पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३४५

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३४४ कुल सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन 7 ( यहां कहना चाहिए : कोई भी स्थिर पूंजी) "नहीं घटायी जायेगी, तो यह भी माना जायेगा कि यह राष्ट्र अपने सालाना उत्पाद के समस्त मूल्य का अनुत्पादक उपभोग कर सकता है, और इससे उसकी भावी आय में जरा भी कसर न पड़ेगी जो उत्पाद राष्ट्र की" (स्थिर ) "पूंजी के प्रतीक होते हैं, वे उपभोज्य नहीं होते।" (श्तोर्ख, Considérations sur la nature du revenu national, पेरिस, १८२४, पृष्ठ १४७, १५० ।) किंतु श्तोर्ख हमें यह बताना भूल गये कि पूंजी के इस स्थिर भाग का अस्तित्व उनके द्वारा स्वीकृत कीमतों के स्मिथी विश्लेषण से किस प्रकार मेल खाता है, जिसके अनुसार मालों के मूल्य में केवल मजदूरी और वेशी मूल्य होते हैं, किसी स्थिर पूंजी का कोई अंश नहीं। केवल सेय के माध्यम से उन्हें यह वोध होता है कि क़ीमतों के इस विश्लेषण से बेतुके नतीजे निकलते हैं और इस विषय पर उनकी अपनी अंतिम बात यह है कि आवश्यक कीमत को उसके सरलतम तत्वों में वियोजित करना असंभव है। (Cours d'Economie Politique, पीटर्सवर्ग, १८१५, २, पृष्ठ १४१।) सीसमांडी ने, जो विशेपकर आय से पूंजी के संबंध का विवेचन करते हैं और . यथार्थ में इस संबंध की अपनी विचित्र व्याख्या को अपने Nouveaux Principes की differentia specifica [विशिष्ट भेद] मानते हैं, समस्या के स्पष्टीकरण के लिए एक भी वैज्ञानिक शब्द नहीं कहा है, रंच मान योगदान नहीं किया है। वर्टन , रैमजे और शेरलिये ऐडम स्मिथ की स्थापना से आगे जाने की कोशिश करते हैं। किंतु वे लड़खड़ा जाते हैं, क्योंकि वे प्रारंभ से ही स्थिर और परिवर्ती पूंजी मूल्य के भेद और स्थायी तथा प्रचल पूंजी के भेद को स्पष्ट न कर पाने के कारण समस्या को एकांगी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इसी प्रकार जॉन स्टुअर्ट मिल भी ऐडम स्मिथ से उनके अनुयाइयों को प्रदत्त मत को अपनी सामान्य आडंबरपूर्ण शैली में ही पुनः प्रस्तुत करते हैं। परिणामस्वरूप विचारों का स्मिथी उलझाव आज तक बना हुआ है, और उनका मत राजतीतिक अर्थशास्त्र का एक सनातनी धर्मसूत्र है।