकलन करने की ऐसी विधि की भ्रामकता

की ओर इंगित करते हैं। उद्धरण में ही पावर्त की माध्य अवधि ( १६ महीने) ५०,००० डालर की कुल पूंजी पर ७.५ प्रतिशत के लाभ को ध्यान में रखते हुए परिकलित की गई थी। लाभ को परिकलन से निकाल दें, तो पूंजी का आवर्त काल १८ महीने हो जाता है। - सं० जिस किताव का हवाला दिया गया है, वह है A. Potter, Political Economy, its Objccts, Uses, and Principles, New York, 1840. लेखक के "विज्ञापन" के ATETT 91119 FT CAT TT 1895: G. I. P. Scrope, The Principles of Political Economy, लन्दन , १८३३ का पुनर्मुद्रण है (जिसमें पॉटर ने बहुत तवदीलियां की हैं)।-सं०