पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१९०

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स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत । प्रकृतितंत्रवादी और ऐडम स्मिथ १८६ , ३) प्रचल पूंजी में वांटना ऐडम स्मिथ की एक बड़ी ग़लती है। इसके अनुसार सम्पदा को इस प्रकार विभाजित करना होगा : १) उपभोग निधि, जो कार्यशील सामाजिक पूंजी का कोई भी अंश नहीं होती, यद्यपि उसके कुछ भाग पूंजी रूप में निरन्तर कार्य कर सकते हैं ; और ) पूंजी। तदनुसार सम्पदा का एक भाग पूंजी का कार्य करता है और दूसरा गैरपूंजी अथवा उपभोग निधि का। और यहां यह परम आवश्यकता उत्पन्न होती है कि समस्त पूंजी या तो स्थायी हो या प्रचल, यह कुछ-कुछ इस प्राकृतिक आवश्यकता जैसा ही है कि स्तनपायी जीव या तो नर हो या मादा। किन्तु हम देख चुके हैं कि स्थायी और प्रचल पूंजी का वैपरीत्य केवल उत्पादक पूंजी के तत्वों पर लागू होता है और फलतः इनके अलावा पूंजी-माल पूंजी और द्रव्य पूंजी- की एक यथेष्ट राशि ऐसे रूप में विद्यमान होती है, जो न स्थायी हो सकता है, न प्रचल। चूंकि पूंजीवादी उत्पादन के अन्तर्गत उत्पाद के उस भाग को छोड़कर, जिसे वैयक्तिक पूंजीवादी उत्पादक क्रय-विक्रय के विना उसके भौतिक रूप में उत्पादन साधनों की तरह पुनः प्रत्यक्ष उपयोग में ले लेते हैं, सामाजिक उत्पाद की समस्त राशि माल पूंजी की तरह बाज़ार में परिचालित होती है, इसलिए यह स्पष्ट है कि उत्पादक पूंजी के स्थायी और प्रचल तत्व ही नहीं, वरन उपभोग निधि के भी सभी तत्व माल पूंजी से प्राप्त होते हैं। यह बात इस कथन के बरावर है कि पूंजीवादी उत्पादन के आधार पर उत्पादन साधन और उपभोग वस्तुएं दोनों पहले माल पूंजी के रूप में प्रकट होती हैं, भले ही वाद को उनका उत्पादन साधनों के रूप में ही अथवा उपभोग वस्तुओं के रूप में ही उपयोग अभीष्ट हो, जैसे स्वयं श्रम शक्ति भी बाज़ार में माल रूप में पाई जाती है, यद्यपि माल पूंजी के रूप में नहीं । यही ऐडम स्मिथ की निम्नलिखित नई. उलझन का स्रोत है। वह कहते हैं : 'इन चार भागों में से" ("प्रचल" पूंजी के , अर्थात परिचलन प्रक्रिया में आनेवाली माल पूंजी और द्रव्य पूंजी के रूपों में उस पूंजी के भाग , जिसके दो भागों को ऐडम स्मिथ माल पूंजी के घटकों में भौतिक भेद करके चार बना देते हैं ) “तीन भाग - रसद , सामग्री और तैयार सामान उससे नियमित रूप में या तो सालाना या न्यूनाधिक अवधि पर निकाल लिये जाते हैं, या फिर स्थायी पूंजी में या तात्कालिक उपभोग के लिए आरक्षित स्टॉक में लगा दिये जाते हैं। प्रत्येक स्थायी पूंजी मूलतः प्रचल पूंजी से प्राप्त होती है और इसके साथ ही उसे निरन्तर प्रचल पूंजी के सहारे की भी आवश्यकता होती है। सभी उपयोगी मशीनें और व्यवसाय के उपकरण मूलतः प्रचल पूंजी से प्राप्त होते हैं, जो वह सामग्री उपलब्ध कराती है, जिससे वे वनते हैं और जो उन मजदूरों की जीविका जुटाती है, जो इनका निर्माण करते हैं। उन्हें वरावर चुस्त-दुरुस्त हालत में रखने के लिए उसी प्रकार की पूंजी भी दरकार होती है" (पृष्ठ १८८)। उत्पाद के उस भाग को छोड़कर, जिसका उसके उत्पादक उत्पादन साधनों के रूप में निरंतर पुनः प्रत्यक्ष उपभोग करते हैं, पूंजीवादी उत्पादन पर निम्नलिखित सामान्य स्थापना लागू होती है : सारा उत्पाद माल रूप में वाज़ार पहुंचता है, अतः वह पूंजीपति के लिए उसकी पूंजी के माल रूप में , माल पूंजी के रूप में परिचालित होता है, इससे कुछ अाता-जाता नहीं कि इस उत्पाद को अपने उपयोग मूल्य के अनुसार उत्पादक पूंजी के तत्वों ( उत्पादन प्रक्रिया के तत्वों) की तरह , उत्पादन साधनों की तरह और इसलिए उत्पादक पूंजी के स्थायी अथवा प्रचल तत्वों की तरह अपने भौतिक रूप में काम करना होता है या कर सकता है, या वह 1 .