पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५१

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कुन मामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन विस्तारित प्रेमाने पर पुनल्यादन के ४ वर्षों में I और II की कुल पूंजी ५,५०°स+ +-१,७५.०५-७,२५० से बढ़कर ८,७८४ + २,७८२५ = ११,५६६ हो गयी है ; दूसरे शब्दों में १००:१६० अनुपात में बढ़ी है। शुरू में कुल वेशी मूल्य १,७५० था ; अब वह २,७८२ है। गुन में अमुक्त बेशी मूल्य I के लिए ५०० और II के लिए ६०० , कुल १,१०० था। पिछले साल यह I के लिए ७३२ और II के लिए ७४५, कुल १,४७७ था। अतः वह १०० : १३४ के अनुपात में बढ़ा है। २) दूसरा उदाहरण अब ६,००० का वार्पिक उत्पाद ले लीजिये, जो प्रौद्योगिक पूंजीपति वर्ग के हाथ में ऐसे रूप में पूर्णतः माल पूंजी है, जिसमें परिवर्ती पूंजी का स्थिर पूंजी से सामान्य प्रोसत अनुपात १:५ है। यह पूंजीवादी उत्पादन के, और तदनुसार सामाजिक श्रम की उत्पादिता के काफ़ी विकास को , उत्पादन के पैमाने में काफ़ी पूर्ववर्ती वृद्धि की और अंततः उन सभी परिस्थितियों के विकास की पूर्वापेक्षा करता है, जिनसे मजदूर वर्ग में प्रापेक्षिक जनसंख्या प्राधिक्य पैदा हो जाता है। तब विविध भिन्नांगों को पूर्ण संख्या का रूप देने के वाद वार्पिक उत्पाद का विभाजन इस प्रकार होगा: . I. ५,००°स+ १,०००+ १,०००३७,००० II. १,४३०+ २८५५+ २८५३ =२,००० =६,०००। अब यह मान लीजिये कि पूंजीपति वर्ग I आधे वेशी मूल्य का उपभोग कर लेता है और वाकी प्राधा भाग संचित करता है। उस हालत में (१,०००+५००३) I अथवा १,५०० को १,५०० II में परिवर्तित करना होगा। चूंकि IIस यहां केवल १,४३० के वरावर है, इसलिए वेशी मूल्य में से ७० जोड़ना आवश्यक होगा। २८५ II में से यह राशि घटाने पर २१५ II रह जाते हैं। तव हमारे पास : I. ५,०००+ ५००वे (जिनका पूंजीकरण होना है ) + १,५०० (प+वे ) पूंजीपतियों और मजदूरों की उपभोग निधि में होते हैं। II. १,४३०स+७°वे (जिनका पूंजीकरण होना है )+२८५५+२१५३ । चूंकि यहां II में ७० II सीधे जोड़ दिये गये हैं, इसलिए इस अतिरिक्त स्थिर पूंजी को गतिशील करने के लिए ७०/५, यानी १४ की परिवर्ती पूंजी दरकार होगी। ये १४ भी २१५ II में से हासिल किये जायेंगे, जिससे २०१ II वच रहेंगे और हमारे पास होंगे: II. (१,४३०+ ७°स)+ (२८५५+१४५)+२०१३ । १,५०० (प+ १/२वे ) का १,५०० IIA से विनिमय साधारण पुनरुत्पादन प्रक्रिया