पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३७५

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कुल सामाजिक पंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन . उत्पाद के उन अंश के लिए ही नहीं है, जिसमें उपभोग वस्तुएं होती हैं ; और २) यह उस अयं में सही नहीं है कि यह कुल मूल्य II में उत्पादित होता है और उसके उत्पाद का मूल्य II में पेशगी परिवर्ती पूंजी के मूल्य तथा II में उत्पादित वेशी मूल्य के योग के बराबर होता है। यह केवल इस अर्थ में सही है कि II II (स+प+वे) वरावर है II(प+बे) + (प+बे) के , अथवा इसलिए कि IIस वरावर है (प+वे) के। इसके अलावा यह भी नतीजा निकलता है : प्रत्येक कार्य दिवस की ही भांति सामाजिक कार्य दिवस (अर्थात समूचे मजदूर वर्ग द्वारा वर्ष भर में व्ययित श्रम ) केवल दो भागों में, यानी आवश्यक श्रम और वेशी श्रम में विभा- जित होता है और फलतः इस कार्य दिवस द्वारा उत्पादित मूल्य भी इसी प्रकार अपने को केवल दो भागों में वियोजित करता है, यानी परिवर्ती पूंजी मूल्य अथवा वह मूल्यांश , जिससे मजदूर अपने पुनरुत्पादन के साधन ख़रीदता है, तथा वेशी मूल्य , जिसे पूंजीपति स्वयं अपने व्यक्तिगत उपभोग पर खर्च कर सकता है। फिर भी समाज के दृष्टिकोण से सामाजिक कार्य दिवस का एक भाग केवल नई स्थिर पूंजी के उत्पादन पर, यानी उस उत्पाद पर खर्च किया जाता है , जिसका एकमान उद्देश्य श्रम प्रक्रिया में उत्पादन साधन की हैसियत से , अतः साथ चलनेवाली मूल्य की स्वप्रसार प्रक्रिया में स्थिर पूंजी की हैसियत से कार्य करना है। हमारी कल्पना के अनुसार कुल सामाजिक कार्य दिवस ३,००० के द्रव्य मूल्य में अभिव्यक्त होता है, जिसका केवल एक तिहाई हिस्सा , या १,०००, उपभोग वस्तुओं का निर्माण करनेवाले क्षेत्र II में, यानी उन मालों का निर्माण करनेवाले क्षेत्र में उत्पादित होता है, जिनमें अंततोगत्वा समाज की परिवर्ती पूंजी के कुल मूल्य तथा कुल वेशी मूल्य का सिद्धिकरण होता है । अतः इस कल्पना के अनुसार सामाजिक कार्य दिवस का दो तिहाई भाग नई स्थिर पूंजी के उत्पादन में लगाया जाता है। यद्यपि क्षेत्र I के वैयक्तिक पूंजीपतियों और मजदूरों के दृष्टिकोण से सामाजिक कार्य दिवस का यह दो तिहाई भाग परिवर्ती पूंजी मूल्य तथा वेशी मूल्य के उत्पादन के ही काम आता है, जैसे क्षेत्र II में सामाजिक कार्य दिवस का अंतिम तिहाई भाग, फिर भी यह दो तिहाई -अब भी समाज की और इसी प्रकार उत्पाद के उपयोग मूल्य की दृष्टि से भी - उत्पादक उपभोग की प्रक्रिया के अंतर्गत अथवा इस दौर में उपभुक्त हो चुकी स्थिर पूंजी का प्रतिस्था- निक मात्र उत्पन्न करता है। पृथक रूप में देखने पर भी कार्य दिवस का यह दो तिहाई भाग जहां उत्पादक के लिए केवल परिवर्ती पूंजी मूल्य तथा वेशी मूल्य के योग के वरावर समग्र मूल्य उत्पादित करता है, फिर भी वह ऐसे कोई उपयोग मूल्य पैदा नहीं करता, जिन पर मजदूरी या वेशी मूल्य व्यय किया जा सके , क्योंकि उसका उत्पाद उत्पादन साधन होता है। पहले तो यह ध्यान में रखना चाहिए कि I हो, चाहे II , किसी में भी सामाजिक कार्य दिवस का कोई भाग उत्पादन के इन दोनों बड़े क्षेत्रों नियोजित और कार्यरत स्थिर पूंजी के मूल्य के उत्पादन काम नहीं आता। वे केवल स्थिर पूंजी के मूल्य के अलावा , जो ४,००० + २,००० IIस के बरावर है , अतिरिक्त मूल्य २,००० (प+वे) + १,००० I (प+वे) का उत्पादन करते हैं । उत्पादन साधनों के रूप में उत्पादित नया मूल्य अभी स्थिर पूंजी नहीं होता। वह केवल भविष्य में इस रूप में कार्य के लिए उद्दिष्ट होता है। II का सारा उत्पाद - उपभोग वस्तुएं- उपयोग मूल्य के यथार्थ दृष्टिकोण से , अपने दैहिक रूप में II द्वारा व्यय किये सामाजिक कार्य दिवस के एक तिहाई भाग का उत्पाद है। भाग - .