पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३६८

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साधारण पुनरुत्पादन अलावा, जो स बाद वह ५०० पाउंड के उत्पादन साधन फिर वेचता है (विनिमय क्रमांक ६), जो उसके वेशी मूल्य का दूसरा अर्धाश है, और इस प्रकार सारा वेणी मूल्य परिचलन से द्रव्य रूप में निकाल लिया जाता है। अतः क्रमानुसार : १) परिवर्ती पूंजी १,००० पाउंड के बरावर द्रव्य में पुन:- परिवर्तित हो जाती है; २) वेशी मूल्य का आधा हिस्सा ५०० पाउंड के वरावर द्रव्य में परिवर्तित हो जाता है ; ३) वेशी मूल्य का दूसरा आधा हिस्सा ५०० पाउंड के वरावर ; कुल मिलाकर १,०००+१,०००वे द्रव्य में परिवर्तित हो जाते हैं, जो २,००० पाउंड के बराबर है। यद्यपि I ने परिचलन में केवल १,००० पाउंड डाले थे ( उन विनिमयों के पुनरुत्पादन को संवर्धित करते हैं और जिनका विश्लेषण. हम आगे करेंगे), उसने परिचलन से इस राशि का दुगना निकाल लिया है। बेशक वे उपभोग वस्तुओं पर खर्च किये जाने से द्रव्य में परिवर्तित होते ही तुरंत दूसरों ( II ) के हाथ में पहुंच जाता है। I के पूंजीपतियों ने उससे द्रव्य रूप में उतना ही निकाला था, जितना मूल्य में मालों के रूप में उसमें डाला था ; इस तथ्य से कि यह मूल्य वेशी मूल्य है, अर्थात पूंजीपतियों को उसके लिए कुछ भी ख़र्च नहीं करना पड़ता, इन मालों का मूल्य किसी तरह बदल नहीं जाता ; जहां तक माल परिचलन में मूल्यों के विनिमय का संबंध है, उस तथ्य का कुछ भी महत्व नहीं है। वेशी मूल्य का द्रव्य रूप में अस्तित्व अस्थायी ही होता है, जैसे वे सव अन्य रूप अस्थायी होते हैं, जिन्हें पेशगी पूंजी अपने रूपांतरणों में धारण करती है। I मालों के द्रव्य में बदलने तथा तत्पश्चात I द्रव्य के II मालों में परिवर्तित होने के बीच जो अंतराल होता है, वह उससे अधिक नहीं टिकता। यदि आवर्त और अल्पकालीन होते , -- अथवा साधारण माल परिचलन के दृष्टिकोण से द्रव्य के और द्रुत परिचलन की कल्पना की जाती- तो विनिमीत माल मूल्यों के परिचलन के लिए और भी कम द्रव्य पर्याप्त होता ; यदि ऋमिक विनिमयों की संख्या दी हुई हो, तो यह राशि सदा परिचालित मालों की कीमतों के योग द्वारा अथवा उनके मूल्यों निर्धारित होती है। यह निरर्थक है कि मूल्यों के इस योग में एक अोर वेशी मूल्य और दूसरी ओर पूंजी मूल्य का अनुपात क्या होता है। यदि हमारे उदाहरण में I की मजदूरी साल में चार बार दी जाये, तो २५० का चार गुना, यानी १,००० उपलब्ध होंगे। अतः द्रव्य रूप में २५० पाउंड प- १/२ IIस परि- चलन के लिए और परिवर्ती पूंजी प तथा श्रम शक्ति I के वीच परिचलन के लिए पर्याप्त होंगे। इसी प्रकार, यदि I तथा IIस के बीच परिचलन चार आवर्गों में हो, तो ५,००० पाउंड रकम के मालों के परिचलन के लिए केवल २५० पाउंड अथवा कुल मिलाकर ५०० पाउंड की द्रव्य राशि या द्रव्य पूंजी दरकार होगी। उस स्थिति में वेशी मूल्य प्राधा-आधा करके क्रमा- नुसार दो वार के बदले चौथाई के हिसाब से क्रमानुसार चार वार द्रव्य में परिवर्तित होगा। यदि विनिमय क्रमांक ४ में [ नहीं, बल्कि I ग्राहक वने और उसी मूल्य की उपभोग वस्तुओं पर ५०० पाउंड ख़र्च करे, तो विनिमय क्रमांक ५ उन्हीं ५०० पाउंड से II उत्पादन साधन खरीदेगा; ६) I उन्हीं ५०० पाउंड से उपभोग वस्तुएं खरीदता है; ७) II उन्हीं ५०० पाउंड से उत्पादन साधन ख़रीदता है, जिससे कि ५०० पाउंड आखिर में I के पास लौट आते हैं, जैसे पहले II के पास लौटे थे। यहां वेशी मूल्य द्रव्य में उस द्रव्य द्वारा परि- वर्तित होता है, जिसे पूंजीपति उत्पादक स्वयं अपने व्यक्तिगत उपभोग के लिए खर्च करते हैं। योग द्वारा 1