पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२४७

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पूंजी का प्रावत इस मामले में पहली यावर्त अवधि पहले से नवें हफ्ते तक होगी; उसकी पहली कार्य अवधि पहले से सातवें हफ्ते तक होगी और पेशगी पूंजी ७०० पाउंड होगी। उसकी पहली परिचलन अवधि आठवें ने नवें हफ्ते तक होगी। नवां हफ़्ता खत्म होने पर ७०० पाउंड द्रव्य रूप में लौट पायेंगे। दूसरी पावर्त अवधि में, जो पाठवें से सोलहवें हफ्ते तक होगी, आठवें से चौदहवें हफ्ते तक की दूसरी कार्य अवधि होगी। इस अवधि के अंतर्गत आठवें और नवें हफ्ते की ज़रूरतें पूंजी २ पूरा करेगी। नवां हफ़्ता खत्म होने पर उपर्युक्त ७०० पाउंड लौट आयेंगे। इस कार्य अवधि की समाप्ति ( दसवें से चौदहवें हफ्ते ) तक इस राशि में से ५०० पाउंड काम आ चुके होंगे; २०० पाउंड अगली कार्य अवधि के लिए मुक्त रहेंगे। दूसरी परिचलन अवधि पंद्रहवें से सोलहवें हफ्ते तक होगी। सोलहवां हफ्ता ख़त्म होने पर ७०० पाउंड फिर वापस पायेंगे। इसके बाद से प्रत्येक कार्य अवधि में इसी प्रावृत्ति होगी। पहले दो हफ्तों में पूंजी की जरूरत पूर्ववर्ती कार्य अवधि की समाप्ति पर मुक्त हुए २०० पाउंड से पूरी हो जायेगी ; दूसरे हफ़्ते की समाप्ति पर ७०० पाउंड लौट आते हैं, किंतु अव कार्य अवधि में पांच हफ़्ते ही वचते हैं, जिससे उसमें अब केवल ५०० पाउंड की खपत होगी। इसलिए २०० पाउंड अगली कार्य अवधि के लिए हमेशा मुक्त रहेंगे। इस तरह पता चलता है कि प्रस्तुत प्रसंग में, जहां यह माना गया है कि कार्य अवधि परिचलन अवधि से बड़ी है, हर हालत में प्रत्येक कार्य अवधि की समाप्ति पर द्रव्य पूंजी मुक्त हो जायेगी, जिसका परिमाण उतना ही होगा, जितना परिचलन अवधि के लिए पेशगी पूंजी २ का है। हमारे तीनों उदाहरणों में से पहले में पूंजी २ ३०० पाउंड थी, दूसरे में ४०० पाउंड और तीसरे में २०० पाउंड। तदनुसार प्रत्येक कार्य अवधि की समाप्ति पर मुक्त पूंजी क्रमशः ३००, ४०० और २०० पाउंड है। ३. परिचलन अवधि से कम कार्य अवधि हम एक बार फिर यह मानकर चलते हैं कि आवर्त अवधि ६ हफ्ते की है, जिसमें ३ हफ्ते कार्य अवधि के लिए नियत हैं, और उपलब्ध पूंजी १ ३०० पाउंड है। मान लीजिये कि परि- चलन अवधि ६ हफ्ते की है। इन ६ हफ्तों के लिए ६०० पाउंड की अतिरिक्त पूंजी दरकार होगी, जिसे हम तीन-तीन सौ पाउंड की दो पूंजियों में बांट सकते हैं, और इनमें से प्रत्येक पूंजी एक कार्य अवधि की ज़रूरतें पूरा करेगी। अब हमारे पास तीन-तीन सौ पाउंड की तीन पूंजियां हैं, जिनमें से ३०० पाउंड उत्पादन में हमेशा लगे रहेंगे, जब कि ६०० पाउंड परिचलन में होंगे ( सारणी अगले पृष्ठ पर)। यहां पहले प्रसंग का सच्चा प्रतिरूप है, अंतर इतना ही है कि अव दो के वदले तीन पूंजियां एक दूसरे की एवज़ी करती हैं। पूंजियों का प्रतिच्छेदन और अंतग्रंथन नहीं होता। इनमें से हरेक को साल के आखिर तक अलग अंकित किया जा सकता है। पहले प्रसंग की ही तरह कार्य अवधि की समाप्ति पर कोई पूंजी मुक्त नहीं होती। तीसरा हप्ता ख़त्म होने पर पूंजी १ पूर्णतः व्यय हो चुकती है, नवां हफ्ता ख़त्म होने पर वह पूरी की पूरी लौट आती है, और दसवां हफ़्ता शुरू होने पर वह अपना कार्य फिर से चालू करती है। यही हाल २ और ३ पंजियों का है। नियमित और पूर्ण एवजी के कारण कोई पूंजी मुक्त नहीं होती। ,