पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५३

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गुल मामानिनः पूंजी का पुनत्त्पादन तथा परिचलन पर ममन्या पानान नहीं है, क्योंकि उसकी याकांक्षा इससे उसके काम के घंटों के घटने के पाने नहीं जाती, पोंकि लरचरबाज उसकी मानसिक और नैतिक शक्तियों की उन्नति करके उसी स्थिति सुधारने का प्रयल करने के बजाय उसे इसी के लिए उकसाते हैं।" (Reports of H. If.'s Secretaries of Embassy and Legation on the Manufactures, Commerce, cic. of the Countries in which they reside. London, 1879, p. 404.) लगता है कि काम के लंबे घंटे ही उन बुद्धिसंगत और स्वस्य तरीकों का रहस्य हैं, जो मजदूर की माननिफ और नैतिक शक्तियों का विकास करके उसे उन्नति की ओर ले जायेंगे पौर उमे विवेकगील उपभोक्ता बनायेंगे। पूंजीपति के मालों का बुद्धिसंगत उपभोक्ता बनने के लिए गयो पहले उसे चाहिए कि वह अपने ही पूंजीपति को अपनी श्रम शक्ति का अबुद्धिसंगत और अस्वस्य ढंग से उपभोग करने दे- किंतु लैक्चरवाज़ उसे रोकते हैं! बुद्धिसंगत उपभोग से पूंजीपति का तात्पर्य क्या है, यह जहां भी वह अपने ही मजदूरों से सीधे व्यापार करने की कृपा करता है, वहां स्पष्ट है, यया जिंस रूप मजदूरी प्रणाली में, जिसमें मजदूरों को मकान देना भी गामिल होता है, जिससे कि पूंजीपति साथ ही साथ उनके लिए मकान मालिक भी बन जाता है- जो व्यवसाय की अनेक शाखाओं में एक शाखा ही है। वही दृमंड, जिनका कोमल हृदय मजदूर वर्ग की उन्नति के लिए पूंजीपतियों के प्रयत्नों पर मुग्ध है, उसी विवरण में अन्य बातों के अलावा लॉवल एंड लॉरेंस मिल्स के सूती माल उत्पादन के बारे में भी बताते हैं। कारखाने में काम करनेवाली लड़कियों के भोजन तथा आवास गृह मिलों की मालिक कंपनी या निगम के होते हैं। इन गृहों की प्रबंधक उसी कंपनी की सेवा में है, जिसने उनके लिए प्राचार-संहिता निर्दिष्ट की है। रात में १० के बाद किसी लड़की को बाहर रहने की इजाजत नहीं है। और इसके बाद एक वेमिसाल चीज़ पाती है - स्पेशल पुलिस इसके लिए गश्त लगाती है कि इन नियमों का उल्लंघन तो नहीं होता। रात में १० के बाद कोई भी लड़की न भीतर पा सकती है और न बाहर जा सकती है। कोई भी लड़की कंपनी के अहाते के अलावा और कहीं नहीं रह सकती और उसमें हर मकान से कंपनी को हर हफ्ते लगभग १० डालर किराया प्राता है। और अब हमें बुद्धिसंगत उपभोक्ता के उसकी पूरी महिमा के साथ दर्शन होते हैं : " लेकिन चूंकि श्रेष्ठतम श्रमजीवी महिला प्रावासों में से कई में सदा विद्यमान पियानो होता ही है, इसलिए गाना-बजाना और नाच मजदूरिनों का काफ़ी ध्यान गींचते हैं, कम से कम उनमें से उनका तो जरूर ही, जिनके लिए करघों पर १० घंटे के लगातार काम के वाद वास्तविक विधाम की अपेक्षा नीरसता से मुक्ति पाना अधिक पावश्यक है। (पृष्ठ ४१२।) किंतु मजदूर को बुद्धिसंगत उपभोक्ता बनाने का मुख्य रहस्य तो अभी प्रकट किया जाने को है। श्री ड्रमंड टर्नर्स फाल्स ( कनेक्टीकट रिवर) का छुरी-कांटा कारमाना देखने जाते हैं और इस उद्यम के कोषाध्यक्ष श्री प्रोकमैन पहले उन्हें यह बताने के वाद कि अमरीकी छुरी-कांटे ख़ासकर गुणवत्ता में अंग्रेजी माल से बेहतर होते हैं, आगे कहते हैं : " ममय पा रहा है कि हम इंगलैंड को कीमतों में भी पछाड़ देंगे, गुणवत्ता के लिहाज से हम अब भी पागे हैं, यह तो लोग मानते ही हैं, लेकिन हमें कीमतें और कम करनी हैं और जैसे ही हमें कम कीमत पर इत्यात मिलने लगेगा और हमारे मजदूर बस में आ जायेंगे, हम यह भी हासिल कर लेंगे।" (पृष्ठ ४२७ 1 ) मजदूरी में कटौती और लंबा कार्य काल - -यही उन बुद्धिसंगत और स्वस्थ तरीकों का सार है, जो मजदूर की उन्नति करके उसे बुद्धिसंगत उपभोक्ता का गौरव प्रदान करेंगे, जिसमें कि संस्कृति और पाविष्कारों की प्रगति द्वारा "वे अपने पर बरसाई जाती चीजों के लिए बाजार बना सकें"।