पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४०९

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कुत सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन I के गेयांग को १८० के बराबर कर देने से भी बात बनेगी नहीं। बेशक , तव I में कुछ येगी नहीं रहेगी, लेकिन पहले की तरह II (भाग २) में अब भी २० वेशी रहेगी, जो प्रविमेय और द्रव्य में अपरिवर्तनीय है। प्रथम प्रसंग में, जहां II (२) से II (१) बड़ा है , II (१) की ओर द्रव्य कर में बेगी शेष रहता है, जो स्थायी पूंजी में पुनःपरिवर्तित नहीं किया जा सकता ; और यदि शेप को II (१) के बराबर मान लिया जाये , तव भी 14 की ओर द्रव्य रूप में वहीं वेशी बनी रहती है, जिसे उपभोग वस्तुओं में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। द्वितीय प्रसंग में, जहां II (२) से 11स (१) छोटा है, २०० वे तया ॥स (२) की ओर द्रव्य न्यूनता रहती है और दोनों ही ओर वरावर-वरावर वेशी माल रहता है; और 1 का शेषांश II (१) के बराबर मान लिया जाये, तो IIस (२) की अोर द्रव्य न्यूनता और माल में बेशी रह जाती है। चूंकि उत्पादन आदेशों द्वारा निर्धारित होता है और पुनरुत्पादन में इससे कोई फर्क नहीं आता कि एक साल 1 तथा II स्थिर पूंजियों के स्थायी घटकों का उत्पादन ज्यादा है और दूसरे साल उनके प्रचल घटकों का उत्पादन ज्यादा है , अतः यदि हम मान लें कि वे के शेषांश हमेशा II (१) के वरावर हैं, तो प्रथम प्रसंग में Ia को उपभोग वस्तुओं में तभी पुनः- परिवर्तित किया जा सकता है, जब I उससे II के वेशी मूल्य का एक अंश ख़रीदे और उसका उपभोग करने के बदले द्रव्य रूप में संचय करे। द्वितीय प्रसंग में वात तभी बन सकती है, जब । स्वयं द्रव्य खर्च करे और यह ऐसी कल्पना है, जिसे हम पहले ही अस्वीकार कर चुके हैं। यदि IIस (२) से IIस (१) वड़ा हो, तो Ia में वेशी द्रव्य के सिद्धिकरण के लिए विदेशी मालों का आयात करना पड़ेगा। इसके विपरीत , यदि IIस (२) से II (१) छोटा हो, तो उत्पादन साधनों में II के ह्रासवान अंश के सिद्धिकरण के लिए Il मालों ( उपभोग वस्तुओं) का निर्यात करना होगा। फलतः दोनों ही प्रसंगों में विदेश व्यापार आवश्यक होगा। यदि यह भी मान लिया जाये कि अपरिवर्तित पैमाने पर पुनरुत्पादन के अध्ययन के लिए यह कल्पना करनी होगी कि उद्योग की सभी शाखाओं में उत्पादिता एक सी बनी रहती है, अतः उनके मालों के समानुपातिक मूल्य संबंध भी एक से रहते हैं, फिर भी ये अंतोक्त दोनों प्रसंग, जिनमें IIस (२) से IIA (१) बड़ा या छोटा है, विस्तारित पैमाने पर उत्पादन के लिए हमेशा दिलचस्प बने रहेंगे, जहां इन प्रसंगों से अनिवार्यतः सामना हो सकता है। .. ३) परिणाम स्थायी पूंजी के प्रतिस्थापन के संदर्भ में निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए : उत्पादन के पैमाने ही नहीं, बल्कि अन्य सभी वातों और सर्वोपरि श्रम उत्पादिता के ययावत बने रहने पर यदि पूर्व वर्ष की अपेक्षा II के स्थायी तत्व के और बड़े भाग की समाप्ति होती है और इसलिए और बड़े भाग का वस्तुरूप में नवीकरण आवश्यक होता है, तो