पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४०६

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साधारण पुनरुत्पादन ४०५ द्रव्य रूप २०० पाउंड से भाग १ से २०० का माल ख़रीदता है और इस तरह इस माल विनिमय के लिए भाग १ ने द्रव्य रूप में जो २०० पाउंड पेशगी दिये थे, वे उसे वापस मिल जाते हैं। I को इसी तरह भाग १ से जो अन्य २०० पाउंड मिले थे, उनसे वह २०० मूल्य का माल भाग २ से ख़रीदता है, जिससे कि भाग २ की स्थायी पूंजी की छीजन का द्रव्य रूप में अवक्षेपण हो जाता है। यदि यह मान लिया जाये कि ग) प्रसंग में II (भाग १) के बदले वर्ग I विद्यमान मालों के विनिमय के प्रवर्तन के लिए द्रव्य रूप में २०० पेशगी देता है, तो भी स्थिति में कोई अंतर नहीं आयेगा। उस हालत में यदि I पहले II, भाग २ से इस कल्पना के आधार पर मालों के रूप में २०० ख़रीदता है कि इस भाग के पास केवल यही माल शेषांश वेचने को रह गया है, तो २०० पाउंड 1 के पास लौटकर नहीं आते, क्योंकि II, भाग २ फिर ग्राहक के रूप में नहीं आता। किंतु उस हालत में II, भाग १ के पास खरीदारी के लिए द्रव्य रूप में २०० पाउंड और २०० माल रूप में विनिमय के लिए होते हैं , इस तरह I से व्यापार हेतु कुल योग ४०० हो जाता है। इसलिए II, भाग १ से २०० पाउंड द्रव्य रूप में I के पास लौट आते हैं। यदि I उन्हें II, भाग १ से माल रूप में २०० की खरीद में फिर लगा देता है, तो जैसे ही II, भाग १ माल रूप में ४०० का दूसरा अर्धांश I के हाथों से ले लेता है, वे I के पास लौट आते हैं। भाग १ ( II ) ने स्थायी पूंजी के तत्वों के ग्राहक मात्र के नाते द्रव्य रूप में २०० पाउंड खर्च किये हैं। अतः वे उसके पास वापस नहीं आते , वरन इस काम आते हैं कि २००स को II, भाग २ के माल शेषांश को द्रव्य में परिवर्तित करें, जव कि I द्वारा माल विनिमय के लिए द्रव्य रूप में लगाये २०० पाउंड I के पास II, भाग १ के माध्यम से वापस आते हैं , II, भाग २ के माध्यम से नहीं। उसके ४०० के माल के बदले उसके पास ४०० राशि का पण्य समतुल्य लौट आया है; उसने पण्य रूप में ८०० के. विनिमय के लिए द्रव्य रूप में जो २०० पाउंड पेशगी दिये थे, वे भी उसी तरह उसके पास लौट आये हैं। इसलिए सभी कुछ ठीक-ठाक है। विनिमय में पेश आयी कठिनाई : I. १,०००+१,०००वे को शेषांशों के विनिमय की कठिनाई में परिणत कर दिया II. २,००°स गया था: 1.. ४०० II. (१) द्रव्य रूप में २००+माल रूप में २००स+ (२) २०० स माल रूप में। अथवा बात और भी स्पष्ट करें: I. २००३+२००३। II. (१) द्रव्य रूप में २००+ माल रूप में २०°स+ (२) २०°स माल रूप में। चूंकि II, भाग १ में माल रूप में २००२ का २०० वे ( माल रूप में) से विनिमय