पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

साधारण पुनरुत्पादन ३७७ - उत्पादन प्रक्रिया से पहले व्ययित दो कार्य दिवस ; मूल्य अभिव्यक्ति=६,००० । साल भर में व्ययित आवश्यक श्रम (प): वार्पिक उत्पाद पर व्ययित आधा कार्य दिवस ; मूल्य अभिव्यक्ति=१,५०० । साल भर में व्ययित वेशी श्रम (वे): वार्पिक उत्पाद पर व्ययित आधा कार्य दिवस ; मूल्य अभिव्यक्ति-१,५०० । वार्पिक श्रम द्वारा उत्पादित मूल्य (प+वे ) =३,००० । उत्पाद का कुल मूल्य (स+प+वे ) =६,०००। तो कठिनाई स्वयं सामाजिक उत्पाद के मूल्य के विश्लेपण की नहीं है। वह सामाजिक उत्पाद के मूल्य के संघटक अंगों की उसके भौतिक घटकों से तुलना करने में पैदा होती है। मूल्य का स्थिर , केवल पुनः प्रकट होनेवाला अंश इस उत्पाद के उस भाग के मूल्य के बराबर है, जिसमें उत्पादन साधन समाहित होते हैं और वह उस भाग में समाविष्ट होता है। प+बे के बरावर वर्ष का नया मूल्य उत्पाद इस उत्पाद के उस भाग के मूल्य के बराबर है, जिसमें उपभोग वस्तुएं समाहित होती हैं और वह उसमें समाविष्ट होता है । किंतु कुछ ऐसे अपवादों को छोड़कर, जिनका यहां कोई महत्व नहीं है, उत्पादन साधन और उपभोग वस्तुएं नितांत भिन्न प्रकार के माल, नितांत भिन्न दैहिक रूपों अथवा उपयोग रूपों का उत्पाद और इसलिए मूर्त श्रम की नितांत भिन्न श्रेणियों का उत्पाद होते हैं। निर्वाह साधनों के उत्पाद में जो श्रम मशीनों का उपयोग करता है, वह उस श्रम से अत्यधिक भिन्न होता है, जो मशीनें बनाता है। जिस संपूर्ण समुच्चित वार्षिक कार्य दिवस की मूल्य अभिव्यक्ति ३,००० है , वह ३,००० के वरावर उपभोग वस्तुओं के उत्पादन में खर्च हुअा जान पड़ता है, जिसमें मूल्य का कोई स्थिर भाग पुनः प्रकट नहीं होता, क्योंकि ये ३,००० जो १,५००+ १,५००वे के वरावर हैं, केवल परिवर्ती पूंजी मूल्य और वेशी मूल्य. में वियोजित होते हैं। दूसरी पोर ६,००० का स्थिर पूंजी मूल्य उपभोग वस्तुओं से नितांत भिन्न श्रेणी. के उत्पादों में, अर्थात उत्पादन साधनों में पुनः प्रकट होता है, जब कि वास्तव में सामाजिक कार्य दिवस का कोई भाग इस नये उत्पाद के उत्पादन में खर्च हुअा प्रतीत नहीं पड़ता। बल्कि ऐसा लगता है कि समूचे कार्य दिवस में श्रम की केवल ऐसी श्रेणियां हैं, जिनका परिणाम उत्पादन साधन नहीं होते , वरन उपभोग वस्तुएं होती हैं। इस रहस्य का स्पष्टीकरण किया जा चुका है। वर्ष के श्रम का मूल्य उत्पाद क्षेत्र II के उत्पाद के मूल्य के बरावर , नवोत्पादित उपभोग वस्तुओं के कुल मूल्य के बराबर होता है। किंतु इस उत्पाद का मूल्य वार्पिक श्रम के उस भाग से दो तिहाई अधिक होता है, जो (क्षेत्र II में ) उपभोग वस्तुओं के उत्पादन क्षेत्र में ख़र्च किया गया है। उसके उत्पादन में वार्पिक श्रम का केवल एक तिहाई भाग खर्च किया गया है। इस वार्षिक श्रम का दो तिहाई भाग उत्पादन साधनों के उत्पादन पर, यानी क्षेत्र I में खर्च किया गया है। 1 में इस दौरान जिस मूल्य उत्पाद का निर्माण होता है, जो I में उत्पा- दित परिवर्ती पूंजी मूल्य तथा वेशी मूल्य के बराबर है, वह II के उस स्थिर पूंजी मूल्य के वरावर होता है, जो उपभोग वस्तुओं के रूप में II में पुनः प्रकट होता है। अत: उनका परस्पर विनिमय और वस्तुरूप में प्रतिस्थापन हो सकता है। इसलिए II की उपभोग वस्तुओं का मूल्य I तथा [I के नये मूल्य उत्पाद की राशि के बरावर है, अथवा II(स+प+वे ) .