पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२३४

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पेशगी पूंजी के परिमाण पर आवर्त काल का प्रभाव २३३ . - . . + घटाया नहीं जा सकता और इस प्रकार प्रति सप्ताह पेशगी दी जानेवाली प्रचल पूंजी नहीं घटायी जा सकती, तव उत्पादन की अविच्छिन्नता केवल अतिरिक्त प्रचल पूंजी द्वारा कायम रखी जा सकती है, जो उपर्युक्त प्रसंग में ३०० पाउंड है। वारह हफ़्ते की आवर्त अवधि में १,२०० पाउंड का क्रमशः निवेश किया जाता है और ३०० पाउंड इस राशि का एक चौथाई हैं, जैसे तीन हफ़्ते वारह हफ्तों का एक चौथाई हैं। नौ हफ़्ते की कार्य अवधि के अंत में ६०० पाउंड का पूंजी मूल्य उत्पादक पूंजी के रूप से माल पूंजी के रूप में बदल चुका होता है। उसकी कार्य अवधि समाप्त हो जाती है, किंतु उसे उसी पूंजी से फिर शुरू नहीं किया जा सकता। जिन तीन हफ्तों में वह माल पूंजी का कार्य करता हुआ परिचलन क्षेत्र में रहता है, उतने समय में, जहां तक उत्पादन प्रक्रिया का संबंध है, वह एक ही अवस्था में रहता है मानो वह प्रक्रिया हो ही नहीं। प्रस्तुत प्रसंग में हम सारे उधार संबंधों को निकाल देते हैं और यह मान लेते हैं कि पूंजीपति अपने ही धन से काम करता है। किंतु पहली कार्य अवधि के लिए पेशगी पूंजी जब अपनी उत्पादक प्रक्रिया पूरी कर लेने पर तीन हफ़्ते परिचलन प्रक्रिया में बनी रहती है, तव ३०० पाउंड का अतिरिक्त पूंजी निवेश भी काम करता है, जिससे उत्पादन का अवि- च्छिन्न क्रम भंग नहीं होता। इसलिए इस सिलसिले में निम्नलिखित बातें ध्यान में रखना चाहिए : पहली : ६०० पाउंड की प्रथम पेशगी पूंजी की कार्य अवधि ६ हफ्तों के वाद समाप्त हो जाती है और जब तक तीन हफ़्ते वीत न जायें , तव तक , अर्थात तेरहवें हफ्ते के शुरू होने तक वह वापस नहीं आती। किंतु ३०० पाउंड की अतिरिक्त पूंजी के साथ नई कार्य अवधि तत्काल शुरू हो जाती है। इसके द्वारा उत्पादन का अविच्छिन्न क्रम बनाये रखा जाता है। दूसरी : ६०० पाउंड की मूल पूंजी और नौ हफ़्ते की पहली कार्य अवधि की समाप्ति पर जोड़ी गयी ३०० पाउंड की नई अतिरिक्त पूंजी, जो पहली कार्य अवधि की समाप्ति पर किसी अंतराल के विना दूसरी कार्य अवधि का उद्घाटन करती है, के कार्य आवर्त की पहली अवधि में स्पष्टतः अलग-अलग होते हैं अथवा कम से कम किये जा सकते हैं, जब कि आवर्त की दूसरी अवधि के दौरान वे एक दूसरे को काटते हैं। इस बात को और स्पष्ट करना चाहिए। वारह हफ्ते की आवर्त की पहली अवधि । नौ हफ्ते की पहली कार्य अवधि । इस अवधि के लिए जो पूंजी पेशगी दी जाती है, उसका आवर्त तेरहवें हफ्ते के शुरू होते समाप्त हो जाता है। आख़िरी तीन हफ्तों में ३०० पाउंड की अतिरिक्त पूंजी कार्य करती है, उससे नौ हफ्ते की दूसरी अवधि की शुरूआत होती है। आवर्त की दूसरी अवधि । तेरहवें हफ्ते के प्रारंभ में ६०० पाउंड वापस आ जाते हैं और एक नया आवर्त शुरू कर सकते हैं। किंतु अतिरिक्त ३०० पाउंड से दसवें हफ्ते में ही दूसरी कार्य अवधि शुरू की जा चुकी है। इसके फलस्वरूप तेरहवां हफ़्ता शुरू होते-होते एक तिहाई कार्य अवधि समाप्त हो चुकी होती है और उत्पादक पूंजी से ३०० पाउंड उत्पाद में परि- वर्तित हो चुके होते हैं। चूंकि दूसरी कार्य अवधि पूरी करने के लिए केवल छः हफ्ते और चाहिए, इसलिए दूसरी कार्य अवधि की उत्पादक प्रक्रिया में ६०० पाउंड की प्रत्यावर्तित पूंजी का केवल दो तिहाई, यानी केवल ६०० पाउंड प्रवेश कर सकते हैं। मूल ६०० पाउंड में से ३०० पाउंड अब उसी भूमिका के लिए मुक्त हो जाते हैं, जिसका निर्वाह पहली कार्य अवधि में ३०० पाउंड की अतिरिक्त पूंजी ने किया था। आवर्त की दूसरी अवधि का छठा