पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३२९

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कुन सामाजिा जी का पुनस्यादन तपा परिनलन जीवन पर मार मार दी जिलो के लिए प्राय बनता है, यानी यह , जो उत्पादक श्रम मी पण निगिन रिया जाता है। यह अंग-परिवर्ती पूंजी- पहले उसके नियोजक में में जमो लिए "पंजोना का पता है" और फिर वह स्वयं उत्पादक श्रमिक के लिए पाय बनना"। जीति पपने पूंजी मूल्य के एक अंश को श्रम शक्ति में बदल लेता है पोरगी प्रसार में परिवर्ती पूंजी बनाता है। इस रूपांतरण के कारण ही उसकी पूंजी पावन पर पंक नहीं, बलि उसकी सारी पूंजी ही प्रौद्योगिक पूंजी की तरह कार्य करती । श्रम शनि का विता, अमिक, उसका मूल्य मजदूरी के रूप में पाता है। उसके हाथ में श्रम गरिन मात्र एक बिकाऊ माल है, ऐसा माल , जिसे वेचकर वह गुजारा करता है और माना जो उगारी पाप का एकमात्र सोत है ; श्रम शक्ति केवल अपने ग्राहक , पूंजीपति , के हाय में ही परिवर्ती पूंजी का कार्य करती है और पूंजीपति उसकी क्रय कीमत केवल प्राभासी प में की प्रेगगी देता है, क्योंकि मजदूर द्वारा उसे उसके मूल्य की पहले ही पूर्ति की जा - 11 ऐटम स्मिय इस प्रकार यह दिनाने के बाद कि हस्तनिर्माण में उत्पाद का मूल्य प+वे + बगावर होता है (चे पूंजीपति का लाभ है ), हमें बताते हैं कि कृपि में श्रमिक "स्वयं अपने भोग के अथवा उन्हें नियोजित करनेवाली [परिवर्ती] पूंजी के , उसके मालिकों के मुनाफे माहित बराबर मूल्य पुनरुत्पादित करने " के अलावा अागे "फ़ार्मर की पूंजी और उमर तमाम लाभों के प्रतिखित भूस्वामी के किराये का भी नियमित पुनरुत्पादन करते हैं। (गः २, अध्याय १, पृष्ठ २४३ । ) यह तथ्य कि किराया भूस्वामी के हाथ में पहुंच जाता है, विनागधीन ममस्या लिए पूर्णतः महत्वहीन है। उसके हाथ में पहुंचने से पहले उसे फ़ार्मर के, अर्थात प्रौद्योगिक पूंजीपति के हाथ में होना होगा। उसे किसी की भी आय वनने के पहले उत्पाद के मूल्य का संघटक अंश बनना होगा। इसलिए स्वयं ऐडम स्मिथ के अनुसार किराया और लाभ दोनों ही बेशी मूल्य के संघटक अंग मात्र हैं और इन्हें उत्पादक श्रमिक अपनी गद की मजदूरी के माय, यानी परिवर्ती पूंजी के मूल्य के साथ निरंतर पुनरुत्पादित करता है। अतः किराया और लाभ वेशी मूल्य वे के अंश हैं और इस प्रकार ऐडम स्मिथ के लिए गभी पय वस्तुनों की कीमत अपने को प+ये में वियोजित कर लेती है। यह मत कि मनी पन्य वस्तुगों की (अतः वार्षिक माल उत्पाद की भी) कीमत अपने को मजदूरी तथा लाभ तथा किराया जमीन के योग में वियोजित कर लेती है , स्मिथ की कृतियों के अंतरायिक गूढ अंगों तक में यह रूप धारण करता है कि प्रत्येक माल का और इसलिए ममाज के वार्षिक माल उत्पाद का भी मूल्य प+वे के बरावर अथवा श्रम शक्ति में खर्च हुए पौर श्रमिकों द्वारा निरंतर पुनरुत्पादित पूंजी मूल्य तथा मजदूरों द्वारा अपने काम के जरिये जोड़े येगी मूल्य के योग के बराबर होता है। ऐटम स्मिथ का यह अंतिम परिणाम साथ ही उनके उन संघटक अंशों के एकांगी विश्लेषण के स्रोत को भी प्रकट कर दता है,- पागे देखिये - जिनमें किसी माल का मूल्य अपने को वियोजित करता है। इस तथ्य का कि वे साथ ही उत्पादन में लगे विभिन्न वर्गों के लिए प्राय के विभिन्न स्रोत भी होते हैं, उनमें से प्रत्येक संघटक ग्रंश के परिमाण तथा उनकी मूल्य राशि के निर्धारण से कोई भी संबंध नहीं है। जब ऐडम स्मिय यह कहते हैं , तो सभी प्रकार के quid pro quo उलझा दिये जाते है फि " मजदूरी, लाम और फिगया ममस्त प्राय तया ममस्त विनिमेय मूल्य के भी तीन मूल