पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३२२

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विषय के पूर्व प्रस्तुतीकरण ३२१ . 0. 17 .. 11 ॥ किसी एक में अथवा उन तीनों में होती है; और हर उन्नत समाज में तीनों ही न्यूनाधिक मंघटक अंगों के रूप में पण्य वस्तुओं के कहीं बड़े भाग की कीमत में शामिल होते हैं।" अथवा जैसा कि वह आगे पृष्ठ ६३ पर कहते हैं : “ मजदूरी, लाभ और किराया, ये समस्त प्राय तथा समस्त विनिमेय मूल्य के तीन मूल स्रोत हैं। हम 'पण्य वस्तुओं की कीमत के संघटक अंगों" अथवा 'समस्त विनिमेय मूल्य" के बारे में ऐडम स्मिथ के सिद्धांत का विवेचन नीचे अधिक विस्तार से करेंगे। वह और आगे कहते हैं : “ चूंकि स्थिति यह है, प्रत्येक पण्य वस्तु विशेष को अलग-अलग लेने पर यह देखा गया है। इसलिए उन सभी पण्य वस्तुओं के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए, जो समग्र रूप में हर देश के श्रम और भूमि की कुल वार्षिक पैदावार वनाती हैं। इस वार्षिक पैदावार की कुल कीमत अथवा विनिमेय मूल्य को अपने आपको उन्हीं तीन भागों में वियोजित करना होगा और देश के विभिन्न निवासियों के वीच या तो उनके श्रम की मजदूरी, उनकी पूंजी के लाभ या उनकी जमीन के किराये के रूप में विभाजित होना होगा। (खंड २, अध्याय २, पृष्ठ १६०)। ऐडम स्मिथ के लिए इस प्रकार सभी पण्य वस्तुओं की कीमत को अलग-अलग तथा 'हर देश के श्रम और भूमि की कुल वार्षिक पैदावार की... कुल कीमत अथवा विनिमेय मूल्य को भी" मजदूरी, लाभ और किराये में वियोजित करने के बाद, जो उजरती मजदूरों, पूंजीपतियों और जमींदारों की आय के तीन स्रोत हैं, एक चौथे तत्व को, यानी पूंजी के तत्व को चक्करदार रास्ते से घुसाना जरूरी हो जाता है। यह कार्य सकल आय और शुद्ध आय के वीच भेद करके किया जाता है : "किसी बड़े देश के सभी निवासियों की सकल आय में उनकी भूमि और श्रम की कुल वार्षिक पैदावार प्राती है ; शुद्ध आय में वह सव आता है, जो पहले अपनी स्थायी और दूसरे , अपनी प्रचल पूंजी के अनुरक्षण के व्यय को घटा देने के बाद उनके पास मुक्त वच रहता है ; अथवा अपनी पूंजी का अतिलंघन किये विना, जिसे वे तात्कालिक उपभोग के लिए आरक्षित अपने स्टॉक में रख सकते अथवा अपने निर्वाह , सुख-सुविधा और मनोरंजन पर खर्च कर सकते हैं। उनका वास्तविक धन भी उनकी सकल आय के नहीं, बल्कि शुद्ध प्राय के समानुपात में होता है।" (वही, पृष्ठ १६०)। इस पर हमारी टिप्पणी इस प्रकार है: १) ऐडम स्मिथ यहां स्पष्टतः केवल साधारण पुनरुत्पादन को ले रहे हैं, विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन अथवा संचय को नहीं। वह सिर्फ़ कार्यशील पूंजी के “अनुरक्षण" के व्यय की ही बात करते हैं। "शुद्ध ." आमदनी वार्षिक उत्पाद के उस भाग के वरावर है- वह चाहे समाज का हो, चाहे पृथक पूंजीपति का-जो "उपभोग निधि" में अंतरित हो सकता . इसलिए कि " 'पण्य वस्तुओं के कहीं बड़े भाग की कीमत"- वाक्यांश का अर्थ पाठक ग़लत न समझें, निम्नलिखित यह दिखाता है कि स्वयं ऐडम स्मिथ इसकी व्याख्या किस प्रकार करते हैं। उदाहरण के लिए, समुद्री मछली की कीमत में किराया शामिल नहीं होता, केवल मजदूरी और लाभ शामिल होते हैं। स्काच अक़ीक में केवल मजदूरी शामिल होती है। वह कहते हैं : “स्काटलंड के कुछ भागों में कुछ ग़रीव लोग समुद्र के किनारे उन छोटे रंग-बिरंगे पत्थरों को बीनने का धन्धा करते हैं, जो ग्राम तौर से स्काच अक़ीक के नाम से जाने जाते हैं। संगतराश उन्हें जो कीमत देते हैं, वह बस उनकी मेहनत की मजदूरी ही होती है; किराये या लाभ उसका कोई अंश नहीं होता। " 1-1150