पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संचय तथा विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन ४४६ यदि बेशी मूल्य के विभाजन की दर अपरिवर्तित रहती है, तो I के पास आय के रूप में खर्च करने को पहले १,२१०५ तथा वे का आधा भाग या ६०५, कुल १,८१५ रहता है। यह उपभोग निधि भी II की अपेक्षा ५५ अधिक है। ये ५५ ८८०वे में से. घटाने होंगे, जिससे ८२५ वचेंगे। इसके अलावा ५५ II के IIस में परिवर्तन का मतलब है २७ १/२ की अनुरूप परिवर्ती पूंजी से II से एक और कटौती, जिससे उपभोग के लिए ७६७ १/२ II बच रहेंगे। अव I को ६०५३ का पूंजीकरण करना है। इनमें ४८४ स्थिर पूंजी हैं और १२१ परिवर्ती। इन १२१ को II से घटाना होगा, जो अब भी ७६७ १/२ के बराबर है, जिससे ६७६ १/२ II शेष रहते हैं। अब II अन्य १२१ को स्थिर पूंजी में बदलता और इसके लिए उसे ६० १/२ की अन्य परिवर्ती पूंजी दरकार होती है, जो उसी तरह ६७६ १/२ में से आती है, जिससे उपभोग के लिए ६१६ शेष रहते हैं। अब हमारे पास निम्नलिखित पूंजियां होती हैं : I. स्थिर: ४,८४०+४८४-५,३२४ । परिवर्ती : १,२१०+१२१-१,३३१ । II. स्थिर: १,७६०+५५+ १२१=१,६३६ । परिवर्ती : ८८०+२७ १/२+६० १/२ = ६६८ । योग: I. ५,३२४स+ १,३३१५-६,६५५ II. १,६३६स+ ६६८५२,६०४ =६,५५६। वर्ष की समाप्ति पर उत्पाद यह होता है: I. ५,३२४स+ १,३३१५+ १,३३१वे =७,६८६ II. १,६३६स+ ६६८५+ ६६८३३,८७२ =११,८५८। इसी परिकलन को दुहराने और भिन्नांशों को पूर्ण संख्या का रूप देने से अगले वर्ष की समाप्ति पर निम्नलिखित उत्पाद प्राप्त होता है : I.५,८५६स + १,४६४५+ १,४६४३८,७८४ II. २,१२६+ १,०६५५+ १,० -१,०६५३ =४,२५६ =१३,०४३। इससे अगले वर्ष की समाप्ति पर उत्पाद यह होगा: I. ६,४४२स+ १,६१० + १,६१०३६,६६२ II. २,३४२स + १,१७२+१,१७२३=४,६८६ =१४,३४८॥ 29-1150