पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३४६

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३४५ अध्याय २० साधारण पुनरुत्पादन १. समस्या का निरूपण 1 यदि हम सामाजिक पूंजी- अतः समग्र पूंजी, वैयक्तिक पूंजियां जिसके भिन्नांश मात्र होती हैं, जिनकी गति उनकी वैयक्तिक गति और साथ ही समग्र पूंजी की गति में समायोजक कड़ी होती है - के वार्षिक कार्य और उसके परिणामों का अध्ययन करें, अर्थात यदि हम साल के दौरान समाज द्वारा मुहैया किये पण्य उत्पाद का अध्ययन करें, तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि सामाजिक पूंजी की पुनरुत्पादन प्रक्रिया कैसे होती है, कौन सी विशेषताएं इस पुनरुत्पादन प्रक्रिया को वैयक्तिक पूंजी की पुनरुत्पादन प्रक्रिया से अलग करती हैं और दोनों ही सामान्य विशेषताएं कौन सी हैं। वार्षिक उत्पाद में सामाजिक उत्पाद उन अंशों के , जो पूंजी को प्रतिस्थापित करते हैं, अर्थात सामाजिक पुनरुत्पादन , साथ-साथ वे अंश भी होते हैं, जो उपभोग निधि में आते हैं, जिनका उपभोग पूंजीपति और श्रमिक करते हैं, अतः उत्पादक और वैयक्तिक दोनों तरह का उपभोग होता है। उसमें पूंजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग का पुनरुत्पादन (अर्थात भरण-पोषण ) और इस प्रकार उत्पादन की समूची प्रक्रिया के पूंजी- वादी स्वरूप का पुनरुत्पादन भी समाहित होता है। . द्र मा मा स्पष्ट ही हमें यहां परिचलन सूत्र मा'- का ही विश्लेषण द्र-मा करना है और उपभोग उसमें अनिवार्यतः भूमिका अदा करता है, क्योंकि प्रस्थान विंदु मा' = मा+मा , माल पूंजी में स्थिर और परिवर्ती पूंजी मूल्य दोनों और वेशी मूल्य भी शामिल हैं। इसलिए उसकी गति में वैयक्तिक और उत्पादक दोनों तरह का उपभोग शामिल है। द्र- मा माग द्र' तथा उ मा' द्र'-मा उ परिपथों में पूंजी की गति प्रारंभ और समापन विंदु है। और वेशक इसमें उपभोग भी शामिल है, क्योंकि माल को, उत्पाद को वेचना होता है। जब यह कल्पित रूप में किया जा चुका होता है, तव वैयक्तिक पूंजी की गति के लिए यह महत्वहीन है कि इसके बाद इस माल का क्या होता है। दूसरी ओर मा' . . . मा' की गति सामाजिक पुनरुत्पादन की परिस्थितियां ठीक इसी तथ्य से दृष्टिगोचर होती हैं कि यह दिखाना होता है कि इस कुल उत्पाद मा' के मूल्य के प्रत्येक पाण्डुलिपि २ से। -फ़े० एं०