पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२७९

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पूंजी का प्रावत 1 7 . का में 2,००० पाउंट उपलभ्य होने चाहिए, यद्यपि वे दरअसल साल के दौरान धीरे-धीरे ही गर्न किये जाते हैं, श्रम शक्ति में बदले जाते हैं। लेकिन चूंकि क के मामले में परिपथ , पेशगी पूंजी का आवर्त , पूरा हो जाता है, इसलिए पहले ५ हपने बीतने पर प्रतिस्थापन मूल्य उस रूप में - अपने मूल रूप में, द्रव्य रूप में - ग्रा चुका होता है, जिसमें वह ५ हफ्ते की मीयाद के लिए नई श्रम शक्ति को गतिशील कर सकता है। क और ख दोनों के मामलों में ५ सप्ताह की दूसरी अवधि में नई श्रम शक्ति खप जाती है और इस श्रम गक्ति की अदायगी में ५०० पाउंड की नई पूंजी व्यय हो जाती है। पहले ५०० पाउंट से चुकाये मजदूरों के निर्वाह साधन समाप्त हो चुके होते हैं, किसी भी सूरत में उनका मूल्य पूंजीपति के हाथ से गायब हो चुका होता है। दूसरे ५०० पाउंड से नई श्रम शक्ति वरीदी जाती है, बाजार से नये निर्वाह साधन निकाले जाते हैं। संक्षेप में यह ५०० पाउंड की नई पूंजी खर्च की जा रही है, पुरानी नहीं। किंतु क के मामले में ५०० पाउंड की यह नई पूंजी पहले खर्च हुए ५०० पाउंड के मूल्य का नवोत्पन्न द्रव्य रूप प्रतिस्थानिक है , जव कि ख के मामले में यह प्रतिस्थानिक ऐसे रूप में होता है, जिसमें वह परिवर्ती पूंजी की हैसियत से कार्य नहीं कर सकता। वह मौजूद है, लेकिन परिवर्ती पूंजी के रूप में नहीं। अतः अगले ५ सप्ताह में उत्पादन प्रक्रिया चालू रखने के लिए ५०० पाउंड की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होनी और यहां अपरिहार्य द्रव्य रूप में पेशगी दी जानी चाहिए। इस प्रकार ५० सप्ताह के दौरान क और ख दोनों परिवर्ती पूंजी की समान राशि खर्च करती हैं, श्रम शक्ति की समान मात्रा खपाती और उसकी अदायगी करती हैं। बस ख को यह अदायगी ५,००० पाउंड के उसके कुल मूल्य के बराबर की पेशगी पूंजी से करना होगी, जब कि क उसकी अदायगी हर पांच सप्ताह के लिए पेशगी दी गई ५०० पाउंड की पूंजी हर पांच सप्ताह में उत्पादित मूल्य प्रतिस्थानिक के निरंतर नवीकृत द्रव्य रूप से क्रमशः करता है। किसी भी सूरत में जितनी द्रव्य पूंजी ५ हफ्ते के लिए यहां दरकार होती है, उससे ज्यादा पेशगी नहीं दी जाती , अर्थात पहले ५ हफ्तों के लिए पेशगी दी गई , यानी ५०० पाउंड से ज्यादा कभी नहीं। ये ५०० पाउंड पूरे साल चलते हैं। अतः यह स्पष्ट है कि श्रम के समुपयोजन की मात्रा और वेशी मूल्य की वास्तविक दर एक सी होने पर क और ख की वार्षिक दर (वेशी मूल्य की ) उन परिवर्ती द्रव्य पूंजियों के परिमाणों व्युत्क्रम अनुपात में होनी चाहिए, जिन्हें साल भर में श्रम शवित की उतनी ही मात्रा को गतिशील करने के लिए पेशगी देना होता है। ५,००० वे ५,००० वे क: १,०००% ; ख: १००% ५००प ५,०००प किंतु ५०० प : ५,००० प=१:१० = १००% : १,००० %1 यह अंतर पावर्त अवधियों में, अर्थात उन अवधियों में अंतर के कारण है, जिनमें किसी निश्चित समय के लिए नियोजित परिवर्ती पूंजी का मूल्य प्रतिस्थानिक पूंजी की , अतः नई पूंजी की हैसियत से फिर से कार्य कर सकता है। क और ख दोनों के प्रसंग में एक सी अवधियों में नियोजित परिवर्ती पूंजी के मूल्य का एक सा प्रतिस्थापन होता है। उन्हीं एक सी अवधियों ,