पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१९९

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११८ पूंजी का आवतं 1 ही होता है। स्थायी और प्रचल पूंजी के बीच वैषम्य के दृष्टिकोण से विचार करने पर यह भेद अब केवल इस प्रकार होता है : किसी माल के उत्पादन के लिए प्रयुक्त श्रम उपकरणों का मूल्य माल के मूल्य में केवल अंशत: प्रवेश करता है और इसलिए उसकी विक्री द्वारा अंशतः ही प्रतिस्थापित होता है, इसलिए कुल मिलाकर केवल क्रमशः और खंडशः प्रतिस्थापित होता है। दूसरी ओर किसी माल के उत्पादन में प्रयुक्त श्रम शक्ति और श्रम की वस्तुओं ( कच्चा माल , आदि ) का मूल्य माल में पूर्णतः प्रवेश करता है, अतः उसकी विक्री द्वारा पूर्णतः प्रति- स्थापित होता है। जहां तक परिचलन प्रक्रिया का संबंध है, इस सिलसिले में पूंजी का एक भाग स्थायी बनकर आता है, और दूसरा भाग अस्थिर अथवा प्रचल वनकर। दोनों ही स्थितियों में यह दत्त, पेशगी मूल्यों के उत्पाद को अंतरण और उत्पाद की बिक्री द्वारा उनके प्रतिस्थापन का सवाल होता है। अब भेद केवल इस पर निर्भर करता है कि मूल्य का अंतरण , फलतः मूल्य का प्रतिस्थापन , खंडशः और क्रमशः होता है या एकसाथ। इस प्रकार परिवर्ती और स्थिर पूंजी के उस भेद को छिपा दिया जाता है, जिससे सभी कुछ निर्धारित होता है, अतः वेशी मूल्य के उत्पादन के और पूंजीवादी उत्पादन के सारे रहस्य को ही, जो उन परिस्थितियों को, जो कुछ मूल्यों को और उन चीजों को कि जिनमें ये मूल्य अपने आपको प्रकट करते हैं, पूंजी में रूपांतरित करती हैं, मिटा दिया जाता है। पूंजी के सभी घटकों को अब केवल उनके परिचलन के ढंगों से पहचाना जाता है (और निस्संदेह मालों के परिचलन का संबंध केवल पहले से विद्यमान मूल्यों से होता है); और मजदूरी में लगाई गई पूंजी श्रम उपकरणों पर लगाई गई पूंजी के प्रतिमुख कच्चे माल , अधतैयार उत्पाद, सहायक सामग्री पर लगाये पूंजी अंश जैसा ही परिचलन का ख़ास ढंग अपना लेती है। इसलिए यह बोधगम्य है कि वूर्जुमा राजनीतिक अर्थशास्त्र ऐडम स्मिथ के “स्थिर और परिवर्ती पूंजी" के संवर्गों के "स्थायी और प्रचल पूंजी" के संवर्गों के उलझाव के साथ क्यों स्वभावतः चिपका रहा और क्यों वह पीढ़ी दर पीढ़ी एक शताब्दी तक अालोचना किये बिना इसकी तोता-रटंत करता रहा। वूर्जुना राजनीतिक अर्थशास्त्र अव मजदूरी पर लगाये जानेवाले पूंजी अंश को कच्चे माल पर लगाये जानेवाले पूंजी अंश से ज़रा भी अलग नहीं करता और वह स्थिर पूंजी से केवल इस बात में औपचारिक रूप में भिन्न होता है कि उत्पाद द्वारा वह थोड़ा-थोड़ा करके परिचालित होता है या एकसाथ। इस प्रकार पूंजीवादी उत्पादन की, पूंजीवादी शोषण की वास्तविक गति को समझने का प्राधार एकवारगी दफ़ना दिया जाता है। यह केवल पेशगी मूल्यों के पुनः प्रकट होने का प्रश्न रह जाता है। रिकार्डो द्वारा स्मिथ के इस उलझाव को आंख मींचकर अपना लिया जाना वाद के पैरवीकारों की तुलना में ही नहीं, जिनमें विचारों का उलझाव कोई विशेष क्लेशजनक नहीं है, वरन स्वयं ऐडम स्मिथ की तुलना में भी अधिक क्लेशजनक है, क्योंकि ऐडम स्मिथ के विपरीत रिकार्डो मूल्य तथा वेशी मूल्य के अपने विश्लेषण में अधिक सुसंगत और प्रखर हैं और वस्तुतः वह सामान्य ऐडम स्मिथ के मुक़ाबले गूढ़ ऐडम स्मिथ का समर्थन करते हैं। प्रकृतितंत्रवादियों के यहां ऐसा कोई उलझाव नहीं है। Avances annuelles और avances primitives का भेद केवल विभिन्न, पूंजी घटकों, विशेषतः कृषि पूंजी के घटकों की विभिन्न पुनरुत्पादन अवधियों के बारे में है, जव कि वेशी मूल्य के उत्पादन के बारे में उनके विचार उनके उस सिद्धांत का अंग हैं, जो इन भेदों से स्वतंत्र है, जिस अंगको वे अतः 1 1