पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३६४

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साधारण पुनरुत्पादन " 3 - यद्यपि द्रव्य कमोवेश सभी लोगों के हाथों से होकर परिचालित होता है। यह क्षेत्र अपनी पूंजी को जिस ढंग से पेशगी देता है, उससे उसका आखिर में उसके पास निरंतर द्रव्य रूप में पश्चप्रवाह आवश्यक हो जाता है, यद्यपि यह फिर प्रौद्योगिक पूंजी के द्रव्य पूंजी में पुनःरूपांतरण द्वारा ही होता है। माल परिचलन लिए हमेशा दो चीजें ज़रूरी होती हैं : माल, जो परिचलन में डाला जाता है और द्रव्य , जो उसी प्रकार उसमें डाला जाता है। परिचलन की प्रक्रिया पैदावार के प्रत्यक्ष विनिमय की तरह उपयोग मूल्यों के स्थानांतरित होने और मालिकों के बदलने पर समाप्त नहीं हो जाती। किसी एक माल के रूपांतरण के परिपथ से बाहर निकल जाने पर द्रव्य ग़ायब नहीं हो जाता। उसका तो लगातार परिचलन के क्षेत्र के उन नये स्थानों में अवक्षेपण होता रहता है, जिनको दूसरे माल ख़ाली कर जाते हैं ," इत्यादि (Buch I, Kap. III, p. 92)* 1 उदाहरण के लिए, IIस और (प+ वे ) के वीच परिचलन में हमने माना था कि II ने उसके लिए द्रव्य रूप में ५०० पाउंड पेशगी दिये हैं। उत्पादकों के बड़े सामाजिक समूहों के वीच परिचलन अपने को जिन असंख्य परिचलन प्रक्रियाओं में वियोजित कर लेता है, उनमें विभिन्न समूहों के प्रतिनिधि अलग-अलग अवसरों पर पहले ग्राहकों के रूप में आयेंगे और इसलिए परिचलन में धन डालेंगे। विशेष परिस्थितियां दरकिनार , यह और किसी चीज़ से नहीं, तो उत्पादन अवधियों में अंतर से, और इस प्रकार विभिन्न माल पूंजियों की आवर्त अवधियों में अंतर पड़ने से आवश्यक हो जाता है। इस तरह इन ५०० पाउंड से II उतने ही मूल्य के उत्पादन साधन I से ख़रीदता है और I ५०० पाउंड मूल्य की उपभोग वस्तुएं II से ख़रीदता है। अतः धन II के पास वापस आ जाता है, किंतु इस पश्चप्रवाह से यह क्षेत्र किसी तरह ज्यादा धनी नहीं हो जाता। उसने पहले परिचलन में ५०० पाउंड द्रव्य रूप में डाले थे और उसी मूल्य का माल उसमें से निकाला था ; फिर वह ५०० पाउंड का माल बेचता है और उतनी ही द्रव्य राशि परिचलन से निकालता है। इस प्रकार ५०० पाउंड उसके पास लौट आते हैं। दरअसल II ने परिचलन में ५०० पाउंड द्रव्य रूप में और ५०० पाउंड मालों के रूप में डाले हैं, जो १,००० पाउंड के वरावर हुए। वह ५०० पाउंड मालों के रूप में और ५०० पाउंड द्रव्य रूप में परिचलन से निकालता है। I के माल में ५०० पाउंड और II के माल में ५०० पाउंड के निपटारे के लिए परिचलन को द्रव्य रूप में केवल ५०० पाउंड की अावश्यकता है ; इसलिए जिसने भी दूसरे उत्पादकों से माल खरीदने के लिए द्रव्य पेशगी दिया है, वह अपना माल बेचने पर उसे वापस पा जाता है। फलतः यदि I ने पहले II से ५०० पाउंड का माल खरीदा है और बाद में ५०० पाउंड मूल्य का माल Il को बेच दिया है, तो ये ५०० पाउंड II के पास नहीं, I के पास लौट आयेंगे। वर्ग I में मजदूरी में निवेशित धन , अर्थात द्रव्य रूप में पेशगी परिवर्ती पूंजी , इसी रूप में प्रत्यक्षतः नहीं लौटता, वरन टेढ़े रास्ते से अप्रत्यक्षतः लौटता है। किंतु II में मजदूरी के ५०० पाउंड मजदूरों से पूंजीपतियों के पास प्रत्यक्षतः लौट आते हैं और यह प्रत्यावर्तन उस मामले में हमेशा प्रत्यक्ष होता है, जिसमें उन्हीं व्यक्तियों में वारंवार क्रय-विक्रय इस तरह होता है कि वे बारी-बारी से मालों के ग्राहक और विक्रेता होते हैं। II का पूंजीपति श्रम शक्ति • हिंदी संस्करण : अध्याय ३, पृष्ठ १३१।-सं० 1