पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३८०

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साधारण पुनरुत्पादन ३७६ . मशीन निर्माता पूंजीपति स्वयं इनका उत्पादन नहीं करता, वरन उसे परिचलन प्रक्रिया के द्वारा उनका प्रतिस्थापन करना होता है। फिर भी पहली नजर में यही लगता है कि समाज के वार्षिक उत्पाद का पुनरुत्पादन इस वेतुके ढंग से होता है। वैयक्तिक पूंजी के उत्पाद का , अर्थात सामाजिक पूंजी के उस प्रत्येक अंश के उत्पाद का , जिसका अपना जीवन होता है और जो स्वतंत्र ढंग से कार्य करता है, किसी न किसी प्रकार का दैहिक रूप होता है। एकमात्र शर्त यह है कि इस उत्पाद का वस्तुतः उपयोग रूप, उपयोग मूल्य होना चाहिए, जिससे उस पर परिचलनीय पण्य जगत का सदस्य होने की छाप लग जाती है। यह बात महत्वहीन और सांयोगिक ही है कि वह जिस उत्पादन प्रक्रिया से उत्पाद के रूप में निकला है, उसी में उत्पादन साधनों की तरह पुनः प्रवेश कर सकता है या नहीं ; दूसरे शब्दों में उसके मूल्य का वह भाग , जो पूंजी का स्थिर भाग है, ऐसे दैहिक रूप में है या नहीं, जिसमें वह स्थिर पूंजी के रूप में फिर वस्तुतः कार्य कर सकता है। यदि नहीं, तो उत्पाद के मूल्य का यह भाग क्रय-विक्रय द्वारा अपने भौतिक उत्पादन तत्वों के रूप में पुनःपरि- वर्तित हो जाता है और इस प्रकार स्थिर पूंजी ऐसे दैहिक रूप में पुनरुत्पादित हो जाती है, जिसमें वह कार्य कर सकती है। समुच्चित सामाजिक पूंजी के उत्पाद की स्थिति इससे भिन्न होती है। पुनरुत्पादन के सभी भौतिक तत्वों को अपने दैहिक रूप में इस उत्पाद के संघटक अंश बनना होता है। पूंजी का उपभुक्त स्थिर भाग समुच्चित उत्पादन द्वारा वहीं तक प्रतिस्थापित हो सकता है कि जहां तक उत्पाद में पुनः प्रकट होनेवाला पूंजी का समग्र स्थिर भाग उन नये उत्पादन साधनों के दैहिक रूप में पुनः प्रकट होता है, जो स्थिर पूंजी की तरह सचमुच कार्य कर सकते हैं। अतः साधारण पुनरुत्पादन की कल्पना के आधार पर उत्पाद का जो अंश उत्पादन साधनों से बनता है, उसके मूल्य को सामाजिक पूंजी के मूल्य के स्थिर भाग के वरावर होना होता है। फिर : व्यक्तिगत विचार से पूंजीपति अपने उत्पाद के मूल्य में नये जोड़े हुए श्रम के द्वारा केवल अपनी परिवर्ती पूंजी तथा वेशी मूल्य का उत्पादन करता है, जब कि मूल्य का स्थिर भाग नये जोड़े हुए श्रम के मूर्त स्वरूप के कारण उत्पाद में अंतरित हो जाता है। सामाजिक विचार से सामाजिक कार्य दिवस का उत्पादन साधन पैदा करनेवाला , अतः उनमें नया मूल्य जोड़नेवाला तथा उनमें उनके निर्माण में उपभुक्त उत्पादन साधनों के मूल्य को अंतरित करनेवाला अंश I तथा II दोनों क्षेत्रों में पुराने उत्पादन साधनों की शक्ल में उपभुक्त पूंजी के प्रतिस्थापनार्थ नई स्थिर पूंजी के अलावा और कुछ निर्मित नहीं करता। वह केवल उत्पादक उपभोग के लिए उद्दिष्ट उत्पाद का निर्माण करता है। इसलिए इस उत्पाद का समस्त मूल्य केवल ऐसा मूल्य है, जो स्थिर पूंजी की तरह फिर से कार्य कर सकता है, जो स्थिर पूंजी को उसके दैहिक रूप में केवल फिर से खरीद सकता है और जो इस कारण सामा- जिक विचार से न तो परिवर्ती पूंजी में और न वेशी मूल्य में वियोजित होता है। दूसरी ओर सामाजिक कार्य दिवस का जो भाग उपभोग वस्तुएं पैदा करता है, वह सामा- जिक प्रतिस्थापन पूंजी का कोई अंश निर्मित नहीं करता। वह केवल अपने दैहिक रूप में I तथा II की परिवर्ती पूंजी के मूल्य तथा वेशी मूल्य के सिद्धिकरण के लिए उद्दिष्ट उत्पाद का ही निर्माण करता है। समाज के दृष्टिकोण की बात करके समय और इसलिए समाज के कुल उत्पाद पर विचार करते समय , जिसमें वैयक्तिक उपभोग तथा सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन दोनों समाविष्ट