पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२७८

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परिवर्ती पूंजी का प्रावर्त २७७ विक जाती है। उसके मूल्य का पेशगी पूंजी मूल्य के परिवर्ती अंश के वरावर एक भाग दूसरी यावर्त अवधि की नई श्रम शक्ति में रूपांतरित हो गया था; उसने मालों की नई मात्रा का उत्पादन किया, जो अपनी वारी में विक गई और जिनके मूल्य का एक भाग तीसरी आवर्त अवधि में पेशगी दी गई ५०० पाउंड की पूंजी बन जाता है। और आवर्त की दसों अवधियों में इसी तरह आगे भी होता है। इनके दौरान मालों की नवोत्पादित मात्राएं ( जिनका मूल्य भी नवोत्पादित होता है, क्योंकि वह परिवर्ती पूंजी को प्रतिस्थापित करता है और पूंजी के स्थिर परिचलनशील भाग के रूप में केवल पुनः प्रकट नहीं होता ) हर ५ सप्ताह के अंत में बाज़ार में डाली जाती हैं, ताकि उत्पादन प्रक्रिया में नित नई श्रम शक्ति का समावेश होता रहे। इसलिए ५०० पाउंड की पेशगी परिवर्ती पूंजी के १० गुने प्रावर्त से जो हासिल होता है, वह यह नहीं है कि ५०० पाउंड की यह पूंजी उत्पादक ढंग से १० बार खपाई जा सकती है अथवा यह कि ५ हफ़्ते चलनेवाली परिवर्ती पूंजी ५० हफ्ते नियोजित की जा सकती है। बल्कि होता यह है कि ५०० पाउंड की परिवर्ती पूंजी का १० गुना ५० सप्ताह में नियोजित किया जाता है और ५०० पाउंड की पूंजी हमेशा ५ हफ़्ते ही चलती है और ५ हफ़्ते बीतने पर उसे ५०० पाउंड की नवोत्पादित पूंजी से प्रतिस्थापित करना होता है। यह बात क और ख पूंजियों पर समान रूप से लागू होती है। लेकिन यहीं से अंतर भी पैदा होना शुरू हो जाता है। ५ हफ़्ते की पहली अवधि की समाप्ति पर ख तथा क द्वारा भी ५०० पाउंड की परिवर्ती पूंजी पेशगी दी जा चुकी है और ख़र्च की जा चुकी है। क तथा ख दोनों उसके मूल्य को श्रम शक्ति में बदल चुकी हैं और उसकी इस श्रम शक्ति द्वारा उत्पाद के उस नवसर्जित मूल्यांश से प्रतिस्थापना कर चुकी हैं, जो ५०० पाउंड की पेशगी परिवर्ती पूंजी के मूल्य के बराबर है। ख और क दोनों ही में श्रम शक्ति ने ५०० पाउंड की व्ययित परिवर्ती पूंजी के मूल्य को उतनी ही राशि के नये मूल्य से केवल प्रतिस्थापित ही नहीं किया है, वरन वेशी मूल्य भी जोड़ दिया है, जो हमारी कल्पना के अनुसार उसी परिमाण का है। किंतु ख के मामले में जो मूल्य उत्पाद पेशगी परिवर्ती पूंजी को प्रतिस्थापित करता है और उसमें वेशी मूल्य जोड़ता है, वह उस रूप में नहीं है, जिसमें वह फिर से उत्पादक अथवा परिवर्ती पूंजी की तरह कार्य कर सके। वह ऐसे रूप में क के मामले में ही होता है। साल ख़त्म होने तक ख के पास पहले ५ सप्ताह में और प्रत्येक उत्तरवर्ती ५ हफ्ते में खर्च की जानेवाली परिवर्ती पूंजी उस रूप में नहीं होती ( यद्यपि वह वेशी मूल्य सहित नवोत्पन्न मूल्य से प्रतिस्थापित हो चुका है), जिसमें वह उत्पादक अथवा परिवर्ती पूंजी की हैसियत से पुनः कार्य कर सके। ठीक है कि उसका मूल्य एक नये मूल्य द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है, अतः उसका नवीकरण हो जाता है, किंतु उसके मूल्य के रूप ( इस प्रसंग में मूल्य उसके द्रव्य रूप ) का नवीकरण नहीं होता। ५ सप्ताह की दूसरी अवधि के लिए (और इसी तरह वर्ष के उत्तरवर्ती प्रत्येक ५ हफ्ते के लिए ) ५०० पाउंड की और राशि फिर उपलब्ध होनी चाहिए, जैसे पहली अवधि में थी। इसलिए साल शुरू होने पर उधार की परिस्थितियों से अनपेक्ष अंतर्हित पेशगी द्रव्य पूंजी के निरपेक्ष रूप, .