पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३५८

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साधारण पुनरुत्पादन ३५७ इस गति से यह सिद्धिकरण होता है : ५००५ (क+ख ) [४००५ ( क ) तथा १००वे ( क ) में सिद्धिकृत] + ५००३ (क+ख ) [३००३ (क) + १००५ (ख) + १००वे (ख ) में सिद्धिकृत १,०००। क और ख पर अलग-अलग विचार करने पर निम्न सिद्धिकरण प्राप्त होता है : क) वे ४००५ (क) ' २४०३ ( क ) + १००प(ख)+ ६०वे (ख) ख) १००३ (क) ६०३ (क)+४०३ (ख) १,००० प -८०० + प वे २०० (+ - % 3D यदि सरलता के लिए हम परिवर्ती और स्थिर पूंजी के वीच समान अनुपात मान लें (जो, प्रसंगवश , विल्कुल भी जरूरी नहीं है), तो ४००५ ( क ) के लिए स्थिर पूंजी १,६०० बनती है और १००५ (ख ) के लिए ४०० । इस तरह II में क और ख ये दो उपविभाग बन जाते हैं : II क) १,६०°स+४००+४००३ - २,४०० II ख) ४००+१००+१०°वे जिनका योग है: २,०००स+५००+५००३ = ३,००० तदनुसार उपभोग वस्तुओं के रूप में जिन २,००० IIस का विनिमय २,००० (प+वे) से होता है, उनमें से १,६०० का जीवनावश्यक वस्तुओं के उत्पादन साधनों से और ४०० का विलास वस्तुओं के उत्पादन साधनों से विनिमय होता है। इसलिए २,००० (प+बे ) का क के लिए (८०°4+ ८०० वे) I, जो जीवनावश्यक वस्तुओं के उत्पादन साधनों के १,६०० के बराबर है, और ख के लिए ( २००५+२००३) 1, जो विलास वस्तुओं के उत्पादन साधनों के ४०० के वरावर हैं, में विघटन हो जायेगा। स्वयं श्रम उपकरणों और साथ ही कच्ची और सहायक सामग्री , इत्यादि का काफ़ी बड़ा भाग दोनों क्षेत्रों के लिए एक सा ही होता है। किंतु जहां तक कुल उत्पाद I(4+वे के मूल्य के विभिन्न अंशों के विनिमय का संबंध है, ऐसा विभाजन पूर्णतः महत्वहीन होगा। I के उपर्युक्त ८०० और I के २००५ का इसलिए सिद्धिकरण होता है कि उपभोग वस्तुओं, १,००० IIस के लिए मजदूरी ख़र्च की जाती है; अतः इस उद्देश्य के लिए पेशगी दी द्रव्य पूंजी अपनी वापसी पर 1 के पूंजीपति उत्पादकों के बीच समान रूप में वितरित हो जाती है, उनकी पेशगी परिवर्ती पूंजी द्रव्य रूप में pro rata प्रतिस्थापित होती है। दूसरी ओर , जहां तक १,००० I के सिद्धिकरण का संबंध है, पूंजीपति यहां भी उसी तरह समरूप में (अपने वे के परिमाण के यथानुपात) के समूचे दुसरे भाग से उपभोग साधनों के रूप में १,००० के वरावर ६०० II क और - - 11