पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२०५

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२०४ पूंजी का प्रावतं " अधिकांश श्रम उपकरण करते हैं, तो वह भी स्थायी पूंजी हो जायेगी, यद्यपि वह श्रम उपकरण नहीं है। यहां प्रश्न ऐसी परिभापात्रों का नहीं है कि चीजों को जिनके अनुरूप करना ही होता है। यहां हम निश्चित कार्यों की बात कर रहे हैं जिनको निश्चित संवर्गों में व्यक्त करना आवश्यक है। यदि यह माना जाता है कि सभी परिस्थितियों में निर्वाह साधनों का एक गुण यह है कि वे मजदूरी में लगाई हुई पूंजी होते हैं, तो इस "प्रचल" पूंजी का एक गुण "श्रम का पोपण करना (रिकार्डो, पृष्ठ २५) भी होगा। यदि निर्वाह साधन “पूंजी" न होते , तो वे श्रम शक्ति का पोपण नहीं करते , जब कि उनका यह पूंजी का गुण ही उन्हें वाह्य श्रम द्वारा पूंजी का पोपण करने की क्षमता से युक्त करता है। यदि निर्वाह साधन अपने आप में प्रचल पूंजी हों- इस पूंजी के मज़दूरी में बदल दिये जाने के बाद -तो इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि मजदूरी का परिमाण श्रमिकों की संख्या तथा प्रचल पूंजी की दी हुई राशि के बीच अनुपात पर निर्भर करता है। यह एक प्रिय आर्थिक स्थापना है। किंतु वास्तविकता यह है कि निर्वाह साधनों की जो मात्रा श्रमिक वाज़ार से निकालता है और पूंजीपति के उपभोग के लिए निर्वाह साधनों की जो मात्रा सुलभ होती है, ये दोनों वेशी मूल्य के श्रम की कीमत के साथ अनुपात पर निर्भर करती हैं। वर्टन 299 की तरह रिकार्डो भी हर जगह स्थिर पूंजी से परिवर्ती पूंजी के संबंध को स्थायी पूंजी के प्रचल पूंजी के संबंध के साथ गड़वड़ा देते हैं । हम आगे देखेंगे कि यह लाभ की दर की उनकी छानबीन को किस हद तक विकृत कर देता है।* इसके अलावा आवर्त में स्थायी और प्रचल पूंजी की भिन्नता के अतिरिक्त अन्य कारणों से जो भेद उत्पन्न होते हैं, उन्हें रिकार्डो इस भिन्नता के साथ तद्प कर देते हैं : यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि प्रचल पूंजी अत्यंत असमान अवधियों में परिचलन कर सकती है अथवा अपने मालिक के पास वापस पा सकती है। कोई काश्तकार वोने के लिए जो गेहूं खरीदता है, वह उस गेहूं की तुलना में स्थायी पूंजी है, जिसे वेकर रोटियां बनाने के लिए ख़रीदता है। पहला उसे ज़मीन में रहने देता है और साल भर तक वह कोई प्रतिफल नहीं प्राप्त कर सकता, दूसरा उसे पिसवाकर मैदा बना सकता है, रोटी के रूप में उसे अपने ग्राहकों को बेच सकता है और अपनी पूंजी को फिर वही काम शुरू करने या हपते भर में कोई दूसरा काम शुरू करने के लिए ख़ाली रख सकता है।" 30 यहां यह लाक्षणिक है कि यद्यपि वोने के लिए इस्तेमाल करते समय गेहूं निर्वाह साधन का नहीं, कच्ची सामग्री का काम देता है, तो भी पहले वह प्रचल पूंजी होता है, क्योंकि वह अपने आप में निर्वाह साधन होता है, और दूसरे वह स्थायी पूंजी होता है, क्योंकि उसके प्रत्यावर्तन में साल भर से अधिक समय लगता है। किंतु उत्पादन साधन को स्थायी पूंजी वनाने का कारण केवल कमोवेश धीमे या तेज़ प्रत्यावर्तन ही नहीं, वरन उत्पाद में अपना मूल्य पहुं- चाने का उसका निश्चित ढंग भी होता है। 11 29a Observations on the Circumstances which Influence the Condition of the Labouring Classes of Society, London, 1817. प्रसंग से संवद्ध एक अंश खंड १, पृष्ठ ६५५, पादटिप्पणी ७६ [ हिंदी संस्करण , खंड १, पृष्ठ ७०७, टिप्पणी १] में उद्धृत किया गया है। कार्ल मार्क्स , 'पूंजी', अंग्रेजी संस्करण, खंड ३, अध्याय १-३।-सं० 30 Principles, etc., p. 26 and 27. .