पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५६

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संचय तथा विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन 7 - 4. . ? तीसरे साल के अंत में यह उत्पाद होगा : I. ५,८६६+ १,१७३५+ १,१७३३ । II. १,७१५स + ३४२५+ ३४२३ यदि 1 पहले की तरह ही अपना आधा वेशी मूल्य संचित करे, तो पता चलता है कि I(प+ १/२वे ) से १,१७३५+ ५८७( १/२ वे ) की प्राप्ति होती है, जो १,७६० के बराबर, समग्र १,७१५ IIस से बड़ी राशि है, जिसमें ४५ अधिक हैं। इसे उत्पादन साधनों की समान राशि IIस को अंतरित करके पुनःसंतुलित करना होगा, जिससे उसमें ४५ की वृद्धि होती है, जिससे उसमें पंचमांश , या ६ जोड़ना आवश्यक हो जाता है । इसके अलावा पूंजीकृत ५८७ वे ५/६ और १/६ भागों में, अर्थात ४८६स तथा ६८५ में विभाजित होते हैं। II में ६८ का मतलव है स्थिर पूंजी में ६८ का नवीन परिवर्धन और इसका मतलब है परिवर्ती पूंजी II में पंचमांश अथवा २० की वृद्धि। अव स्थिति यह होती है : I. (५,८६९स+४८९३)स+ (१,१७३५+ ६८) = ६,३५८स + १,२७१५ = ७,६२६ । II. (१,७१५स + ४५३+६८)स+ (३४२५+ + २०३)प= १,८५८स+ ३७१५-२,२२६ । कुल पूंजी = ६,८५८। बढ़ते हुए पुनरुत्पादन के ३ वर्षों में I की कुल पूंजी ६,००० से बढ़कर ७,६२६ और II की १,७१५ से बढ़कर २,२२६ हो गई है ; समुच्चित सामाजिक पूंजी ७,७१५ से बढ़कर ६,८५८ हो गई है।

--- ३) संचय में IIस का प्रतिस्थापन इस प्रकार IIस (प+बे) के विनिमय में हमारे सामने विभिन्न प्रसंग आते हैं। साधारण पुनरुत्पादन में दोनों को वरावर होना और एक दूसरे को प्रतिस्थापित करना चाहिए, क्योंकि साधारण पुनरुत्पादन अन्यथा व्यवधान के विना चल नहीं सकता, जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं। संचय में सबसे अधिक विचारणीय संचय की दर है। पूर्व प्रसंगों में हम यह मानकर चले थे कि 1 में संचय की दर १/२ वे I के बराबर है और वह साल दर साल स्थिर बनी रहती है। हमने केवल उस अनुपात में परिवर्तन किया था, जिसमें यह संचित पूंजी परिवर्ती पूंजी तथा स्थिर पूंजी में विभाजित थी। तब हमारे सामने तीन प्रसंग थे : १) (प+१/२वे ) "स के वरावर है, अत: वह . I(प+बे) से छोटा है। ऐसा हमेशा ही होगा, वरना I संचय नहीं कर सकता। २) (प+१/२ वे ) IIस से बड़ा है। इस प्रसंग में IIस में Ila का तदनुरूप अंश जोड़कर प्रतिस्थापन किया जाता है, जिससे कि यह राशि (प+१/२वे ) के वरावर हो जाती है। यहां II के लिए प्रतिस्थापन उसकी स्थिर पूंजी का साधारण पुनरुत्पादन नहीं