पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२५७

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पूजी का पावन और प्रवन सादक पूंजी के तत्वों की कीमतें यथावत रहें, तो व्यवनाय क के उत्पाद को कीमत बढ़ सकती है या घट सकती है। यदि व्यवसाय क द्वारा प्रदत्त सामान की कीमत गिरती है, तो ६०० पाउंड की जो माल पूंजी वह लगातार परिचलन में डालता था, उसकी कीमत भी घटकर, कह लीजिये , ५०० पाउंड हो जायेगी। अतः पेशगी पूंजी के मूल्य का छठा भाग परिचलन प्रक्रिया में वापस न आयेगा। (यहां माल पूंजी में समाहित वेशी मूल्य पर विचार नहीं किया जा रहा है।) उन प्रक्रिया में उसका लोप हो जाता है। लेकिन चूंकि उत्पादन तत्वों का मूल्य अथवा कीमत यथावत रहता है, इसलिए ५०० पाउंड का यह पश्चप्रवाह उत्पादन प्रक्रिया में बराबर नियोजित ६०० पाउंड की पूंजी के ५/६ भाग का ही प्रतिस्थापन करने के लिए पर्याप्त होता है। अतः उत्पादन को उसी पैमाने पर चलाने के लिए १०० पाउंड की अतिरिक्त द्रव्य पूंजी दरकार होगी। इसके विपरीत , यदि व्यवसाय क के उत्पाद का दाम चढ़ जाये, तो ६०० पाउंड की माल पूंजी की कीमत बढ़ जायेगी, मसलन ७०० पाउंड हो जायेगी। इस कीमत का सातवां भाग , अथवा १०० पाउंड , उत्पादन प्रक्रिया में पैदा नहीं होता, इस प्रक्रिया में पेशगी नहीं दिया जाता , बरन परिचलन प्रक्रिया से उत्पन्न होता है। किंतु उत्पादन तत्वों के प्रतिस्थापन के लिए केवल ६०० पाउंड आवश्यक हैं। अतः १०० पाउंड मुक्त हो जाते हैं। अब तक किये गये अन्वेषण की परिधि में इसका निर्धारण नहीं आता कि पहले प्रसंग में यावर्त अवधि क्यों घटती या बढ़ती है, दूसरे प्रसंग में कच्चे माल और श्रम की कीमतें और तीसरे प्रसंग में प्रदत्त उत्पाद की कीमतें क्यों घटती या बढ़ती हैं। किंतु निम्नलिखित अवश्य इसमें आता है : . उत्पाद पहला प्रसंग। उत्पादन का अपरिवर्तित पैमाना, उत्पादन तत्वों को और उत्पाद की अपरिवर्तित कोमतें, परिचलन अवधि में, तथा तदनुरूप यावर्त अवधि में परिवर्तन । हमारे उदाहरण की कल्पना के अनुसार परिचलन अवधि के संकुचन के फलस्वरूप कुल पेशगी पूंजी के नवें भाग कम की जनरत होगी, जिससे कुल पूंजी ६०० पाउंड से घटकर ८०० पाउंड हो जायेगी और द्रव्य पूंजी के १०० पाउंड अलग हो जायेंगे। व्यवनाय क पहले की ही तरह उसी ६०० मूल्य के , उसी छः हफ्ते के उत्पाद की पूर्ति करता है और चूंकि काम बारहों मास निरंतर चालू रहता है, इसलिए वह ५१ हफ्तों की ५,१०० पाउंड मूल्य की उतनी ही मात्रा की पूर्ति करता है। इसलिए जहां तक इस व्यवसाय द्वारा परिचलन में डाले हुए उत्पाद की कीमत और मात्रा का संबंध है, कोई परिवर्तन नहीं आया है, न इसमें ही परिवर्तन आया है कि वह अपना उत्पाद वाजार में कितनी बार डालता है। किंतु १०० पाउंड अलग हो जाते हैं, क्योंकि परिचलन अवधि के संकुचन से प्रक्रिया की जदरतें पूर्वोक्त ६०० पाउंड के बदले अब केवल ८०० पाउंड से पूरी हो जाती हैं। अलग हुई पूंजी के १०० पाउंड द्रव्य पूंजी के रूप में विद्यमान रहते हैं। किंतु ये किसी भी प्रकार उस पेगगी पूंजी का भाग नहीं होते , जिले द्रव्य पूंजी के रूप में निरंतर कार्य करना होगा। मान लीजिये कि ६०० पाउंड की पेशगी प्रचल पूंजी १ का ४/५ भाग, या ४८० पाउंड निरंतर उत्पादक नामग्री में निवेशित किये जाते हैं और उसका १/५ भाग, या १२० पाउंड मजदूरी