पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

परिवर्ती पूंजी का आवतं २६७ . . ” - --- में केवल १०० पाउंड क्रमश: दाखिल होते हैं। पहले हफ्ते में इस पूंजी का पांचवां भाग नियो- = जित होता है ; ४/५ भाग नियोजन में लाये बिना पेशगी देना होता है, यद्यपि उसका स्टॉक में रहना पीर इसलिए अगले ४ हफ़्तों की श्रम प्रक्रियाओं के लिए पेशगी दिया जाना ज़रूरी होता है। पेशगी तथा नियोजित परिवर्ती पूंजी में संबंध-भेद दर्शानेवाली परिस्थितियां वेशी मूल्य के उत्पादन को-वेशी मूल्य दर दी हुई होने पर - इस सीमा तक और इस तथ्य के कारण ही प्रभावित करती हैं कि वे परिवर्ती पूंजी की उस मात्रा को विभेदित करती हैं, जिसका निर्धारित समयावधि में, यथा १ सप्ताह , ५ सप्ताह , आदि वस्तुतः नियोजन किया जा सकता है। पेशगी परिवर्ती पूंजी उसी सीमा तक और उसी समय के दौरान परिवर्ती पूंजी की तरह कार्य करती है, जब वह वस्तुतः नियोजित रहती है, उस समय के दौरान नहीं, जव वह स्टॉक में होती है , नियोजन में लाये विना पेशगी दी जाती है। किंतु पेशगी तथा नियोजित परिवर्ती पूंजी में संबंध-भेद दर्शानेवाली सभी परिस्थितियां अंततोगत्वा प्रावर्त अवधियों के भेद ( कार्य अवधि के या परिचलन अवधि के , या दोनों के अंतर द्वारा निर्धारित) में बदल जाती हैं। वेशी मूल्य के उत्पादन का नियम कहता है कि वेशी मूल्य दर समान हो, तो कार्यशील परिवर्ती पूंजी की समान मात्राएं वेशी मूल्य की समान मात्राएं पैदा करती हैं। इसलिए यदि क और ख पुंजियां समान अवधियों में समान वेशी मूल्य दरों पर परिवर्ती पूंजी की समान मात्राओं का नियोजन करती हैं, तो वे समान अवधियों में वेशी मूल्य की समान मात्राएं ही पैदा करेंगी, चाहे एक निश्चित अवधि में नियोजित इस परिवर्ती पूंजी का उसी अवधि में पेशगी दी गई परिवर्ती पूंजी से अनुपात कितना ही भिन्न क्यों न हो और इसलिए उत्पादित वेशी मूल्य की मात्राओं का नियोजित परिवर्ती पूंजी से नहीं, वरन सामान्यतः पेशगी परिवर्ती पूंजी से अनुपात कितना ही भिन्न क्यों न हो। वेशी मूल्य के उत्पादन के जिन नियमों का निदर्शन किया जा चुका है, उन्हें खंडित करना दरकिनार , अनुपात का यह भेद उनकी पुष्टि ही करता है और वह उन्हीं का एक अपरिहार्य परिणाम है। पाइये , हम पूंजी ख की ५ सप्ताह की पहली उत्पादक अवधि को ले लेते हैं। पांचवें हफ्ते की समाप्ति पर ५०० पाउंड नियोजित और उपभुक्त हो चुके होते हैं। उत्पाद का मूल्य ५०० वे १,००० पाउंड है, अतः =१००%। यह सब ठीक वैसे ही है, जैसे पूंजी क ५०० प के मामले में। पूंजी क के मामले में वेशी मूल्य का पेशगी पूंजी के साथ-साथ सिद्धिकरण किया जाता है, जव कि ख के मामले में ऐसा नहीं होता, इस तथ्य से हमें यहां सरोकार नहीं है, जहां प्रश्न केवल वेशी मूल्य के उत्पादन का और उसके उत्पादन के दौरान पेशगी दी गई परिवर्ती पूंजी के साथ उसके अनुपात का है। किंतु इसके विपरीत यदि हम ख के प्रसंग में वेशी मूल्य के अनुपात का परिकलन ५,००० पाउंड पेशगी पूंजी के उस भाग के साथ नहीं, जो नियोजित और इसलिए जो उसके उत्पादन के दौरान उपभुक्त हो चुका है, वरन स्वयं इस कुल पेशगी पूंजी के साथ करें, तो हम पाते हैं कि यह ५०० वे अथवा १/१० ५,००० प या १०% है। इसलिए वह पूंजी ख के लिए १०% है और पूंजी क के लिए १००% , यानी १० गुना है। अव यदि कहा जाये कि ऐसी समान पूंजियों की वेशी मूल्य दर में यह