पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२४१

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२४० पूंजी का प्रावत . .. , ५१ हफ्तों के भीतर, जो यहां साल भर के वरावर है, पूंजी १४५० का ६ गुना अथवा २,७०० पाउंड की पण्य वस्तुओं का उत्पादन करती हुई पूरी छः कार्य अवधियां पार करती है और पूंजी २ पूरी ५ कार्य अवधियों में ४५० पाउंड का ५ गुना, यानी २,२५० पाउंड की पण्य वस्तुएं उत्पादित करती है। इसके अलावा पूंजी २ ने वर्ष के आखिरी डेढ़ हफ़्तों में ( ५० वें के मध्य से लेकर ५१ वें हफ्ते के अंत तक ) १५० पाउंड का अतिरिक्त माल पैदा किया। ५१ हफ्तों का कुल उत्पाद ५,१०० पाउंड का है। जहां तक वेशी मूल्य के प्रत्यक्ष उत्पादन का संबंध है, जो केवल कार्य अवधि के दौरान होता है , ६०० पाउंड की कुल पूंजी, ५२/३ वार (६०० का ५२/३ गुना ५,१०० पाउंड के वरावर है ) आवर्तित हो चुकेगी। किंतु यदि हम वास्तविक आवर्त पर विचार करें, तो पूंजी १ ५२/३ वार आवर्तित हुई है, क्योंकि ५१वें हफ्ते के अंत में उसकी छठी आवर्त अवधि के ३ हफ्ते पार करना अब भी वाक़ी रहता है; ४५० का ५२/३ गुना २,५५० पाउंड के वरावर है ; और पूंजी २ ५१/६ वार श्रावर्तित हुई, क्योंकि उसने अपनी छठी पावर्त अवधि का डेढ़ हफ्ता ही पार किया है, जिससे कि उसके ७ १/२ हफ्ते अगले वर्ष में जा पड़ते हैं ; ४५० का ५१/६ गुना २,३२५ पाउंड के वरावर है ; वास्तविक समग्र आवर्त ४,८७५ पाउंड है। अाइये , पूंजी १ और पूंजी २ पर एक दूसरे से पूर्णतः स्वतंत्र पूंजियों की तरह विचार करें। वे अपने संचलन में पूर्णतः स्वाधीन हैं, ये संचलन एक दूसरे के पूरक केवल इसलिए हैं कि उनकी कार्य तथा परिचलन अवधियां एक दूसरे की प्रत्यक्षतः एवज़ी करती हैं। उन्हें दो भिन्न पूंजीपतियों की दो नितांत स्वतंत्र पूंजियां माना जा सकता है। पूंजी १ ने ५ पूरे आवर्त और छठे आवर्त का दो तिहाई भाग पूर्ण कर लिये हैं। वर्ष के अंत में उसका रूप माल पूंजी का है, जिसके सामान्य सिद्धिकरण में तीन हफ़्ते वाक़ी हैं। इस समय के दौरान वह उत्पादन प्रक्रिया में प्रवेश नहीं कर सकती। वह माल पूंजी के रूप में कार्य करती है, वह परिचालित होती है। उसने अपनी अंतिम यावर्त अवधि का दो तिहाई भाग ही पूरा किया है। इसे इस प्रकार अभिव्यक्त किया जाता है : वह केवल दो तिहाई भाग श्रावर्तित हुई है, उसके समग्र मूल्य के दो तिहाई भाग ने ही संपूर्ण आवर्त संपन्न किया है। हम कहते हैं कि ४५० पाउंड अपना आवर्त ६ हफ़्ते में पूरा करते हैं, अतः ३०० पाउंड यह काम ६ हफ्ते में करते हैं। किंतु अभिव्यक्ति के इस ढंग में आवर्त काल के दो विशिष्टतः भिन्न घटकों के सहज संबंध को अनदेखा कर दिया जाता है। ४५० पाउंड की पेशगी पूंजी ने ५२/३ यावर्त पूरे किये हैं, इस अभिव्यक्ति का ठीक-ठीक अर्थ केवल यह है कि उसने ५ आवर्त पूर्णतः संपन्न किये हैं और छठे का केवल दो तिहाई भाग किया है। दूसरी ओर यह अभिव्यक्ति सही है कि प्रावर्तित पूंजी पेशगी पूंजी के ५२/३ गुने वरावर है; अतः ऊपर के प्रसंग में ४५० पाउंड का ५२/३ गुना २,५५० पाउंड हुआ। इस का अर्थ यह हुआ कि इस ४५० पाउंड की पूंजी के साथ जब तक ४५० पाउंड की दूसरी पूरक पूंजी न हो, तब तक उसके एक भाग को उत्पादन प्रक्रिया में, जव कि दूसरे को परिचलन प्रक्रिया में होना होगा। यदि पावर्त काल आवर्तित पूंजी द्वारा अभिव्यक्त किया जाना है, तो उसे सदा केवल विद्यमान मूल्य (वास्तव में तैयार उत्पाद के मूल्य ) द्वारा अभिव्यक्त किया जा सकता है। पेशगी पूंजी ऐसी स्थिति में नहीं है, जिसमें वह उत्पादन प्रक्रिया फिर शुरू कर सके, यह परिस्थिति इस बात में प्रकट होती है कि उसका केवल एक भाग उत्पादन करने योग्य अवस्था में है अथवा यह कि निरंतर उत्पादन की अवस्था में होने के लिए पूंजी को एक ऐसे भाग में, जो निरंतर उत्पादन अवधि