पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४४७

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कुन नामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन प्रपया Hanा एक हिस्सा , जो जीवनावश्यक वस्तुओं का प्रतीक है , क्षेत्र II के भीतर मौधे ननी परिवी पंजी में परिवर्तित हो जाता है। यह कैसे होता है, इसकी परीक्षा हम इस पध्याय के. पंत (४ के अंतर्गत ) करेंगे। १) पहता उदाहरण क) साधारण पुनरुत्पादन की सारणी I. ४,०००+१,०००+ १,०००३-६,००० योग ६,०००। II. २,०००+ ५००+ ५०°३= ३,००० म) विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन की प्रारंभिक सारणी I. ४,०००+१,०००+ १,००°३६,००० योग ६,०००। II. १,५००+ ७५०+ ७५०=३,००० यह मान लेने पर कि सारणी ख में प्राधे वेशी मूल्य I, यानी ५०० का संचय होता है, हमें पहले (१,०००+५००३) I अथवा १,५०० (प+वे ) प्राप्त होते हैं, जिनका प्रतिस्थापन १,५०० II द्वारा होगा। इससे I में ४,००°स+ ५०°वे रह जाते हैं, जिनमें से ५००३ संचित होंगे। १,५०० स द्वारा (१,०००+५००वे) I का प्रतिस्थापन माधारण पुनरुत्पादन की प्रक्रिया है, जिसका विवेचन पहले हो चुका है। अब यह मान लीजिये कि ५०० से ४०० को स्थिर पूंजी में और १०० को परिवर्ती पूंजी में बदलना है। 1 के अंतर्गत ४००वे का विनिमय और इस तरह उनके पूंजीकरण का विवेचन पहले ही हो चुका है। इसलिए उनका और सोच-विचार के विना Iस में संयोजन किया जा सकता है और उस स्थिति में I के लिए हम यह पाते हैं : ४,४००+ १,००० + १००वे ( जिनमें १००वे को १००प में बदलना है)। अपनी बारी में II संचय के लिए I से १०० 1 ( उत्पादन साधनों में विद्यमान ) गरीदता है, जो अब अतिरिक्त स्थिर पूंजी II बन जाते हैं, जबकि उनके लिए वह द्रव्य रूप में जो १०० देता है, वे I की अतिरिक्त परिवर्ती पूंजी के द्रव्य रूप में तवदील हो जाते हैं । इस तरह हमारे पास I के लिए ४,४००स+ १,१००५ की पूंजी रहती है ( जिसमें अंतोक्त द्रव्य रूप में हैं ), जो कुल मिलाकर ५,५०० है। अब II के पास उसकी स्थिर पूंजी के रूप में १,६००स हैं। इन्हें काम में डालने के लिए उसे द्रव्य रूप में ५०५ और नई श्रम शक्ति ख़रीदने के लिए पेशगी होंगे, जिससे उसकी परिवती पूंजी ७५० से बढ़कर ८०० हो जायेगी। कुल १५० द्वारा II की स्थिर और परिवर्ती पूंजी के इस प्रसार की पूर्ति उसके वेशी मूल्य में से होती है। अतः पूंजीपति II के लिए उपभोग निधि के रूप में ७५० II में से केवल ६००३ रह जाते हैं, जिनका वार्षिक उत्पाद अब इस तरह वितरित होता है : -