पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२२६

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परिचलन काल २२५ लिए यदि एक पूंजीपति को अपने प्रतिद्वंद्वी की अपेक्षा अधिक शीघ्रतापूर्वक विक्रय करने का मौक़ा हो, यदि एक पूंजीपति दूसरे की अपेक्षा कार्य अवधि को घटाने के ज्यादा तरीके इस्तेमाल करता हो, इत्यादि)। विक्रय कालों और इस प्रकार सामान्यतः आवर्त कालों में भी भेद उत्पन्न करने में स्थायी तौर पर काम करनेवाला एक कारण उस वाजार का फ़ासला है, जहां कोई पण्य वस्तु अपनी पैदावार की जगह से ले जाकर वेची जाती है। वाज़ार की अपनी सारी यात्रा में पूंजी स्वयं को माल पूंजी की अवस्था में बंधा हुआ पाती है। यदि माल आर्डर पर तैयार किया गया है, तो यह स्थिति सुपुर्दगी के समय तक कायम रहती है, और अगर आर्डर पर तैयार नहीं किया गया है, तो बाज़ार तक के सफ़र में लगे समय में माल द्वारा बाज़ार में विकने के इंतजार में बिताया वक्त और जोड़ना होगा। संचार और परिवहन साधनों में सुधार पण्य वस्तुओं की परिभ्रमण अवधि में निरपेक्ष कटौती कर देता है, किंतु विभिन्न माल पूंजियों के परिभ्रमण से उत्पन्न उनके परिचलन काल में आनेवाले सापेक्ष अंतर को वह समाप्त नहीं करता और न उसी माल पूंजी के विभिन्न हाटों को जानेवाले विभिन्न भागों के परिचलन काल के सापेक्ष अंतर को ही समाप्त करता है। उदाहरण के लिए, सुघरे हुए पालदार जहाज़ और वाष्प पोत , जो यात्रा काल को घटाते हैं, वे दूर-पास के सभी बंदरगाहों के लिए समान रूप में ऐसा करते हैं। सापेक्ष अंतर वना रहता है, यद्यपि अकसर वह घट जाता है। किंतु संचार और परिवहन साधनों के विकास के परिणामस्वरूप सापेक्ष अंतर इस तरह इधर-उधर हो सकते हैं कि जो भौगोलिक फ़ासलों के अनुरूप न हों। उदाहरण के लिए, किसी उत्पादन स्थल से देश के भीतरी भाग में स्थित आवादी के केंद्र को जानेवाला रेलमार्ग भीतरी भाग में स्थित दूसरे निकटतर स्थान के फ़ासले को, जो रेल से जुड़ा हुआ नहीं है, भौगोलिक रूप में अव अधिक दूर स्थित स्थान की तुलना में सापेक्ष अथवा निरपेक्ष रूप में बढ़ा सकता है। इसी तरह वही परिस्थितियां बड़े बाजारों से उत्पादन स्थानों के सापेक्ष फ़ासले को बदल सकती हैं, जिससे संचार और परिवहन साधनों में तबदीली होने से उत्पादन के नये केंद्रों के अभ्युदय और पुराने केंद्रों के ह्रास को समझा जा सकता है। ( इसमें यह बात और जोड़ दी जानी चाहिए कि दूर की ढुलाई पास की ढुलाई से अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती है। ) फिर परिवहन साधनों के विकास से न सिर्फ स्थानगत गमनागमन का वेग त्वरित हो जाता है और इस प्रकार कालगत अर्थ में भौगोलिक दूरी कम हो जाती है। न सिर्फ़ सकल संचार साधनों का विकास हुआ है , जिससे कि उदाहरणतः अनेक जहाज़ एक ही वंदरगाह के लिए एक ही समय पर रवाना हो जाते हैं अथवा अनेक रेलगाड़ियां उन्हीं दो स्थानों के बीच विभिन्न रेल मार्गों पर एक ही समय दौड़ती हैं, बल्कि मालवाही जहाज़ उसी हफ्ते में, लगातार एक के बाद दूसरे दिन लिवरपूल से न्यूयार्क के लिए रवाना ो सकते हैं अथवा मालगाड़ियां एक ही दिन अलग-अलग समय पर मैनचेस्टर से लंदन के लिए रवाना हो सकती हैं। सही है कि इस अंतिम तथ्य से निरपेक्ष वेग- और इसलिए परिचलन काल का यह भाग भी- नहीं बदलता, क्योंकि परिवहन साधनों की एक निश्चित क्षमता नियत होती है। किंतु माल के ऋमिक परेपण अपनी यात्रा लघुतर अंतराल पर शुरू कर सकते हैं और इस तरह वास्तविक परेपण के पहले संभाव्य माल पूंजी के रूप में संचित हुए विना एक के बाद एक वाज़ार में पहुंच सकते हैं। अतः पूंजी का प्रत्यावर्तन भी इसी प्रकार की छोटी क्रमिक अवधियों में फैला हुआ है, जिससे उसका एक भाग लगातार द्रव्य पूंजी में रूपांतरित होता रहता है, जब कि दूसरा माल पंजी के रूप में परिचलन करता है। . . 15-1160