पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३९४

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साधारण पुनरुत्पादन यह अंततः अपने को इस प्रकार वियोजित करता है: . % 32 ४,००० स+२,००० II+१,००० + ५०० II+ १,००० + ५०० 11= - ६,०००+ १,५००+१,५००३ = ६,००० स्थिर पूंजी के मूल्य का एक अंश, जो श्रम उपकरणों- इन शब्दों के यथार्थतम अर्थ में ( उत्पादन साधनों के एक विशेष भाग के रूप में)-से बना है, श्रम उपकरणों से श्रम उत्पाद (माल) को अंतरित हो जाता है। ये श्रम उपकरण उत्पादक पूंजी के तत्वों की तरह कार्य करते रहते हैं और ऐसा अपने पुराने दैहिक रूप में करते हैं। एक निश्चित अवधि तक उनके लगातार कार्य करने के परिणामस्वरूप उनकी घिसाई होती है, उनमें क्रमशः मूल्य ह्रास होता है, वह उनके द्वारा उत्पादित माल के मूल्य के एक तत्व रूप में पुनः प्रकट होता है, वही श्रम उपकरणों से श्रम के उत्पाद को अंतरित होता है। इसलिए जहां तक वार्षिक पुनरुत्पादन का संबंध है, स्थायी पूंजी के केवल ऐसे संघटक अंशों पर ही शुरू से ध्यान दिया जायेगा, जो साल भर से ज्यादा चलते हैं। यदि वे साल के भीतर ही पूरी तरह से छीज जाते हैं, तो वार्पिक पुनरुत्पादन द्वारा उनका पूरी तरह प्रतिस्थापन और नवीकरण आवश्यक होगा और विचाराधीन समस्या से उनका कोई संबंध नहीं है। मशीनों और स्थायी पूंजी के दूसरे ज्यादा टिकाऊ रूपों के मामले में ऐसा हो सकता है और अक्सर होता भी है - कि उनके कुछ हिस्सों को साल के भीतर ही पूर्ण रूप से प्रतिस्थापित करना होता है, यद्यपि इमारत या मशीन अपनी समग्रता में कहीं ज्यादा चलती है। ये हिस्से स्थायी पूंजी के तत्वों के संवर्ग में आते हैं, जिनका एक साल के भीतर ही प्रतिस्थापन करना होता है। मालों के मूल्य के इस तत्व को मरम्मत की लागत से उलझाना नहीं चाहिए। यदि कोई माल विक जाता है, तो अन्य सभी की तरह यह मूल्य तत्व भी द्रव्य में बदल जाता है। किंतु द्रव्य में बदल जाने के बाद मूल्य के अन्य तत्वों से उसका भेद स्पष्ट हो जाता है। मालों के उत्पादन में उपमुक्त कच्चे माल और सहायक सामग्री का वस्तुरूप में प्रतिस्थापन जरूरी होता है, जिससे कि मालों का पुनरुत्पादन शुरू हो सके (अथवा मालों की उत्पादन प्रक्रिया सा- मान्य रूप में जारी रहे)। उन पर खर्च हुई श्रम शक्ति का ताज़ा श्रम शक्ति द्वारा नवीकरण भी आवश्यक होता है। फलतः मालों से सिद्धिकृत द्रव्य को उत्पादक पूंजी के इन तत्वों में, द्रव्य रूप से माल रूप में निरंतर पुनःपरिवर्तित करना आवश्यक होता है। इससे स्थिति में कोई अंतर नहीं आता कि यदि , उदाहरण के लिए , कच्ची और सहायक सामग्री को किन्हीं निश्चित अंतरालों पर बड़ी मात्रा में खरीदा जाता है, जिससे कि वे उत्पादक पूर्ति का काम करती हैं और इन्हीं निश्चित अवधियों में उनका फिर से खरीदना ज़रूरी न हो; और इसलिए - तक वे चलती हैं - मालों की विक्री से आनेवाला धन इसी प्रयोजन के लिए होने के कारण संचित होता जाता है और इस प्रकार स्थिर पूंजी का यह अंश कुछ समय ऐसी मुद्रा पूंजी प्रतीत होता है, जिसका सक्रिय कार्य निलंबित हो गया है। यह प्राय-पूंजी नहीं है; यह द्रव्य रूप में निलंबित उत्पादक पूंजी है। उत्पादन साधनों के नवीकरण को निरंतर होते ही रहना होगा, यद्यपि परिचलन के संदर्भ में इस नवीकरण का रूप बदल सकता है। नई खरीदारी, वह परिचलन किया, जिसके द्वारा इनका नवीकरण या प्रतिस्थापन होता है, न्यूनाधिक दीर्घ अंतरालों पर हो सकती है, फिर एक ही वार में अनुरूप उत्पादक पूर्ति से प्रतिकारित कोई बड़ी राशि निवेशित की जा सकती है। अथवा खरीदारियों के बीच के अंतराल छोटे हो सकते हैं; -जब