पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३२८

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विषय के पूर्व प्रस्तुतीकरण ३२७ उत्पादन साधनों के पुनरुत्पादन में जो दैनिक श्रम खर्च होता है- और जिसका मूल्य मजदूरी पीर बेशी मूल्य से संरचित होता है - वह अपना सिद्धिकरण उपभोग वस्तुओं के उत्पादन में लगाये गये पूंजी के स्थिर अंश को प्रतिस्थापित करनेवाले नये उत्पादन साधनों में करता है। मुख्य कठिनाइयां- जिनका अधिकांश पूर्ववर्ती अंशों में हल कर दिया गया है- संचय का अध्ययन करते हुए नहीं, वरन साधारण पुनरुत्पादन का अध्ययन करते हुए सामने आती हैं। इसी कारण जब भी प्रश्न समाज के वार्षिक उत्पाद की गति का और परिचलन द्वारा उसके पुनरुत्पादन का होता है, ऐडम स्मिथ ( खंड २) और उनसे पहले केने (Tableau Economique) साधारण पुनरुत्पादन को ही अपना प्रारंभ विंदु बनाते हैं। वह अपने को २) ऐडम स्मिथ द्वारा विनिमय मूल्य का प+बे में वियोजन. ऐडम स्मिथ का यह मत कि किसी भी एक पण्य वस्तु की- और इसलिए समाज के वार्पिक उत्पाद ( वह ठीक ही सर्वत्र पूंजीवादी उत्पादन की कल्पना करते हैं ) को बनानेवाली समूचे तीर पर सभी पण्य वस्तुओं की - क़ीमत अथवा “ विनिमेय मूल्य" तीन “संघटक अंशों" मजदूरी, लाभ और किराये - से बनती है अथवा उनमें “अपने को वियोजित" कर लेती है, इस रूप में समानीत किया जा सकता है : माल मूल्य प+बे के बराबर है, अर्थात पेशगी परिवर्ती पूंजी तथा वेशी मूल्य के योग के बरावर है। लाभ और किराये के इस समानयन को हम ऐडम स्मिथ की स्पष्ट अनुमति से जैसा कि निम्न उद्धरणों से प्रकट होता है, एक सामान्य वे नामक इकाई के अंतर्गत ला सकते हैं, जिनमें हम पहले छोटी-मोटी सभी बातों को, अर्थात इस मत से कि माल मूल्य में केवल वही तत्व समाहित होते हैं, जिन्हें हम प+वे कहते हैं, सभी वास्तविक अथवा आभासी विचलनों को छोड़ देंगे। हस्तनिर्माण में : “ मजदूर सामग्री में जो मूल्य जोड़ते हैं दो भागों में वियोजित कर लेता है, जिनमें से एक भाग उन्हें मजदूरी देता है, और दूसरा उनके मालिक को उसके द्वारा पेशगी दिये सामग्री और मज़दूरी के कुल स्टॉक पर लाभ देता है।" (खंड १, अध्याय ६, पृष्ठ ४१।) यद्यपि कारखाने में काम करनेवाले को मजदूरी उसके मालिक द्वारा पेशगी दी जाती है, पर असल में मालिक को उस पर कुछ भी ख़र्च नहीं करना पड़ता , क्योंकि इस मजदूरी के मूल्य की आम तौर पर लाभ सहित उस चीज़ के सुधरे हुए मूल्य में पुनःस्थापना हो जाती है, जिस पर उसका श्रम लगाया जाता है।" (खंड २, अध्याय ३, पृष्ठ २२१ । ) स्टॉक का वह भाग , जो "उत्पादक श्रम के भरण-पोषण में" खर्च होता है, "उसके ( मालिक के ) लिए पूंजी का कार्य कर चुकने के बाद उनकी (मजदूरों की) आय वनता है"। ( खंड २, अध्याय ३, पृष्ठ २२३ ।) अभी-अभी उद्धृत अध्याय में ऐडम स्मिथ साफ़-साफ़ कहते हैं : 'प्रत्येक देश की भूमि और श्रम का कुल वार्पिक उत्पाद अपने को स्वभावतः दो भागों में विभक्त कर लेता है। इनमें से एक और प्रायः सबसे बड़ा भाग प्रथमतः पूंजी के प्रतिस्थापन के लिए अथवा रसद, सामग्री और तैयार उत्पाद के, जिन्हें पूंजी से निकाल लिया गया था, नवीकरण के लिए और दूसरा भाग या तो पूंजी के मालिक के लिए उसके स्टॉक पर लाभ के रूप में अथवा किसी अन्य व्यक्ति के लिए उसकी जमीन के किराये के रूप में आय बनने के लिए उद्दिष्ट होता है।" ( पृष्ठ २२२ । ) ऐडम स्मिथ ने अभी-अभी बताया है कि 40