पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२६७

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पूंजी का प्रावर्त . . है, और क के प्रसंग में ५,००० पाउंड। देशी मूल्य की उत्पादित राशियों का आपस में वही अनुपात है, जो पेशगी पूंजी मूल्य ख और क का है, अर्थात ५,००० : ५०० = १०:१। किंतु पूंजी ख ने पूंजी क की अपेक्षा उतने ही समय में १० गुना श्रम शक्ति को गतिशील किया है। श्रम प्रक्रिया में वस्तुतः नियोजित पूंजी ही वेशी मूल्य पैदा करती है और वेशी मूल्य से संबंधित सभी नियम उस पर ही लागू होते हैं। अतः इनमें वह नियम भी शामिल है, जिसके अनुसार यदि वेशी मूल्य की दर दी हुई हो, तो उसकी मात्रा का निर्धारण परिवर्ती पूंजी के सापेक्ष परिमाण द्वारा किया जाता है। स्वयं श्रम प्रक्रिया को समय द्वारा मापा जाता है। यदि कार्य दिवस की दीर्घता दी हुई हो (जैने यहां, जहां हम क और ख से संबंधित सभी अवस्थाओं को बरावर मानते है, जिससे वेशी मूल्य की वार्पिक दर के अंतर को स्पष्ट किया जा सके ) , तो कार्य सप्ताह में कार्य दिवसों की एक नियत संख्या होगी। अथवा हम किसी भी कार्य अवधि को, उदाहरण के लिए, ५ हफ्ते की इस कार्य अवधि को, यदि कार्य दिवस में १० घंटे हों और कार्य सप्ताह में ६ दिन , तो ३०० घंटे का एक ही कार्य दिवस मान सकते हैं। इसके अलावा हमें इस संख्या को उन श्रमिकों की संख्या से गुणित करना होगा, जिन्हें उसी श्रम प्रक्रिया में एकसाथ और एक ही समय पर लगाया जाता है। यदि यह संख्या १० मान ली जाये, तो कार्य सप्ताह में १० के ६० गुना, यानी ६०० घंटे होंगे , और ५ सप्ताह की कार्य अवधि में ५ के ६०० गुना अथवा ३,००० घंटे होंगे। चूंकि वेशी मूल्य दर और कार्य दिवस की अवधि समान हैं, इसलिए यदि श्रम शक्ति की समान मात्राएं (श्रमिकों की संख्या से गुणित समान क़ीमत की श्रम शक्ति ) एक ही समय गतिशील होती हैं, तो समान परिमाण की परिवर्ती पूंजियां नियोजित होती हैं। अब हम अपने मूल उदाहरण पर लौट आते हैं। दोनों ही प्रसंगों में १०० पाउंड प्रति सप्ताह की बराबर-बराबर परिवर्ती पूंजियां क और ख पूरे साल हर हफ्ते निवेशित की जाती हैं। इसलिए श्रम प्रक्रिया में यथार्थतः कार्यशील निवेशित परिवर्ती पूंजियां वरावर होती हैं, किंतु पेशगी परिवर्ती पूंजियां बहुत असमान होती हैं। क के मामले में हर ५ सप्ताह के लिए ५०० पाउंड पेशगी दिये जाते हैं, जिनमें से १०० पाउंड हर हफ्ते समुपयोजित होते हैं। ख के मामले में ५ हफ्ते की पहली अवधि के लिए ५,००० पाउंड पेशगी देने होंगे, जिनमें से केवल १०० पाउंड प्रति सप्ताह , अथवा ५ हफ्ते में ५०० पाउंड , अथवा पेशगी पूंजी का दसवां भाग समुपयोजित होता है। ५ हफ्ते की दूसरी अवधि में ४,५०० पाउंड पेशगी देने होंगे, किंतु इनमें से केवल ५०० पाउंड समुपयोजित होते हैं, इत्यादि । एक निश्चित अवधि के लिए दी गई परिवर्ती पूंजी नियोजित , अतः यथार्थतः कार्यशील और कर्मरत परिवर्ती पूंजी में उसी सीमा तक परिवर्तित होती है कि जिस सीमा तक वह यथार्थतः अवधि के श्रम प्रक्रिया द्वारा खपाये जानेवाले हिस्सों में प्रवेश करती है, जिस सीमा तक वह वस्तुतः श्रम प्रक्रिया में कार्यशील होती है। वीच के समय में, जिसमें उसका एक भाग वाद में नियोजनार्थ पेशगी दिया जाता है, यह भाग श्रम प्रक्रिया के लिए लगभग अस्तित्वहीन रहता है और इसलिए वह न तो मूल्य और न वेशी मूल्य के निर्माण पर कोई प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, ५०० पाउंड की पूंजी क ले लीजिये। यह ५ हफ्ते के लिए पेशगी दी जाती है, लेकिन हफ़्तावार श्रम प्रक्रिया 'कार्ल मार्स , 'पुंजी', हिंदी संस्करण , १, अध्याय ११-सं० ,