पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३३०

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विषय के पूर्व प्रस्तुतीकरण ३२६ 1 स्रोत हैं। अन्य सभी प्रकार की प्राय अंततः इन्हीं में से किसी एक से प्राप्त होती है।": ( खंड १, अध्याय ६, पृष्ठ ४८1) १) समाज के वे सभी सदस्य , जो श्रम द्वारा अथवा उसके बिना पुनरुत्पादन में प्रत्यक्षतः संलग्न नहीं हैं, वार्षिक पण्य उत्पाद से अपना भाग-दूसरे शब्दों में अपनी उपभोग वस्तुएं - मुख्यतः केवल उन वर्गों के हाथ से प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें उत्पाद पहले मिलता है-उत्पादक श्रमिक , प्रौद्योगिक पूंजीपति और भूस्वामी । उस सीमा तक उनकी आय भौतिक रूप में मजदूरी ( उत्पादक श्रमिकों की ), लाभ और किराये से व्युत्पन्न है, और इसलिए वह इस मूल आमदनी से व्युत्पन्न प्रतीत होती है। किंतु दूसरी ओर इस अर्थ में व्युत्पन्न आय के. प्राप्तिकर्ता उसे अपने सामाजिक कार्यों की बदौलत प्राप्त करते हैं - जैसे राजा, पुरोहित , प्रोफ़ेसर, वेश्या, सैनिक, इत्यादि - और इसलिए वे इन कार्यों को अपनी आय का मूल स्रोत मान सकते हैं। २) - और यहां ऐडम स्मिथ की हास्यास्पद भूल अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है। पण्य वस्तुओं के मूल्य के संघटक अंशों की और उनमें निहित उत्पाद की मूल्य राशि की सही परिभाषा से शुरू करने और फिर यह दिखाने कि ये संघटक अंश किस प्रकार आय के इतने सारे विभिन्न स्रोत बन जाते हैं, 39 इस प्रकार प्राय को मूल्य से व्युत्पन्न दिखाने के बाद वह उलटी दिशा में चलना शुरू कर देते हैं - और यही उनकी प्रमुख धारणा बनी रहती है - और वह प्राय को “संघटक अंशों" से "सभी विनिमेय मूल्य के मूल स्रोत" में परिणत कर देते हैं और इस प्रकार वह अनगढ़ अर्थशास्त्र के लिए दरवाज़ा भरपूर खुला छोड़ देते हैं। ( देखिये अपने रोशेर को।*) ॥ ३) पूंजी का स्थिर भाग आइये , अब देखें कि ऐडम स्मिथ किस तरह माल मूल्य से पूंजी मूल्य का स्थिर भाग गायब कर देने का प्रयत्न करते हैं। 'उदाहरण के लिए, अनाज की कीमत में एक भाग भूस्वामी का किराया अदा करता है।" मूल्य के इस घटक के उद्गम का इस परिस्थिति से कि वह भूस्वामी को दिया जाता है और किराये की शकल में उसकी आय बनता है, उसी प्रकार कोई संबंध नहीं है, जैसे मूल्य के अन्य घटकों के उद्गम का इस तथ्य से कोई संबंध नहीं है कि लाभ और मजदूरी के रूप में वे आय के स्रोत होते हैं। 'दूसरा [अंश] उसके उत्पादन में लगे श्रमिकों" [यहां उन्होंने जोड़ दिया है, "और कमकर मवेशियों"] के भरण-पोपण का ख़र्च या मजदूरी देता है, और तीसरा फ़ार्मर का मुनाफ़ा देता है। ये तीनों भाग या तो अविलंव या अंततोगत्वा अनाज की सारी कीमत का 11 . 39 मैं यह वाक्य पांडुलिपि से ज्यों का त्यों दे रहा हूं, यद्यपि अपने वर्तमान संदर्भ में वह पहले जो कुछ कहा गया है और जो इसके तुरंत बाद कहा जा रहा है, उसका खंडन करता प्रतीत होता है। इस प्रतीयमान अंतर्विरोघ का निराकरण आगे चलकर क्रमांक ४ : 'ऐडम स्मिथ की कृतियों में पूंजी और प्राय' में किया गया है।-फे० एं० • HTR ão ITT i System der Volkswirtschaft. Band 1: Die Grundlagen der Nationalökonomie, Dritte, vermehrte und verbesserte Auflage. Stuttgart und Augsburg, 1858, की बात कर रहे हैं। -सं० .