पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३४३

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कुल सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन + किंतु यदि ऐडम स्मिय मालों के मूल्य का अनुसंधान करते समय भी अपने को समग्र पुनरुत्पादन प्रक्रिया में इस मूल्य के विभिन्न अंशों की भूमिका के अन्वेषण में लगाना चाहते थे, जैसा उन्होंने किया भी है, तो यह स्पष्ट होता कि जहां कुछ भाग विशेप आय तरह कार्य करते हैं, वहां अन्य भाग वैसे ही लगातार पूंजी की तरह कार्य करते रहते हैं और फलतः उनके तर्क के अनुसार उन्हें माल मूल्य के संघटक अंश अथवा ऐसे अंश कहा जाना चाहिए था, जिनमें यह मूल्य स्वयं को वियोजित करता है। ऐडम स्मिय सामान्य माल उत्पादन का पूंजीवादी माल उत्पादन के साथ, तदात्मीकरण करते हैं; उनके लिए उत्पादन साधन प्रारंभ से ही “पूंजी" हैं, श्रम प्रारंभ से ही उजरती श्रम है और इसलिए "उपयोगी और उत्पादक श्रमिकों की संख्या सर्वत्र उन्हें काम में लगाने में नियोजित पूंजी स्टॉक की मात्रा के अनुपात में होती है"। (भूमिका , पृष्ठ १२।) संक्षेप में श्रम प्रक्रिया के विभिन्न उपादान - वस्तुगत और व्यक्तिगत दोनों ही- प्रारंभ से ही पूंजी- वादी उत्पादन युग के चारित्रिक मुखौटे पहने हुए पाते हैं। अतः मालों के मूल्य का विश्लेषण प्रत्यक्षतः इस विवेचन से एकाकार हो जाता है कि एक ओर यह मूल्य किस सीमा तक व्ययित पूंजी का समतुल्य मात्र है, और दूसरी ओर किस सीमा तक यह “मुक्त" मूल्य का किसी पेशगी पूंजी मूल्य को प्रतिस्थापित न करनेवाले अथवा वेशी मूल्य का निर्माण करता है। इस दृष्टिकोण से तुलना करने पर माल मूल्य के भाग इस प्रकार स्वयं को अगोचर रूप में उसके स्वतंत्र "संघटक अंशों" में और अंततः 'समस्त मूल्य के स्रोतों" में रूपांतरित कर लेते हैं। एक और निष्कर्ष यह निकलता है कि माल मूल्य विभिन्न प्रकार की प्रायों से बना होता है अथवा उसमें "स्वयं को वियोजित कर लेता है", जिससे कि अायों का माल मूल्यों से नहीं, वरन माल मूल्यों का "अायों" से निर्माण होता है। किंतु ठीक जैसे पूंजी मूल्य की तरह कार्य करने से स्वयं माल मूल्य अथवा द्रव्य का स्वरूप जरा भी नहीं बदलता, वैसे ही माल मूल्य का स्वरूप भी इससे ज़रा भी नहीं बदलता कि वह आगे किसी व्यक्ति विशेष के लिए प्राय का कार्य करेगा। ऐडम स्मिथ का जिस माल से साविक़ा पड़ा है, वह प्रारंभ से ही माल पूंजी है (जिसमें माल के उत्पादन में उपभुक्त पूंजी मूल्य के अलावा वेशी मूल्य भी समाहित है); अतः यह पूंजीवादी पद्धति से उत्पादित माल है, उत्पादन की पूंजीवादी प्रक्रिया का परिणाम है। इसलिए पहले इस प्रक्रिया का और उसमें समाविष्ट मूल्य के स्वविस्तार तथा निर्माण की प्रक्रिया का भी विश्लेषण करना जरूरी होता। चूंकि अपनी वारी में इस प्रक्रिया का पूर्वाधार माल परिचलन है, इसलिए उसका वर्णन माल के प्राथमिक और स्वतंत्र विश्लेपण की भी अपेक्षा करता है। किंतु ऐडम स्मिथ जहां कहीं कभी " गूढ़ रूप में" सही वात भी कह जाते हैं, वहां भी अपने विवेचन में वह मूल्य निर्माण को सदा माल के विश्लेपण, अर्थात माल पूंजी के विश्लेषण का आनुषंगिक ही मानते हैं। 41 ३. उत्तरवर्ती अर्थशास्त्री रिकार्डो ऐडम स्मिय के सिद्धांत को लगभग शब्दशः पुनः प्रस्तुत करते हैं : "यह जानना चाहिए कि किसी भी देश की सारी पैदावार उपभुक्त हो जाती है; किंतु इससे अधिकतम 41 " यहां से अध्याय के अंत तक का अंश पांडुलिपि २ का एक अनुपूरक है। - फे० एं०