पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५४

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संचय तथा विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन ४५३ . I 7 ७० . फलतः जैसे I को अपने वेशी उत्पाद से II की अतिरिक्त स्थिर पूंजी की पूर्ति करनी पड़ती है, वैसे ही I के लिए II अतिरिक्त परिवर्ती पूंजी की पूर्ति करता है। जहां तक परिवर्ती पूंजी का संबंध है, II अपने लिए और I के लिए अपने कुल उत्पाद के अधिकांश के पुनरुत्पादन द्वारा, अतः विशेषकर वेशी उत्पाद के अधिकांश के आवश्यक उपभोग वस्तुओं के रूप में अपने पुनरुत्पादन द्वारा संचय करता है। उत्पादन में बढ़ती हुई पूंजी के आधार पर (प+वे ) IIस तथा पूंजी के रूप में पुनःसमाविष्ट वेशी उत्पाद के अंश तथा II में उत्पादन के प्रसार के लिए आवश्यक स्थिर पूंजी के अतिरिक्त भाग के योग के वरावर होगा; और इस प्रसार का अल्पतम मान वह है, जिसके विना वास्तविक संचय, अर्थात स्वयं I में उत्पादन का वास्तविक प्रसार असंभव होगा। अव अंत में जिस प्रसंग का विवेचन किया गया था, उस पर लौटें, तो उसमें हम यह विशेषता पाते हैं कि IIस (प+ १/२वे ) से छोटा है, उत्पाद I के उस अंश से छोटा है , जो उपभोग वस्तुओं पर आय के रूप में खर्च किया जाता है, जिससे कि १,५०० (प+बे) का विनिमय करने पर वेशी उत्पाद II के के बराबर अंश का तुरंत सिद्धिकरण हो जाता है। जहां तक II का संबंध है, जो १,४३० के बराबर है, अन्य परिस्थितियों के यथावत रहने पर उसका प्रतिस्थापन मूल्य के समान परिमाण द्वारा I(प+बे ) में से करना होगा, जिससे कि II मैं साधारण पुनरुत्पादन हो सके और उस सीमा तक उसकी ओर हमारे लिए यहां और अधिक ध्यान देना आवश्यक नहीं है। अतिरिक्त ७० II का मामला दूसरा है। I के लिए जो बात केवल उपभोग वस्तुओं द्वारा आय का प्रतिस्थापन है, केवल उपभोग हेतु माल विनिमय है, वह II के लिए उसकी स्थिर पूंजी का माल पूंजी के रूप से उसके दैहिक रूप में पुनःपरिवर्तन मान नहीं है, जैसे कि वह साधारण पुनरुत्पादन में है, वरन वह संचय की प्रत्यक्ष प्रक्रिया है, उसके वेशी उत्पाद के एक अंश का उपभोग वस्तुओं के रूप से स्थिर पूंजी के रूप में रूपांतरण है। यदि I द्रव्य रूप में ७० पाउंड (बेशी मूल्य के परिवर्तन हेतु आरक्षित द्रव्य निधि ) से ७० II ख़रीदता है, और यदि II बदले में ७० वे नहीं खरीदता , वरन ७० पाउंड को द्रव्य पूंजी के रूप में संचित कर लेता है, तो यह द्रव्य पूंजी सचमुच सदैव अतिरिक्त उत्पाद की अभिव्यक्ति होगी ( यथार्थतः II के बेशी उत्पाद की , जिसका वह अशेषभाजक अंश है), यद्यपि वह ऐसा उत्पाद नहीं है कि जो उत्पादन में फिर दाखिल होता हो, किंतु इस हालत में II के यहां द्रव्य का यह संचय साथ ही यह भी व्यक्त करेगा कि उत्पादन साधनों के रूप में ७० I अविक्रेय है। I में II के यहां समकालिक पुनरुत्पादन के अप्रसार के अनुरूप आपेक्षिक अत्युत्पादन होगा। किंतु इसके अलावा जब तक द्रव्य रूप में वे ७० , जो I से आये थे, II द्वारा ७० Ia की खरीद के ज़रिये पूर्णतः या अंशतः I के पास लौट नहीं आते , तव तक द्रव्य रूप में ये ७० II के पास अंशतः या पूर्णतः अतिरिक्त आभासी द्रव्य पूंजी के रूप प्रकट होते हैं। यह वात I तथा II के बीच प्रत्येक विनिमय पर लागू होती है, जब तक कि उनके अपने- अपने मालों के परस्पर प्रतिस्थापन द्वारा द्रव्य का अपने प्रारंभ बिंदु पर प्रत्यावर्त्तन पूरा नहीं हो जाता। किंतु सामान्य क्रम में द्रव्य यहां यह भूमिका केवल अस्थायी रूप में निवाहता है।