पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८७

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पूंजी का प्रावत 1 (1 के अनुसार बदलती हैं। अपनी वारी में स्थायी और अस्थायी पूंजी की परिभाषाएं इन तत्वों द्वारा श्रम प्रक्रिया में, अतः मृत्य निर्माण प्रक्रिया में भी अदा की जानेवाली निश्चित भूमिकानों पर ग्राधारित हैं। दूसरी बात यह कि स्थायी तथा अस्थायी पूंजी में सम्मिलित चीजों की गणना करने पर यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि स्मिय उत्पादक पूंजी के स्थायी तथा प्रचल घटकों में भेद को, जो केवल उत्पादक पूंजी (अपने उत्पादक रूप में पूंजी) के संदर्भ में उचित और अर्थवान होता है, उत्पादक पूंजी और उन रूपों के बीच के भेद के साथ मिला देते हैं, जो पूंजी से उसकी परिचलन प्रक्रिया में, अर्थात माल पूंजी और द्रव्य पूंजी से सम्बद्ध होते हैं। वह उसी अंश में (पृष्ठ १८७, १८८) कहते हैं : “प्रचल पूंजी में... रसद, सामग्री और हर तरह का तैयार सामान होते हैं, जो अपने-अपने विक्रेताओं के हाथ होते हैं; और प्रचल पूंजी वह द्रव्य होता है, जो उनके परिचलन और वितरण के लिए अावश्यक होता है , इत्यादि।" दरअसल, यदि हम और ध्यानपूर्वक देखें, तो पता चलेगा कि स्मिथ के पहले कथनों के विपरीत यहां प्रचल पूंजी को फिर माल पूंजी और द्रव्य पूंजी के, अर्थात पूंजी के उन दोनों रूपों के वरावर कर दिया गया है, जो उत्पादन प्रक्रिया से कतई सम्बद्ध नहीं हैं, जो स्थायी पूंजी के मुकाबले प्रचल (अस्थिर ) पूंजी नहीं बनते, वरन उत्पादक पूंजी के मुक़ावले परिचलन पूंजी वनते हैं। उत्पादक पूंजी के सामग्री में ( कच्चे माल अथवा अघतैयार उत्पाद के रूप में) पेशगी दिये गये और उत्पादन प्रक्रिया में वस्तुतः समाविष्ट घटक सिर्फ़ इनके साथ-साथ ही फिर कोई भूमिका अदा करते हैं। वह कहते हैं: समाज का सामान्य स्टॉक जिन तीन भागों में नैसर्गिक रूप से वंट जाता है, उनमें तीसरा और आखिरी भाग प्रचल पूंजी है, जिसकी विशेषता यह है कि यह परिचालित होकर अथवा मालिक बदलकर ही पाय दे सकता है। इसमें भी उसी प्रकार चार भाग होते हैं : पहला , द्रव्य ( किन्तु द्रव्य उत्पादक पूंजी का, उत्पादन प्रक्रिया में कार्यरत पूंजी का रूप कभी नहीं होता, वह सदा उन रूपों में से केवल एक रूप होता है, जिन्हें पूंजी अपनी परिचलन प्रक्रिया में धारण करती है); "दूसरा, रसद का भण्डार, जो कसाई, पशुचारक , फ़ार्मर के पास , होता है जिसकी बिक्री से वे मुनाफ़ा कमाने की आशा करते हैं ... चीथा और आखिरी, वह सामान , जो वन और पूरा हो चुका है, किन्तु जो अव भी व्यापारी और कारखानेदार के पास है। और तीसरा, वह सामग्री, जो चाहे पूरी तरह कच्ची हो, चाहे थोड़ी वहुत तैयार हो चुकी हो, वस्त्र , फ़र्नीचर तथा इमारतें, जिन्हें अभी इन तीनों में से कोई प्राकार नहीं दिया गया है, किन्तु जो अभी उत्पादकों, कारखानेदारों, रेशमफ़रोशों और वजाजों, काठफ़रोशों, बढ़इयों और मिस्तरियों, भट्टेवालों, वगैरह २ और ४ में उन उत्पादों के अलावा और कुछ नहीं है, जिन्हें उसी रूप में उत्पादन प्रक्रिया से निकाल दिया गया है और वेचा जाना होगा, संक्षेप में, जो अब मालों का , अतः माल पूंजी का कार्य करते हैं और इसलिए जिनका रूप है और उस प्रक्रिया में एक स्थान है, जिसमें वे उत्पादक पूंजी के तत्व नहीं हैं, उनका अन्तिम लक्ष्य चाहे जो हो, अर्थात अपने उद्देश्य ( उपयोग मूल्य) की पूर्ति के लिए वे चाहे निजी उपभोग में जायें, चाहे उत्पादक उपभोग में। २ में उल्लिखित उत्पाद खाद्य पदार्थ हैं, ४ में अन्य सभी तैयार उत्पाद हैं, जिनमें अपनी वारी में केवल तैयार श्रम उपकरण अथवा तैयार उपभोग वस्तुएं हैं (२ में उल्लिखित खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ)। 11 पास हैं।" .