पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३४९

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कुल सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन II. उपभोग वस्तुएं, ऐसे रूप में पण्य वस्तुएं, जिसमें वे पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग के निजी उपभोग में पहुंचती हैं। इन दोनों क्षेत्रों में से प्रत्येक से संबद्ध उत्पादन की सभी भिन्न-भिन्न शाखाएं उत्पादन की एक ही महाशाखा बन जाती हैं, पहले प्रसंग में उत्पादन साधनों की और दूसरे में उपभोग वस्तुओं की। उत्पादन की इन दोनों शाखाओं में से प्रत्येक में नियोजित कुल पूंजी सामाजिक पूंजी का एक अलग बड़ा क्षेत्र होती है। प्रत्येक क्षेत्र में पूंजी के दो भाग होते हैं : १) परिवर्ती पूंजी। यह पूंजी, जहां तक इसके मूल्य का संबंध है, उत्पादन की इस शाखा में नियोजित सामाजिक श्रम शक्ति के मूल्य के वरावर होती है ; दूसरे शब्दों में वह इस श्रम गक्ति के लिए अदा की गई कुल मजदूरी के वरावर होती है। जहां तक उसकी सारवस्तु का संबंध है, वह कार्यरत श्रम शक्ति , जो इस पूंजी मूल्य द्वारा गतिशील हुई है, अर्थात सजीव श्रम होती है। २) स्थिर पूंजी। यह इस शाखा में उत्पादक उद्देश्यों में प्रयुक्त सभी उत्पादन साधनों का मूल्य है। ये स्वयं स्थायी पूंजी , यथा मशीनों, श्रम उपकरणों, इमारतों, कमकर पशुओं, ग्रादि तथा प्रचल स्थिर पूंजी, यथा उत्पादन सामग्री- कच्चा माल और सहायक सामान अधतयार उत्पाद , आदि-में विभाजित होते हैं। इस पूंजी की सहायता से दोनों में से प्रत्येक क्षेत्र में सृजित कुल वार्पिक उत्पाद के मूल्य का एक अंश वह होता है, जो उत्पादन प्रक्रिया में उपभुक्त स्थिर पूंजी स को व्यक्त करता है, और जो अपने मूल्य के अनुसार उत्पाद को केवल अंतरित होता है और दूसरा अंश वह होता है, जो वर्प के समूचे श्रम द्वारा जोड़ा जाता है। यह अंतोक्त अंश अपनी वारी में पेशगी परिवर्ती पूंजी प के प्रतिस्थानिक में और इसके अलावा अतिरिक्त अंश में, जो वेशी मूल्य होता है, मैं विभाजित होता है। और प्रत्येक अलग माल के मूल्य की ही तरह प्रत्येक क्षेत्र के कुल वार्पिक उत्पाद का मूल्य स+प+वे होता है। मूल्य का स अंश , जो उत्पादन में उपभुक्त स्थिर पूंजी को व्यक्त करता है, उत्पादन में नियोजित स्थिर पूंजी के मूल्य से पूरी तरह मेल नहीं खाता। ठीक है कि उत्पादन सामग्री पूरी तरह खप जाती है और उसका मूल्य पूरी तरह उत्पाद को अंतरित हो जाता है। लेकिन नियोजित स्थायी पूंजी के एक अंश की ही पूरी खपत होती है और इस तरह उसका ही मूल्य उत्पाद को अंतरित होता है। स्थायी पूंजी का दूसरा अंश - यथा मशीनें, इमारतें, वगैरह- पूर्ववत बना और कार्यशील रहता है, यद्यपि वार्पिक छीजन के अनुसार वह हासित होता जाता है। स्थायी पूंजी का यह सतत अंश हमारे लिए तव विद्यमान नहीं होता, जब हम उत्पाद के मूल्य पर विचार करते हैं। वह पूंजी मूल्य का अंश है, जो इस नवोत्पादित माल मूल्य साथ-साथ और उससे स्वतंत्र विद्यमान रहता है। यह वात वैयक्तिक पूंजी के उत्पाद के मूल्य के विश्लेपण में पहले ही बताई जा चुकी है (Buch I, Kap. VI, S. 192) * किंतु फ़िलहाल हम प्रयुक्त विश्लेषण पद्धति को छोड़ देंगे। वैयक्तिक पूंजी के उत्पाद के मूल्य के अध्ययन में हमने देखा था कि स्थायी पूंजी छीजन के जरिये जितने मूल्य से वंचित होती है, वह छीजन के दौरान सृजित उत्पाद में अंतरित हो जाता है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस दौरान .

  • हिंदी संस्करण : अध्याय ८, पृष्ठ २२७-२३० ।-सं०