पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१७४

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पेशगी पूंजी का कुल आवर्त । यावर्त चक्र १७३ कारण अलग-अलग होता है। इनमें से एक, उत्पादक पूर्ति के नाते लम्बी अवधि के लिए खरीदा जाता है, और दूसरा-श्रम शक्ति - अल्प अवधि , यथा सप्ताह भर के लिए खरीदा जाता है। दूसरी ओर पूंजीपति के लिए उत्पादन के लिए सामग्री के अतिरिक्त तैयार उत्पाद का भी जमा रहना आवश्यक होता है। विक्री की कठिनाइयां हम एक तरफ़ छोड़ देते हैं। सामान की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करना ही होगा , मान लीजिये कि आर्डर पर। इधर इस सामान के अन्तिम अंश का उत्पादन हो रहा होता है , उधर प्रार्डर के पूर्णतः पूरा हो जाने तक तैयार उत्पाद गोदाम में पड़ा रहता है। जब भी प्रचल पूंजी के कुछ पृथक तत्वों को उत्पादन प्रक्रिया की किसी प्रारम्भिक मंजिल में अन्य तत्वों की अपेक्षा देर तक रहना होता है ( काठ को सुखाना , इत्यादि ), तब उसके आवर्त में दूसरे अन्तर पैदा होते हैं। जिस उधार व्यवस्था का हवाला यहां स्क्रोप ने दिया है, वह तथा वाणिज्यिक पूंजी भी वैयक्तिक पूंजीपति के लिए आवर्त को रूपांतरित करती है। सामाजिक पैमाने पर वह आवर्त को वहीं तक रूपांतरित करती है कि वह उत्पादन ही नहीं, उपभोग की गति को भी तीव्र करती है। -