पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पेशगी पूंजी के परिमाण पर पावर्त काल का प्रभाव २४१ में रहेगा और दूसरे भाग में बांटना होगा, जो निरंतर परिचलन अवधि में रहेगा, और यह इन दोनों अवधियों के परस्पर संबंध पर निर्भर करेगा। यह वही नियम है, जो परिचलन काल से पावर्त काल के अनुपात द्वारा निरंतर कार्यशील उत्पादक पूंजी की माना निर्धारित करता है। ५१ वां हप्ता समाप्त होने तक , जिसे यहां हम वर्ष का अंत मान रहे हैं, पूंजी २ से १५० पाउंड माल के अधूरे तैयार पुंज के उत्पादन के लिए पेशगी दिये जा चुके हैं। उसका दूसरा भाग प्रचल स्थिर पूंजी- कच्चे माल , वगैरह - के रूप में, अर्थात ऐसे रूप में विद्यमान है, जिसमें वह उत्पादक पूंजी की तरह उत्पादन प्रक्रिया में कार्य कर सकता है। लेकिन उसका तीसरा भाग द्रव्य रूप में, कम से कम वाक़ी कार्य अवधि ( ३ हप्ते ) की मजदूरी की मात्रा के रूप में विद्यमान है, किंतु यह मजदूरी हफ्ता ख़त्म होने पर ही दी जाती है। अब पूंजी का यह भाग यद्यपि हर साल के शुरू में, इसलिए हर नये आवर्त चक्र के आरंभ में उत्पादक पूंजी के रूप में नहीं, वरन द्रव्य पूंजी के रूप में होता है, जिसमें वह उत्पादन प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता, फिर भी नया आवर्त शुरू होने पर प्रचल परिवर्ती पूंजी, अर्थात जीवंत श्रम शक्ति उत्पादन प्रक्रिया में कार्यरत होती है। ऐसा इस कारण होता है कि हफ्ता ख़त्म होने तक श्रम शक्ति का भुगतान नहीं किया जाता, यद्यपि वह कार्य अवधि के प्रारंभ में , यथा प्रति सप्ताह खरीदी जा सकती है और इसी प्रकार प्रयुक्त भी होती है। यहां धन भुगतान के साधन का काम करता है। इस कारण वह एक अोर पूंजीपति के पास अभी द्रव्य रूप में ही होता है , जब कि दूसरी ओर श्रम शक्ति - वह माल , जिसमें द्रव्य रूपांतरित हो रहा है ,- अब भी उत्पादन प्रक्रिया में कार्यरत हो चुकी है। इससे एक ही पूंजी मूल्य यहां दोहरे ढंग से प्रकट होता है। यदि हम केवल कार्य अवधियों पर दृष्टिपात करें, तो पूंजी १ उत्पादित करती है ४५० का ६ गुना अथवा. २,७०० पाउंड पूंजी २ उत्पादित करती है ४५० का ५ १/३ गुना अथवा २,४०० पाउंड अतः कुल मिलाकर ६०० का ५२/३ गुना अथवा ५,१०० पाउंड । इसलिए ६०० पाउंड की कुल पेशगी पूंजी ने उत्पादक पूंजी के रूप में वर्ष भर में ५२/३ वार कार्य किया है। वेशी मूल्य उत्पादन के लिए यह निरर्थक है कि उत्पादन प्रक्रिया में सदा ४५० पाउंड और परिचलन प्रक्रिया में सदा ४५० पाउंड रहते हैं अथवा ६०० पाउंड उत्पादन प्रक्रिया में ४ १/२ हफ्ते कार्य करते हैं, और अगले ४ १/२ हफ्ते परिचलन प्रक्रिया में कार्य करते हैं। दूसरी ओर , यदि हम आवर्त की अवधियों पर विचार करें, तो निम्न आवर्त हुअा है : पूंजी १ ४५० का ५२/३ गुना अथवा २,५५० पाउंड पूंजी २ ४५० का ५१/६ गुना अथवा २,३२५ पाउंड अतः कुल पूंजी ६०० का ५५/१२ गुना अथवा ४,८७५ पाउंड । कारण यह है कि कुल पूंजी के प्रावों की संख्या पूंजी १ तथा २ के योग द्वारा विभाजित पूंजी १ तथा २ द्वारा प्रावर्तित राशियों के योग के वरादर होती है। इन वात पर ध्यान देना चाहिए कि यदि पूंजी १ तथा २ परस्पर स्वतंत्र हों, तो भी वे एक ही क्षेत्र में पेशगी दी गई सामाजिक पूंजी के भिन्न स्वतंत्र भाग मान होंगी। अतः यदि 16-1180