पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२७३

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पूंजी का प्रावत , नियोजित पंजी के नाय अनुपात वर्ष में उत्पादित वेशी मूल्य की मात्रा के वर्ष में पेशगी दी गई पंजी के माय अनुपात के ताप होता है और उससे पूरा मेल खाता है। क) बैशी मूल्य की वार्षिक दर बराबर है : वर्ष में उत्पादित वेशी मूल्य की मात्रा पेशगी परिवर्ती पूंजी किंतु माल में उत्पादित वेशी मूल्य की मात्रा बेशी मूल्य की उसके उत्पादन में नियोजित परिवर्ती पूंजी ने गुणित वास्तविक दर के बरावर होती है। वेशी मूल्य की वार्पिक मात्रा के उत्पादन में नियोजित पंजी पावतों की संख्या से गुणित पेशगी पूंजी के बराबर होती है, जिसे हम सं की संना देते हैं। अतः क सूत्र निम्नलिखित में रूपांतरित हो जाता है : ख) वेशी मूल्य की वार्षिक दर बरावर है : बेशो मूल्य की वास्तविक दर x पेशगी परिवर्ती पूंजी x सं पेशगी परिवर्ती पूंजी १००४५,०००४१ उदाहरण के लिए, पूंजी ख के मामले में वह अथवा १००% के बराबर ५,००० है। केवल जब सं १ के बराबर होती है, अर्थात जव पेशगी परिवर्ती पूंजी साल में एक ही बार प्रावर्तित होती है और इसलिए जब वह वर्ष में नियोजित अथवा प्रावर्तित पूंजी के बराबर होती है, तभी वेशी मूल्य की वार्पिक दर उसकी वास्तविक दर के वरावर होती है। हम बेशी मूल्य की वार्पिक दर को वे' , वेशी मूल्य की वास्तविक दर को वे', पेशगी वेप सं परिवर्ती पूंजी को प, पावर्तों की संख्या को सं की संज्ञा देते हैं। तब वे'. = बे' सं। दूसरे शब्दों में वे बराबर है वे' सं के , और वह बे के बरावर केवल तव होता है, जब सं १; अतः बे' = ' x १ अथवा बे'। इसके अलावा यह भी नतीजा निकलता है कि वेशी मूल्य की वार्षिक दर हमेशा वे' सं के बराबर होती है, अर्थात एक पावर्त अवधि में उपभुक्त परिवर्ती पूंजी द्वारा उत्पादित वेशी मूल्य के उस परिवर्ती पूंजी के साल भर के प्रावों की संख्या से गुणनफल के अथवा ( जो एक ही बात है ) एक वर्ष के लिए परिकलित उसके व्युत्क्रम आवर्त काल से गुणनफल के बरावर होती है। ( यदि परिवर्ती पूंजी साल में १० वार श्रावर्तित होती है, तो उसका आवर्त काल वर्ष का १/१० होगा ; अतः उसका व्युत्क्रम यावर्त काल १०/१ अथवा १० होगा।) इससे यह भी नतीजा निकलता है कि यदि सं १ के बराबर हो, तो वे' = बे' । जव १ से बड़ा होता है . अर्थात जब पेशगी पूंजी का वर्ष में १ से अधिक बार आवर्त होता है अथवा ग्रावर्तित पूंजी पेशगी पूंजी से अधिक होती है, तो वे' बे' से बड़ा होता है। अंतिम बात , जब सं १ से न्यून होता है, तब वे बे' से न्यून होता है, अर्थात तव जब वर्ष भर में प्रावर्तित पूंजी पेशगी पंजी का केवल एक भाग होती है, जिससे कि पावर्त अवधि वर्ष भर से ज्यादा होती है। प . .. 1