पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८९

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पूंजी का प्रावर्त प स्मिय के विवेचन में 3 के अन्तर्गत कच्चा माल (ऐसा माल जो अभी तैयार नहीं किया गया है, अधतयार उत्साद , नहायक नामग्री ), एक और उत्पादक पूंजी में समाविष्ट घटक के. रूप में नहीं, वरन वाल्लव में केवल उपयोग मूल्यों की एक विशेष कोटि के रूप में, जो किसी प्रकार भी सामाजिक उत्पाद में समाहित हो सकते हैं , २ तथा ४ में उल्लिखित अन्य भौतिक घटकों, निर्वाह साधनों, ग्रादि के साथ-साथ अस्तित्वमान मालों की विशेष कोटि के रूप में सामने पाता है। दूसरी ओर इन मालों को दरअसल उत्पादक पूंजी में समाविष्ट और इसलिए उत्पादक के हाथ में उत्पादक पूंजी तत्व बताया जाता है। उलझन इस बात से स्पष्ट है कि इन मालों को अंशतः उत्पादक के हाथ में कार्यरत माना गया है (“उत्पादकों, कारखानेदारों, अादि") और अंशतः व्यापारियों ( " रेशमफ़रोगों, बजाजों, काठफ़रोशों" ) के हाथ में कार्यरत माना गया है, जहां वह उत्पादक पूंजी का घटक नहीं है, केवल माल पूंजी है। वस्तुतः प्रचल पूंजी के तत्वों का वर्णन करते समय ऐडम स्मिथ यहां स्थायी और प्रचल पंजी के भेद को - जो केवल उत्पादक पूंजी पर लागू होता है - विल्कुल भूल जाते हैं। उन्होंने माल पूंजी और द्रव्य पूंजी को, अर्यात परिचलन प्रक्रिया के लाक्षणिक पूंजी के दोनों रूपों को उत्पादक पूंजी के मुकाबले ही प्रस्तुत किया है, किन्तु उन्होंने ऐसा बिल्कुल अनजाने ही किया है। अन्त में यह बात भी मा की है कि प्रचल पूंजी के घटकों की गणना करते समय ऐडम स्मिथ श्रम शक्ति का नाम लेना भूल जाते हैं। इसके दो कारण हैं। हमने अभी देखा है कि द्रव्य पूंजी के अलावा प्रचल पूंजी माल पूंजी का वस एक और नाम ही है। किन्तु जिस सीमा तक श्रम शक्ति का बाजार में परिचलन होता है, वह पूंजी नहीं होती , माल पूंजी का कोई रूप नहीं होती। वह पूंजी होती ही नहीं ; मजदूर पूंजीपति नहीं होता, यद्यपि वह वाज़ार में बेचने के लिए एक माल यानी अपनी ही चमड़ी लाता है। जब तक श्रम शक्ति विक नहीं जाती, उत्पादन प्रक्रिया में समाविष्ट नहीं हो जाती, अतः जब तक माल रूप में उसका परिचलन बन्द नहीं हो जाता, वह उत्पादक पूंजी का घटक , वेशी मूल्य के स्रोत के रूप में परिवर्ती पूंजी , उसमें निविष्ट पूंजी मूल्य के प्रावर्त के संदर्भ में उत्पादक पूंजी का प्रचल घटक नहीं बनती। चूंकि स्मिथ यहां प्रचल पूंजी को माल पूंजी के साथ उलझा देते हैं, इसलिए वह श्रम शक्ति को प्रचल पूंजी के तहत नहीं ला सकते। अतः परिवर्ती पूंजी यहां उन मालों के रूप में प्रकट होती है, जिन्हें मजदूर अपनी मजदूरी से खरीदता है, अर्थात निर्वाह साधन । इन रूप में मजदूरी में निविप्ट पूंजी मूल्य को प्रचल पूंजी में माना जाता है। उत्पादन प्रक्रिया में जिस चीज का समावेश होता है, वह श्रम शक्ति है, स्वयं श्रमिक है, निहि साधन नहीं, जिनके द्वारा श्रमिक ख द को जिन्दा रखता है। बेशक हम देख चुके हैं (Buch I, Kap. XXI)* कि समाज के दृष्टिकोण से अपने वैयक्तिक उपभोग द्वारा स्वयं श्रमिक का पुनरुत्पादन भी सामाजिक पूंजी की पुनरुत्पादन प्रक्रिया का एक अंग होता है। किन्तु यह वात उत्पादन की उस पृथक , वियुक्त प्रक्रिया पर लागू नहीं होती, जिसका हम यहां अध्ययन कर रहे हैं। स्थायी पूंजी के तहत स्मिथ जिन “अर्जित और उपयोगी क्षमताओं" (पृष्ठ १८७) का उल्लेख करते हैं, वे इसके विपरीत चल पूंजी के घटक हैं, क्योंकि वे उजरती मजदूर की "क्षमताएं" हैं, और उसने अपना श्रम , उसकी “क्षमताओं" सहित बेचा है। समस्त सामाजिक सम्पदा को १) तात्कालिक उपभोग निधि, २) स्थायी पूंजी और 1 'हिन्दी संस्करण : अध्याय २३1-सं०