पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४१२

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साधारण पुनरुत्पादन ४११ 1 १२. द्रव्य सामग्नी का पुनरुत्पादन एक उपादान की अभी तक पूर्णतः उपेक्षा की गयी है, यानी सोने और चांदी के वार्षिक पुनरुत्पादन की। विलास वस्तुओं, मुलम्मासाजी, आदि की सामग्री मात्र होने के नाते उनके विशेष उल्लेख की वैसे ही ज़रूरत नहीं है, जैसे अन्य किसी उत्पाद के उल्लेख की। किंतु द्रव्य सामग्री के रूप में और इसलिए संभाव्य द्रव्य के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। सरलता के लिए हम यहां केवल सोने को द्रव्य सामग्री मान लेते हैं। पुराने अांकड़ों के अनुसार सोने का कुल वार्षिक उत्पादन ८,००,०००-६,००,००० पाउंड ( वज़न) था, जो मोटे तौर से ११,००० या १२,५०० लाख मार्क के बरावर था। किंतु सोयेत्वेर 63 के अनुसार यह १८७१ से लेकर १८७५ तक के औसत उत्पादन के आधार पर केवल १,७०,६७५ किलोग्राम ही था, जिसका मोटे तौर पर मूल्य ४,७६० लाख मार्क था। इस राशि में मोटे तौर पर आस्ट्रेलिया ने १,६७० , संयुक्त राज्य अमरीका ने १,६६० और रूस ने ६३० लाख मार्क के सोने की पूर्ति की। शेष भाग विभिन्न देशों में १ करोड़ मार्क से कम राशि में बंटा हुआ है। इस अवधि में चांदी का वार्षिक उत्पादन २० लाख किलोग्राम से कुछ कम था, जिसका मूल्य ३,५४० १/२ लाख मार्क था। इस राशि में मोटे तौर पर मेक्सिको ने १,०८०, संयुक्त राज्य अमरीका ने १,०२०, दक्षिणी अमरीका ने ६७० , जर्मनी ने २६० लाख मार्क की पूर्ति की, इत्यादि । जिन देशों में पूंजीवादी उत्पादन की प्रमुखता है, उनमें केवल संयुक्त राज्य अमरीका ही सोने तथा चांदी का उत्पादक है। यूरोप के पूंजीवादी देश अपनी अधिकांश चांदी और लगभग सारा सोना आस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमरीका, मेक्सिको, दक्षिणी अमरीका और रूस से प्राप्त करते हैं। लेकिन हम यह मान लेते हैं कि सोने की खानें पूंजीवादी उत्पादन पद्धतिवाले देश में हैं , जिसके वार्षिक पुनरुत्पादन का हम यहां विश्लेषण कर रहे हैं और इसके कारण निम्नलिखित हैं : विदेश व्यापार के विना पूंजीवादी उत्पादन का अस्तित्व ही नहीं होता। किंतु जब हम एक दिये हुए पैमाने पर सामान्य वार्षिक पुनरुत्पादन की कल्पना करते हैं, तब हम यह भी मान लेते हैं कि विदेश व्यापार मूल्य संबंधों को प्रभावित किये विना, और इसलिए उन मूल्य संबंधों को, जिनमें "उत्पादन साधन" और "उपभोग वस्तुएं" ये दोनों संवर्ग परस्पर विनिमय करते हैं, अथवा स्थिर पूंजी, परिवर्ती पूंजी तथा वेशी मूल्य के संबंधों को भी , जिनमें इनमें से प्रत्येक संवर्ग के उत्पाद का मूल्य विभाजित हो सकता है, प्रभावित किये विना स्वदेशी उत्पाद को केवल अन्य उपयोग रूप अथवा अन्य दैहिक रूप की वस्तुओं द्वारा प्रतिस्थापित करता है। इसलिए उत्पाद के प्रति वर्ष पुनरुत्पादित मूल्य के विश्लेपण में विदेश व्यापार का सम्मिलन समस्या का अथवा उसके समाधान का कोई नया तत्व प्रस्तुत किये विना केवल उलझाव पैदा कर सकता है। इस कारण उसे पूर्णतः अलग रखना चाहिए। फलतः सोने को भी यहां वार्षिक पुनरुत्पादन का प्रत्यक्ष तत्व माना जाना चाहिए, न कि विदेश से विनिमय द्वारा आयातित माल तत्व। सामान्यतः धातुओं के उत्पादन की ही भांति सोने का उत्पादन वर्ग I से संवद्ध है , जिसमें . 63 Ad. Soetbeer, Edelmetall-Production, Gotha, 1879.