पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४०४

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साधारण पुनरुत्पादन ४०३ - . (1 1 मूल्य के एक अंश का सिद्धिकरण कर भी चुका हुअा हो- उस माल संहति के छीजांश से , जिसका अभी यहां शेषांश ही सामने आता है- फिर भी उसे द्रव्य रूप में २०० का सिद्धिकरण करना बाक़ी रहता है।) जहां तक इस अंतिम क्रिया में II द्वारा परिचलन में डाले ४०० पाउंड के दूसरे अर्धाश ( २०० के वरावर) का संबंध है, वह स्थिर पूंजी के प्रचल घटक I ख़रीदता है। इन २०० पाउंड का एक हिस्सा परिचलन में II के दोनों भागों द्वारा अथवा इनमें से उसी द्वारा डाला जा सकता है, जो अपने मूल्य के स्थायी घटक का वस्तुरूप में नवीकरण नहीं करता। इस प्रकार इन ४०० पाउंड की सहायता से I से निम्नलिखित की निकासी होती है : १) २०० पाउंड के वरावर माल , जिसमें केवल स्थायी पूंजी के तत्व समाहित हैं ; २) २०० पाउंड के बरावर माल , जो स्थिर पूंजी के प्रचल भाग के नैसर्गिक तत्वों को ही प्रतिस्थापित करता है। इस तरह 1 ने अपना सारा वार्षिक उत्पाद बेच डाला है, जहां तक वह II को वेचा जाना था ; किंतु उसके पंचमांश का मूल्य , ४०० पाउंड, अव द्रव्य रूप में I के पास है। यह द्रव्य तथापि द्रव्य में परिवर्तित बेशी मूल्य है, जिसे उपभोग वस्तुओं पर प्राय के रूप में खर्च करना होता है। इस प्रकार I अपने ४०० पाउंड से II का समस्त माल मूल्य , जो ४०० के बराबर है, ख़रीद लेता है, अतः यह द्रव्य Il के माल को गतिशील करता हुआ उसके पास लौट आता है। अव हम तीन प्रसंगों की कल्पना करेंगे, जिनमें हम II पूंजीपतियों के उस भाग को 'भाग १" कहेंगे, जो अपनी स्थायी पूंजी का वस्तुरूप में प्रतिस्थापन करता है ; और उस भाग को “भाग २" कहेंगे, जो स्थायी पूंजी के मूल्य ह्रास का द्रव्य रूप में संचय करता है। तीनों प्रसंग निम्नलिखित हैं : क ) II के पास माल की सूरत में अब भी शेषांश के रूप में विद्यमान ४०० के एक हिस्से को १ और २ भागों के लिए स्थिर पूंजी के प्रचल हिस्सों के किन्हीं अंशों का ( कह लीजिये , प्रत्येक के लिए आधे का ) प्रतिस्थापन करना होगा ; ख ) भाग १ ने अपना सारा माल पहले ही बेच डाला है, जव कि भाग २ को अभी ४०० वेचना वाक़ी है ; ग) भाग २ ने २०० को, जो ह्रास मूल्य के वाहक हैं, छोड़कर और सब बेच दिया है। तब हमारे सामने निम्नलिखित वितरण हैं : क) II के हाथ में अब भी विद्यमान ४००स माल मूल्य में से भाग १ के पास १०० और भाग २ के पास ३०० हैं ; ३०० में से २०० मूल्य ह्रास के हैं। उस हालत में, भाग १ ने मूलतः ३०० का व्यय द्रव्य में ४०० पाउंड से किया था, जिन्हें अव I ने II से मालों की प्राप्ति के लिए वापस किया है, यानी द्रव्य रूप में २००, जिनके लिए उसने 1 से वस्तुरूप में स्थायी पूंजी के तत्व हासिल किये और I से अपने माल विनिमय के प्रवर्तन के लिए द्रव्य रूप में १०० प्राप्त किये। दूसरी ओर भाग २ ने उसी प्रकार I से अपने माल विनिमय के प्रवर्तन के लिए ४०० का केवल १/४, यानी १०० पेशगी दिये। इसलिए भाग १ ने द्रव्य रूप में ४०० में से ३०० तथा भाग २ १०० पेशगी दिये। किंतु इन ४०० की वापसी इस प्रकार होती है : भाग १ को १००, यानी उसके पेशगी का केवल एक तिहाई भाग। किंतु शेष दो तिहाई भाग के बदले उसके पास २०० मूल्य की नवीकृत स्थायी पूंजी है। भाग १ ने २०० मूल्य के स्थायी पूंजी के इस तत्व के लिए I को द्रव्य दिया है, किंतु वाद में और कोई माल नहीं दिया। जहां तक द्रव्य रूप में २०० का संबंध है, भाग १ क्षेत्र I के सामने ग्राहक रूप में ही आता 26.