पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८५

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१८४ पूंजी का प्रावत समूची उपज बेच दी जाती और उनके मूल्यांश से दूसरे मालिक का बीज खरीदा जाता, तो वह प्रबल पूंजी होता। एक स्थिति में " मालिकों की बदली" होती है, दूसरी में नहीं होती। स्मिय यहां फिर एक बार प्रचल पूंजी और माल पूंजी को उलझा देते हैं। उत्पाद माल पूंजी का भौतिक वाहन होता है, किन्तु निस्सन्देह उसके सिर्फ़ उस भाग का , जो परिचलन में वस्तुतः प्रवेश करता है और जिस उत्पादन प्रक्रिया से वह उत्पाद के रूप में निकला था, उसमें पुनः प्रत्यक्ष प्रवेश नहीं करता। वीज चाहे उपज ने उसके अंश रूप में प्रत्यक्षतः निकाला जाता है, चाहे सारी उपज वेच दी जाती है और उसके मूल्य का एक भाग दूसरे ग्रादमी के बीज की खरीद में परिवर्तित किया जाता है - किसी भी स्थिति में जो होता है, वह प्रतिस्थापन मात्र है और इस प्रतिस्थापन द्वारा कोई मुनाफ़ा नहीं कमाया जाता। एक स्थिति में वीज उपज के शेप भाग के साथ माल की हैसियत से परिचलन में प्रवेश करता है ; दूसरी स्थिति में वह पेशगी पूंजी के मूल्य के घटक रूप में केवल हिसाव में सामने आता है। किन्तु दोनों ही स्थितियों में वह उत्पादक पूंजी का प्रचल घटक बना रहता है। उपज तैयार करने में वीज पूरी तरह खप जाता है और पुनरुत्पादन को सम्भव बनाने के लिए उसका उपज में से पूर्णतः प्रतिस्थापन करना आवश्यक होता है। 'इसलिए कच्चे माल और सहायक पदार्थों का वह विशिष्ट रूप जाता रहता है, जो उन्होंने श्रम प्रक्रिया में प्रवेश करते समय धारण कर रखा था। श्रम के औजारों के साथ ऐसा नहीं होता। औजार, मशीनें, वर्कशाप और वरतन केवल उसी वक्त तक श्रम प्रक्रिया में काम आते हैं, जिस वक्त तक कि उनका मूल रूप कायम रहता है और जिस वक्त तक वे हर रोज़ सुवह को अपनी पहले जैसी शक्ल में ही प्रक्रिया को फिर से प्रारम्भ करने के लिए तैयार रहते हैं और जिस तरह वे अपने जीवन काल में , यानी उस श्रम प्रक्रिया के दौरान , जिसमें वे भाग लेते रहते हैं, अपनी शक्ल को पैदावार से स्वतंत्र ज्यों की त्यों कायम रखते हैं, उसी तरह मृत्यु के बाद भी वे अपनी शक्ल को कायम रखते हैं। मुरदा मशीनों, प्रौज़ारों, वर्कशापों, आदि की लाशें उस पैदावार से विल्कुल भिन्न और अलग होती हैं, जिसके उत्पादन में उन्होंने HCE Î" (Buch I, Kap. VI, S. 192)* 1 उत्पाद तैयार करने में उत्पादन साधनों के खपने के इन अलग-अलग तरीक़ों- उनमें से कुछ उत्पाद के संदर्भ में अपना स्वतंत्र रूप बनाये रखते हैं, अन्य उसे बदल देते हैं या पूर्णतः खो देते हैं, -स्वयं श्रम प्रक्रिया से सम्बद्ध इस अंतर और इसलिए केवल अपनी ज़रूरतें, जैसे कि बिना किसी तरह के विनिमय के , बिना माल उत्पादन के पितृतंत्रात्मक परिवार की ओर लक्षित श्रम प्रक्रियाओं से सम्बद्ध अंतर को भी ऐडम स्मिथ झुठलाते हैं। ऐसा वह इस प्रकार करते हैं : १) यह दावा करते हुए कि उत्पादन के कुछ साधन अपना रूप कायम रखकर और अन्य उसे खोकर, अपने मालिक को मुनाफ़ा देते हैं, यहां लाभ की नितान्त अप्रासंगिक परि- भापा का समावेश करके ; २) उत्पादन तत्वों के एक भाग के परिवर्तनों को, जो श्रम प्रक्रिया में होते हैं, रूप के उस परिवर्तन ( क्रय-विक्रय ) के साथ उलझाकर जो उत्पाद के विनिमय की, माल परिचलन की विशेषता है और जिसमें इसके साथ ही परिचालित मालों के स्वामित्व का परिवर्तन सम्मिलित होता है। यावर्त परिचलन द्वारा, अतः माल की विक्री हारा, उसके द्रव्य में परिवर्तन तथा द्रव्य - , • हिन्दी संस्करण : अध्याय ८, पृष्ठ २२८-२२६ । -सं०