पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३५४

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साधारण पुनरुत्पादन ( माल , उत्पादन साधन, जिन्हें अब उपभोग निधि में परिवर्तित कर लिया गया है ) तथा ५.०० द्रव्य रूप में हैं। सामान्य निष्कर्ष यह है : प्रौद्योगिक पूंजीपति स्वयं अपना माल परिचलन संपन्न करने के लिए जो धन परिचलन में डालते हैं- चाहे माल मूल्य के स्थिर भाग की कीमत पर, चाहे मालों के रूप में विद्यमान वेशी मूल्य की क़ीमत पर, जहां तक कि वह आय की तरह व्यय किया जाता है- उसका उतना ही भाग अलग-अलग पूंजीपतियों के पास लौट आता है, जितना उन्होंने द्रव्य परिचलन के लिए पेशगी दिया था। जहां तक वर्ग I की परिवर्ती पूंजी के द्रव्य रूप में पुन:रूपांतरण का संबंध है, I के पूंजीपतियों द्वारा इस पूंजी के मजदूरी में लगा दिये जाने के बाद वह उनके लिए पहले मालों के उस रूप में रहती है, जिसमें मजदूरों ने उसे उन्हें दिया था। उन्होंने यह पूंजी इन मजदूरों को द्रव्य रूप में उनकी श्रम शक्ति की कीमत की तरह दी थी। इस सीमा तक पूंजीपतियों ने अपने पण्य उत्पाद के मूल्य के उस संघटक अंश की अदायगी कर दी है, जो द्रव्य रूप में व्यय की हुई परिवर्ती पूंजी के बरावर है। इस कारण वे माल उत्पाद के इस अंश के भी मालिक हैं। किंतु मजदूर वर्ग का वह हिस्सा, जिसे उन्होंने काम में लगाया है, अपने द्वारा निर्मित उत्पादन साधनों को नहीं खरीदता ; ये मजदूर II द्वारा उत्पादित उपभोग वस्तुएं ख़रीदते हैं। इसलिए I के पूंजीपतियों द्वारा श्रम शक्ति की अदायगी के लिए पेशगी दी गई परिवर्ती पूंजी उनके पास सीधे नहीं लौटती। वह मजदूरों द्वारा किये क्रयों के ज़रिये श्रमिक जनों के लिए आवश्यक और उनकी सामर्थ्य के भीतर मालों के पूंजीपति उत्पादकों के हाथ में पहुंच जाती है। दूसरे शब्दों में वह II के पूंजीपतियों के हाथ में पहुंच जाती है। और जब तक ये उत्पादन साधन ख़रीदने में धन ख़र्च नहीं करते , तव तक वह इस टेढ़े-मेढ़े रास्ते से I के पूंजीपतियों के हाथ में नहीं पहुंचता। इससे यह नतीजा निकलता है कि साधारण पुनरुत्पादन के आधार पर I की माल पूंजी के प+बे मूल्यों का योग (अतः I के कुल पण्य उत्पाद का तदनुरूप समानुपातिक अंश) IIस स्थिर पूंजी के बराबर होगा, जिसे इसी प्रकार क्षेत्र II के कुल पण्य उत्पाद का समानुपातिक अंश माना गया है ; अथवा I (प+बे ) = IIस | 3 .- . 1 ४. क्षेत्र II के भीतर विनिमय। जीवनावश्यक वस्तुएं और विलास वस्तुएं क्षेत्र II के माल उत्पाद के मूल्य में प तथा वे घटकों का अध्ययन करना अभी वाक़ी है। इस विश्लेषण का उस सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न से कोई संबंध नहीं है, जिस पर हमारा ध्यान यहां केंद्रित है, अर्थात यह कि प्रत्येक पृथक पूंजीवादी पण्य उत्पाद के मूल्य का स+प+वे में विभाजन - भले ही वह अभिव्यंजना के विभिन्न रूपों द्वारा संपन्न किया गया हो-किस हद तक कुल वार्षिक उत्पाद के मूल्य पर भी लागू होता है। इस प्रश्न का उत्तर एक ओर II से I (प+वे) के विनिमय में और दूसरी ओर क्षेत्र I के वार्षिक उत्पाद में I त्पादन के अनुसंधान में मिलता है, जो हम आगे करेंगे। चूंकि II के दैहिक रूप में विद्यमान होता है ; चूंकि मजदूरों की श्रम शक्ति की अदायगी के लिए जो स के पुनरु- स (प+ वे ) उपभोग वस्तुओं 15--1150