पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१७९

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१७८ पूंजी का प्रावत . 1 1 " . भाग या तो उनके कारीगरों की मजदूरी के रूप में या उनकी सामग्री की कीमत के रूप में परिचालित होता है, और काम की कीमत के जरिये मुनाफ़े के साथ लौटता है।" मुनाफ़े के स्रोत के अज्ञानतापूर्ण निर्धारण के अलावा उनकी कमजोरी और उलझन तुरंत ही निम्नलिखित वातों से स्पष्ट हो जाती है : उदाहरण के लिए, मशीन निर्माता के लिए मशीन उसका उत्याद है, जो माल पूंजी के रूप में परिचालित होती है अथवा ऐडम स्मिथ के शब्दों में “जुदा होती है, मालिक बदलती है, आगे परिचालित होती है"। इसलिए खुद उनकी परिभाषा के अनुसार यह मशीन स्थायी नहीं, प्रचल पूंजी होगी। यह उलझाव पुनः इस तथ्य से पैदा होता है कि स्मिथ स्थायी और प्रचल पूंजी के भेद को, जो उत्पादक पूंजी के विभिन्न तत्वों के नानाविध परिचलन से उत्पन्न होता है, ल्प के उन भेदों से मिला देते हैं, जिन्हें वही पूंजी धारण करती है, जो उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादक पूंजी की तरह और प्रचल पूंजी की तरह अर्थात माल पूंजी अथवा द्रव्य पूंजी की हैसियत से परिचलन क्षेत्र में कार्य करती है। फलतः ऐडम स्मिथ के लिए चीजें स्थायी पूंजी का (श्रम उपकरणों का, उत्पादक पूंजी के तत्वों का) कार्य कर सकती हैं अथवा 'प्रचल" पूंजी का, माल पूंजी का ( उस उत्पाद का, जो उत्पादन क्षेत्र से निकालकर परिचलन क्षेत्र में डाल दिया गया है) कार्य कर सकती हैं; यह सब पूंजी की जीवन-प्रक्रिया में उन्हें प्राप्त उनकी स्थिति पर निर्भर है। किन्तु ऐडम स्मिय अचानक अपने वर्गीकरण का समूचा आधार वदल देते हैं, और कुछ ही पंक्तियों पहले उन्होंने जिस कथन से सारे विश्लेपण का प्रारम्भ किया था, उसका खंडन कर देते हैं। यह वात विशेषतः उनके इस कथन पर लागू होती है : “पूंजी को दो भिन्न तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे कि वह अपने मालिक को प्राय या मुनाफ़ा दे सके" [खण्ड २, पृष्ठ २५४ ], अर्थात प्रचल पूंजी के अथवा स्थायी पूंजी के रूप में। अतः इस कथन के अनुसार ये एक दूसरे से स्वतंत्र , विभिन्न पूंजियों के उपयोग के विभिन्न तरीके हैं, जैसे ऐसी पूंजियां, जो उद्योग में अथवा कृपि में प्रयुक्त हो सकती हैं। और इसके बाद हम पढ़ते हैं [खण्ड २, पृष्ठ २२५] : " भिन्न-भिन्न पेशों में उनमें प्रयुक्त स्थायी और प्रचल पूंजी के अत्यंत भिन्न-भिन्न अनुपातों की आवश्यकता होती है।" स्थायी और प्रचल पूंजी अब पूंजी के विभिन्न , स्वतंत्र निवेश नहीं हैं, वरन एक ही उत्पादक पूंजी के विभिन्न अंश हैं, जिनसे विभिन्न निवेश क्षेत्रों में इस पूंजी के समग्र मूल्य के विभिन्न अंश बनते हैं। अतः यहां हमारे सामने स्वयं उत्पादक पूंजी के उपयुक्त विभाजन से उत्पन्न भेद हैं और इसलिए वे केवल उसी के संदर्भ में संगत हैं। किन्तु यह वात इस स्थिति के ख़िलाफ़ बैठती है कि व्यापारी पूंजी, केवल प्रचल पूंजी होने के कारण स्थायी पूंजी की प्रतिमुखी होती है, क्योंकि ऐडम स्मिथ स्वयं कहते हैं : "उदाहरण के लिए, व्यापारी की पूंजी पूर्णतः प्रचल पूंजी है" [ खण्ड २, पृष्ठ २५५ । वह सच ही ऐसी पूंजी है, जो केवल परिचलन क्षेत्र में अपने कार्य सम्पन्न करती है और इस हैसियत से वह सामान्यतः उत्पादक पूंजी के, उत्पादन प्रक्रिया में समाविष्ट पूंजी के प्रतिमुख होती है। किन्तु इसी कारण उत्पादक पूंजी के प्रचल संघटक अंश के रूप में उसे उसके स्थायी संघटक अंश के मुक़ाबले नहीं रखा जा सकता। स्मिथ ने जो उदाहरण दिये हैं, उनमें उन्होंने “व्यवसाय के उपकरणों" को स्थायी पूंजी की, और जो पूंजी अंश मजदूरी में तथा सहायक सामग्री समेत कच्चे माल में व्यय होता है, उसे प्रचल पूंजी की संज्ञा दी है ( "काम की कीमत के जरिये मुनाफ़े के साथ लौटता है")। इस प्रकार वह पहले तो एक अोर श्रम प्रक्रिया के विभिन्न घटकों से : श्रम शक्ति (श्रम) - 1 .