पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४१९

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४१% कुल नामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन . ऐसा माल परिचालित होता है, जिसकी उत्पादन अवधि साल भर से ज्यादा होती है, जो पगु, लकड़ी, शराब , वगैरह । इन तथा अन्य परिघटनाओं के लिए यह निश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रत्यक्ष परिचलन हेतु आवश्यक द्रव्य की मात्रा के अलावा उसकी एक निश्चित माना हमेगा एक संभाव्य अकार्यगील अवस्था में रहे, जो प्रेरणा मिलने पर कार्य करना शुरू कर सकती है। इसके अलावा ऐसे उत्पादों का मूल्य बहुधा क्रमशः पीर खंडशः परिचालित होता है, जैसे किराये की शक्ल में मकानों का मूल्य अनेक वर्षों में परिचालित होता है। दूसरी ओर पुनरुत्पादन प्रक्रिया की सभी गतियां द्रव्य परिचलन द्वारा संपन्न नहीं होती। उत्पादन प्रक्रिया के तत्वों के प्राप्त किये जाने के साथ वह सारी प्रक्रिया परिचलन से निकल जाती है। स्वयं उत्पादक जिस उत्पाद का प्रत्यक्षतः उपभोग करता है, चाहे व्यक्तिगत रूप में, चाहे उत्पादक रूप में, वह सब भी निकल जाता है। खेतिहर मजदूरों का वस्तुरूप में भरण- पोपण भी इसी मद में आता है। इसलिए जो द्रव्य राशि वार्पिक उत्पाद को परिचालित करती है, वह क्रमशः संचित किये जाने के कारण समाज में पहले से ही विद्यमान होती है। वह नियत वर्ष के दौरान उत्पादित नये मूल्य के अंतर्गत नहीं होती, संभवतः उस सोने को छोड़कर , जिसका उपयोग ह्रासित सिक्कों की क्षतिपूर्ति के लिए किया जाता है। यह विवेचन द्रव्य के रूप में केवल मूल्यवान धातुओं के परिचलन की और इस परिचलन में नक़द ऋत्य-विक्रय के सरलतम रूप की पूर्वापेक्षा करता है; यद्यपि द्रव्य सादे धातु सिक्कों के ही परिचलन के आधार पर अदायगी के साधन का भी कार्य कर सकता है और इतिहास के दौर में वस्तुतः ऐसा करता रहा है और इस आधार पर उधार पद्धति और उसकी क्रिया- विधि के किन्हीं पक्षों का विकास हुया है। यह कल्पना केवल प्रणाली के विचार से ही नहीं की जाती है, यद्यपि यह भी काफ़ी महत्वपूर्ण है, जैसा कि इस तथ्य से जाहिर होता है कि टूक और उनके अनुयाइयों को तथा उनके विरोधियों को भी बैंक नोटों के परिचलन से संबद्ध अपने विवादों में निरंतर विशुद्ध धातु परिचलन की परिकल्पना पर लौटकर आना पड़ा था। उन्हें ऐसा post festum करना पड़ा और उन्होंने ऐसा बहुत ही सतही ढंग से किया था, जो अनिवार्य भी था, क्योंकि प्रस्थान बिंदु ने इस प्रकार उनके विश्लेपण में प्रासंगिक बिंदु की भूमिका ही अदा की थी। लेकिन द्रव्य परिचलन का उसके आद्य रूप में प्रस्तुत सरलतम अध्ययन - नीर यह यहां वार्पिक पुनरुत्पादन प्रक्रिया का एक अंतर्भूत तत्व है- सिद्ध करता है : क) उन्नत पूंजीवादी उत्पादन और इसलिए उजरती मजदूरी व्यवस्था के प्राधान्य के कल्पित होने के कारण द्रव्य पूंजी स्पष्टतया प्रमुख भूमिका निवाहती है, क्योंकि परिवर्ती पूंजी इसी के रूप में पेशगी दी जाती है। उजरती मजदूरी व्यवस्था के विकास के साथ-साथ सारा उत्पाद मालों में रूपांतरित होता जाता है और इसलिए - कुछ महत्वपूर्ण अपवाद छोड़कर - अपनी गति के एक दौर के नाते समूचे तार पर उसे द्रव्य में रूपांतरण से गुजरना होता है। परिचालित द्रव्य की मात्ना मालों के द्रव्य में इस परिवर्तन के लिए पर्याप्त होनी चाहिए और इसका अधिकांश ग्रोद्योगिक पूंजीपतियों द्वारा मजदूरी के रूप में, उस द्रव्य के रूप में उपलब्ध की जाती है, जिसे श्रम शक्ति की अदायगी में परिवर्ती पूंजी के द्रव्य रूप की तरह पेशगी दिये गये द्रव्य के रूप में उपलब्ध किया जाता है और जो मजदूरों के हाथ में सामान्यतः केवल परि- चलन के माध्यम (ऋत्य साधन ) का काम करता है। यह वात नैसर्गिक अर्थव्यवस्था की