पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४५७

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कुन सामाजिा पूंजी का पुनस्तादन तथा परिचलन . है, बस्न मंगय है, उसकी स्थिर पूंजी का उसके बेशी उत्पाद के उस अंश द्वारा परिवर्धन है, जिनका यह 1 के उत्पादन माधनों से विनिमय करता है। इन परिवर्धन में साथ ही उसके पाने येगी उसाद में में परिवर्ती पूंजी II में तदनुरूप ग्रंश का जुड़ना भी निहित है। ३ ) (4+- १/२ये ) II से छोटा है। इस प्रसंग में II विनिमय द्वारा अपनी रियर पूंजी का पूरी तह पुनरुत्पादन नहीं करता और उसे I से खरीदारी करके घाटा पूरा करना होता है। किंतु इनके लिए परिवर्ती पूंजी II का और अधिक संचय अनिवार्य नहीं है, क्योंकि उनकी स्थिर पूंजी केवल इसी क्रिया द्वारा पूर्णतः पुनरुत्पादित होती है। दूसरी ओर I के पूंजीपतियों का जो हिस्सा केवल अतिरिक्त द्रव्य पूंजी संचित करता है, वह इस लेन-देन के जरिये प्रांतिक रूप में यह संचय पहले ही कर चुका होता है। साधारण पुनरुत्पादन की यह अाधारिका कि I(प+ये ) IIस के बरावर है, पूंजीवादी उत्पादन के लिए असंगत ही नहीं है, यद्यपि वह इस संभावना को अपवर्जित नहीं करती कि १०-११ साल के उद्योग चक्र में किसी साल पिछले वर्ष की तुलना में कुल पैदावार कम होगी, जिससे कि उस पिछले वर्ष की तुलना में साधारण पुनरुत्पादन तक भी न होगा। इसके अलावा जनसंख्या की नैसर्गिक वार्षिक वृद्धि के दृष्टिगत साधारण पुनरुत्पादन केवल इस सीमा तक हो सकता है कि कुल वेशी मूल्य के प्रतीक १,५०० में अनुत्पादक सेवकों की तदनुरूप अधिक संख्या हिम्गा बंटायेगी। किंतु ऐसी परिस्थितियों में पूंजी का संचय , वास्तविक पूंजीवादी उत्पादन असंभव होगा। अतः पूंजीवादी संचय की वास्तविकता IIस के !(प+ये) के वरावर होने की संभावना को अपवर्जित कर देती है। तथापि पूंजीवादी संचय के चलते भी यह संभव है कि उत्पादन की पूर्व अवधियों की शृंखलानों में संचय प्रक्रियाओं ने जो रास्ता अपनाया था, उसके फलस्वरूप स न केवल (प+वे ) के बराबर हो जाये, वरन उससे बड़ा भी हो जाये । इसका मतलब II में प्रत्युत्पादन होगा और उसका जबरदस्त सहसापात के अलावा और किसी तरह समायोजन न किया जा सकेगा, जिसके परिणामस्वरूप II की कुछ पूंजी का I को अंतरण हो जायेगा। का स से संबंध तब ही बदल जाता है कि अगर स्थिर पूंजी II का एक अंश अपने को पुनरुत्पादित करता है, जैसा कि उदाहरणतः खेती में घर पर उगाये हुए बीजों के उपयोग में होता है। I तथा II के बीच विनिमय में IIA के इस अंश को वैसे ही ध्यान में नहीं रखना होता है, जैसे स को। न इससे स्थिति में कोई अंतर पाता है कि अगर II के उत्पाद का एक अंश उत्पादन साधनों के रूप में I में प्रवेश करने योग्य हो। I द्वारा पूरित उत्पादन साधनों के एक अंश से इसका प्रतिकार हो जाता है और यदि हम मामाजिक उत्पादन के दोनों बड़े क्षेत्रों के बीच विनिमय - उत्पादन साधनों के उत्पादकों और उपभोग वस्तुओं के उत्पादकों के बीच विनिमय - की विशुद्ध और अनावृत्त रूप में परीक्षा करना चाहते हैं, तो इस ग्रंश की प्रारंभ में ही दोनों ओर कटौती करनी होगी। प्रतः पूंजीवादी उत्पादन के अंतर्गत !(प+बे ) IIA के बराबर नहीं हो सकता ; दूसरे शब्दों में परस्पर विनिमय में दोनों संतुलित नहीं हो सकते। दूसरी ओर, यदि वे/क को I का यह अंश मान लिया जाये , जिसे पूंजीपति I पाय के रूप में खर्च करते हैं, तो . और न I(प+वे) 1 .